आज से 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे सूर्य, भीषण गर्मी के आसार

रांची चंद्रमा जहां शीतलता प्रदान करता है वही सूरज गर्मी का प्रतीक है। आज से 15 दिनों तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 02:22 AM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 02:22 AM (IST)
आज से 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे सूर्य, भीषण गर्मी के आसार
आज से 15 दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे सूर्य, भीषण गर्मी के आसार

जागरण संवाददाता, रांची : चंद्रमा जहां शीतलता प्रदान करता है वही सूरज गर्मी का प्रतीक है। प्रत्येक साल कुछ समय ऐसा होता है जब सूर्य की तपिश काफी तीक्ष्ण होती है जो कि बर्दाश्त से बाहर होता है। इसे सामान्य भाषा में नौतपा कहा जाता है। इस वर्ष यह नौपता 25 मई से शुरू हो रहा है। नौतपा के कारण गर्मी बढ़ने लगती है। इस दौरान तापमान बेहद उच्च होता है। उत्तर भारत में गर्म हवाएं यानि लू चलने लगती है। नौपता में 9 दिनों तक गर्मी अपने चरम पर होती है। इसका संबंध च्योतिष से जुड़ा है।

च्योतिष की गणना के अनुसार, जब सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो यह प्रारंभ हो जाता है। रोहिणी नक्षत्र पर सूर्य के प्रारंभ के 9 दिनों तक भीषण गर्मी के होते हैं। इस साल सूर्य का इस नक्षत्र में 24 मई की देर रात्रि से आठ जून तक रहेगा। वहीं, नौतपा नौ दिनों के बजाय इस बार सिर्फ सात दिनों का ही होगा। रोहिणी नक्षत्र में आ रहे हैं सूर्य : आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता प्रदान करते हैं। इस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र मे आ रहे हैं। सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र और बृष राशि मे 10 से 20 अंश तक रहता है तब नौतपा होता है। इसके बाद 8 जून से सूर्य का प्रवेश मृगशिरा नक्षत्र पर होगा। यह मंगल का नक्षत्र है। यहा सूर्य 21 जून तक रहेगा। इस दौरान आधी तूफान आदि का होता है। इसके बाद सूर्यदेव वर्षा के प्रथम नक्षत्र आद्रा पर पहुंचेंगे। कभी पानी तो कभी छाया : आद्रा के मालिक राहु हैं जो छाया ग्रह है। इस दौरान कभी पानी तो कभी छाया रहेगा। 21 जून से वर्षा का प्रारंभ होगा। आद्रा से स्वाति तक वर्षाकाल कहलाता है। इस दौरान भारत के लगभग सभी भाग में अच्छी बारिश होती है। इस वर्ष मॉनसून अच्छा होगा और बारिश भी अच्छा होगी। कृषि जगत में खुशहाली होगी। कुछ कीट पतंगों का भी नुकसान झेलना होगा। नौतपा के दौरान महिलाओं को मेहंदी लगाने की परंपरा है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। इसके अलावा दान का भी बहुत महत्व है। इस दौरान जल जलपात्र और मौसम के अनुसार फल दान करना चाहिए।

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