करोड़ों ठगी के आरोपित कंपनी स्मोक के संचालक ने डाक से भेजा नो कोर्सिव ऑर्डर

रांची के सैकड़ों छात्रों को डाटा एंट्री के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाला कोर्सिव ऑर्डर ले लिया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 03:47 AM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 03:47 AM (IST)
करोड़ों ठगी के आरोपित कंपनी स्मोक के संचालक ने डाक से भेजा नो कोर्सिव ऑर्डर
करोड़ों ठगी के आरोपित कंपनी स्मोक के संचालक ने डाक से भेजा नो कोर्सिव ऑर्डर

जागरण संवाददाता, रांची :

रांची के सैकड़ों छात्रों को डाटा एंट्री के नाम पर करोड़ों ठग कर फरार स्मोक मल्टीप्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक कुमार शानू उर्फ अंकित की पुलिस तलाश कर रही है। इसबीच उसने हाईकोर्ट से नो कोर्सिव ऑर्डर (किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर रोक का आदेश) लेकर हिदपीढ़ी थाने को डाक से भेज दिया है। पुलिस ने जब देखा कि मामले में नो कोर्सिव ऑर्डर मिला है, तो पुलिस भी हैरत में पड़ गई। इस नो कार्सिव ऑर्डर में 11 नवंबर को अगली सुनवाई की तारीख भी रखी गई है। हालांकि पुलिस पूरे मामले का अनुसंधान कर रही है। पुलिस ठगी के शिकार लोगों का बयान लेकर चार्जशीट करने की तैयारी में है। बता दें कि पुलिस ने मेन रोड शर्मा लेन स्थित स्मोक कंपनी के कार्यालय को बीते 26 अगस्त को सील कर दिया था। पुलिस ने कंपनी संचालक कुमार शानू उर्फ अंकित के बिहार के खगड़िया जिले के गोगरी थाना क्षेत्र के बोरना में भी छापेमारी की थी। लेकिन वहां नहीं मिला था।

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मैनेजर की फरारी के बाद हुआ था बवाल, लूटा था कार्यालय :

बीेते 21 अगस्त को स्मोक मल्टीप्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक के फरार होने के बाद मेन रोड स्थित कार्यालय में छात्रों ने खूब बवाल किया था। बवाल के बीच ठगी शिकार पीड़ितों ने वहां का सारा सामान लूट लिया था। पुलिस को लाठीचार्ज भी करना पड़ा था। कार्यालय लूटने के दौरान किसी ने कंप्यूटर, कोई टेबल, कोई पंखा, कोई अलमारी लेकर चलता बना था। बता दें कि मामले में प्रीति मित्रा के बयान पर कंपनी के संचालक कुमार शानू उर्फ अंकित के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गई थी। करीब 300 से अधिक छात्रों ने हस्ताक्षरयुक्त शिकायत पत्र पुलिस को सौंपा है।

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हर महीने 15 से 20 हजार देने का दिया था झांसा :

ठगी के शिकार छात्रों को प्रति माह 15 से 20 हजार रुपये देने का सब्जबाग दिखाया गया था। तीन कैटेगरी में छात्रों को ज्वानिंग लेने के बाद उन्हें एक प्रिंटेड कॉपी के साथ 150 पेज का फॉर्म दिया गया। जिसे भरकर एक सप्ताह के भीतर जमा करना था। जमा करने पर हर सप्ताह तीन से पांच हजार रुपये देने का वादा किया गया। कई छात्रों को इसे भरने के एवज में उन्हें झांसे में लेने के लिए रुपये भी दिया गया है। इससे लगातार छात्र फंसते चले गए।

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