झारखंड: बहू सीता सोरेन के चक्‍कर में बुरे फंसे शिबू सोरेन, जानें पूरा मामला

Shibu Soren. नोट फॉर वोट मामले में सीता सोरेन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब अपने ही फैसले की समीक्षा करेगा। इस फैसले से शिबू शैलेंद्र व सूरज मंडल घेरे में आएंगे।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sat, 09 Mar 2019 07:57 AM (IST) Updated:Sat, 09 Mar 2019 10:42 AM (IST)
झारखंड: बहू सीता सोरेन के चक्‍कर में बुरे फंसे शिबू सोरेन, जानें पूरा मामला
झारखंड: बहू सीता सोरेन के चक्‍कर में बुरे फंसे शिबू सोरेन, जानें पूरा मामला

रांची/नई दिल्ली, जेएनएन/प्रेट्र। अपनी बहू के चक्‍कर में दिशोम गुरु बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। मामला सांसद घूस कांड से जुड़ा है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले की फिर से समीक्षा करने का आदेश दिया है। दरअसल झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की बहू सीता सोरेन झामुमो की विधायक हैं। उन पर 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव में पैसे लेकर एक प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के आरोप में आपराधिक मामला चल रहा है।

हाई कोर्ट ने आपराधिक मुकदमा रद करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उनके ससुर शिबू सोरन और उनकी पार्टी के चार सांसदों द्वारा 1993 में कथित रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान के लिए घूस लिए जाने वाला मामला सामने आते ही फैसले की समीक्षा का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने इस फैसले पर दोबारा विचार का फैसला करते हुए कहा कि क्या किसी सांसद या विधायक को संसद या विधानसभा में बोलने या वोट के बदले नोट लेने की छूट है? क्या वह ऐसा करके आपराधिक मुकदमे से बचने का दावा कर सकता है? बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने यह तय करने के लिए 21 साल पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) घूस कांड में दिए गए अपने फैसले पर दोबारा विचार का फैसला किया है। जिससे एक बार फिर शिबू सोरेन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

शीर्ष अदालत के इस फैसले का मतलब है कि झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन, शैलेंद्र महतो, सूरज मंडल व अन्य आरोपी एक बार फिर कठघरे में खड़े होंगे। प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने सीता सोरेन की याचिका को वृहद पीठ के पास भेज दिया है। सीता सोरेन भी झामुमो की विधायक हैं। उन पर 2012 में हुए राज्यसभा चुनाव में पैसे लेकर एक प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के आरोप में आपराधिक मामला चल रहा है।

हाई कोर्ट ने आपराधिक मुकदमा रद करने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सीता सोरेन झामुमो घूस कांड में आरोपी रहे शिबू सोरेन की बहू भी हैं। शिबू सोरन और उनकी पार्टी के चार सांसदों ने 1993 में कथित रूप से तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ मतदान के लिए घूस लिया था।

सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को 1998 में पीवी नरसिम्हा राव बनाम सीबीआइ के मामले में पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले पर विचार किया। पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि संविधान ने सांसदों को सदन में दिए गए उनके भाषणों और वोट के मामले में आपराधिक केस से छूट प्रदान की है।

कांग्रेस की सरकार बचाने के लिए झामुमो पर तीन करोड़ लेने का था आरोप
झामुमो के चार सांसदों ने 1993 में विश्वास मत के दौरान पैसे लेकर कांग्रेस ने पीवी नरसिंह राव की सरकार के समर्थन में वोट डाले थे। इसके लिए उन्हें तीन करोड़ रुपये दिए गए थे। आरोप शिबू सोरेन, सूरज मंडल, शैलेंद्र महतो व साइमन मरांडी पर लगा था। बाद में मामले की सुनवाई के दौरान झामुमो की ओर से दलील दी गई थी यह राशि रिश्वत की नहीं बल्कि चंदे की है।

डेढ़ करोड़ के लेनदेन में फंसीं हैं सीता
सीता सोरेन पर मार्च 2012 में राज्यसभा चुनाव के दौरान डेढ़ करोड़ रुपये के हार्स ट्रेडिंग का आरोप है। पूरे मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। वर्ष 2014 में सीता सोरेन के फरार रहने पर उनके धुर्वा सेक्टर-3 स्थित विधायक आवास की कुर्की जब्ती भी की गई थी। सीता सोरेन इस मामले में जेल भी जा चुकी हैं। सीबीआइ का कहना था कि निर्दल प्रत्याशी आरके अग्रवाल ने डेढ़ करोड़ रुपये में वोट देने के लिए झामुमो विधायक सीता सोरेन को तैयार किया था। अग्रवाल से पैसा सीता के पिता बी माझी ने लिया था।

अदालत ने क्या निर्देश दिया है इसे मैने अभी नहीं देखा है। निर्देश का अध्ययन करने के बाद हीं इसपर कोई प्रतिक्रिया देना उचित होगा।हेमंत सोरेन, कार्यकारी अध्यक्ष, झामुमो।

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