ंपढ़ते हैं उर्दू, दे दी हिंदी की किताब

जागरण संवाददाता साहिबगंज कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ा

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Nov 2020 06:09 PM (IST) Updated:Fri, 06 Nov 2020 02:35 AM (IST)
ंपढ़ते हैं उर्दू, दे दी हिंदी की किताब
ंपढ़ते हैं उर्दू, दे दी हिंदी की किताब

जागरण संवाददाता, साहिबगंज : कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर स्कूल बंद हैं। बच्चों की पढ़ाई पूरी चौपट हो चुकी है। ऐसे में सरकार की ओर से कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निश्शुल्क किताबें उपलब्ध कराई गई है। इसके वितरण में हुई गड़बड़ी को लेकर जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कान खड़े हो गए।

मिली जानकारी के मुताबिक ये किताबें मई माह में ही जिले को उपलब्ध करा दी गई थी। बावजूद अबतक शतप्रतिशत किताबों का वितरण स्कूलों में नहीं हो पाया। बरहड़वा के कई स्कूलों में किताब बांटी नहीं जाने की शिकायत प्राथमिक शिक्षा निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह को मिली तो उन्होंने मामले की जांच के लिए उपायुक्त को जांच के लिए चिट्ठी लिखी है। इसके बाद जांच कराई गई तो पुस्तक वितरण में कई लापरवाही सामने आई है।

साहिबगंज जिले में छात्रों की किताब वितरण में लापरवाही उजागर हुई है। जांच में पता चला है कि जिला की ओर से बरहेट प्रखंड के लिए जो किताब वितरण को भेजी गई वह वाहन से बरहड़वा चला गया। जहां किताब उतार दी गई जिस कारण वहां कम किताब पहुंची जबकि बरहड़वा प्रखंड के स्कूलों के लिए जो किताब भेजी गई वह बरहेट चली गइ्र जहां ज्यादा किताब पहुंच गई। किताब ज्यादा होने पर बरहेट सीआरपी में अबतक पड़ी रह गई। इस प्रकार विभाग की लापरवाही के कारण नौनिहाल अबतक किताब से वंचित रह गए हैं। जबकि एक मदरसा ने तो इसलिए किताब ही नहीं लिया कि उसमें ऊर्दू की पढ़ाई होती है। ------

बरहड़वा प्रखंड के जिन सात स्कूलों की जांच से हुआ उद्भेदन

- उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय मिर्जापुर- उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय बरारी

- उत्क्रमित उच्च विद्यालय इस्लामपुर

- उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय गोरा

- मध्य विद्यालय रानीग्राम

- मध्य विद्यालय विनोदपुर

- मजहरुल उलूम मदरसा हस्तीपाड़ा

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झारखंड राज्य समग्र शिक्षा परियोजना की ओर से मई में जिले के सभी स्कूलों के वर्ग एक से आठ तक के बच्चों के बीच वितरण के लिए पुस्तक आई परंतु जब बरहड़वा प्रखंड के सात स्कूलों व मदरसों की जांच की गई तो पाया गया कि अबतक स्कूलों ने सौ फीसद पुस्तक का वितरण नहीं किया है। जबकि मदरसा ने तो पुस्तक का उठाव इसलिए नहीं किया कि वहां उर्दू में पढ़ाई की जाती है।

मंजूरानी स्वांसी, एनईपी निदेशक, साहिबगंज

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