देश की समस्या का समाधान विवेकानंद के विचारों में

स्वामी विवेका नंद के शिकागो मे अभिभाषण की 126वीं जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। द्रौपदी मुर्मू न ेयुवाओं को विवेकानंद के पदचिन्हों पर चलने को कहा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 09:52 AM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 09:52 AM (IST)
देश की समस्या का समाधान विवेकानंद के विचारों में
देश की समस्या का समाधान विवेकानंद के विचारों में

जागरण संवाददाता, रांची :

शिकागो में 126 वर्ष पूर्व आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे युवा विवेकानंद का भाषण ऐतिहासिक था। भारतवर्ष को उन्होने सभी धर्मो की जननी कहा था और विश्व पटल पर देश की छवि को उभरा था। उनके विचारों और राष्ट्र के प्रति उनके चिंतन पर चर्चा के उद्देश्य से आड्रे हाउस में गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू उपस्थित हुई। उन्होने विवेकनंद को नमन किया और युवाओं को उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

संगोष्ठी का शुभारंभ विवेकानंद की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के रूप में आरएसएस के क्षेत्र संघ चालक सिद्धनाथ सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता सुमन कुमार, वार्ड 19 की पार्षद रोशनी खलखो एवं कार्यक्रम संयोजक सचदेव मुंडा उपस्थित रहे।

विवेकानंद ने दुनिया को सहनशीलता का पाठ पढ़ाया -

राज्यपाल ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो यात्रा का वर्णन किया और उनके भाषण पर विस्तृत चर्चा की। उन्होने कहा कि विवेकानंद ने ही सहनशीलता व सार्वभौमिकता का पाठ सभी देशों को पढ़ाया है। गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर के कथन की याद दिलाई जिसमें उन्होने कहा है कि यदि भारत को जानना है, तो विवेकानंद को पढ़ना चाहिए। देश की वर्तमान स्थिति को बताते हुए राज्यपाल ने असीम ताकत और उम्मीद की ओर इशारा करते हुए कहा कि देश की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवाओं की है। इन युवाओं का सही प्रयोग ही देश का सबसे पहला कर्तव्य है। कौशल विकास जैसे कदम से हम रोजगार पैदा कर रहे हैं जिससे देश के युवाओं को सही दिशा प्रदान की जा सके। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि वे नेकी की राह अपनाएं। युवाओं को विवेकानंद के चिंतन से सीखने की आवश्यकता -

आरएसएस के क्षेत्रीय संचालक सिद्धनाथ सिंह ने देश के निर्माण में विवेकानंद के विचारों की महत्ता को बताया। उन्होने कहा कि देश के युवा इस बात का निर्णय करें कि आने वाले दिनों में देश किस ओर जा रहा होगा। बदलते परिवेश में कैसे लोगों की सोंच बदली है इस पर उन्होने विस्तार से अपने विचार रखे। सिद्धनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि आज की खुशी का पैमाना केवल अपना सुख ही नहीं, दूसरों का दुख भी है। सर्वे भवंतु सुखीन: का संदेश देने वाला राष्ट्र आज विकृतियों से भरा है। ऐसे में जरूरी है कि विवेकानंद के विचारों को अपनाया जाए। उनके चिंतन के बारे में युवा पढ़े और सीखे। भारत माता के बारे में कहते हुए उन्होने भारत हमारी मां है गीत गाया। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी वेदना की प्रस्तुति, अभिव्यक्ति सही तरीके से होनी चाहिए।

स्वागत भाषण में पार्षद रोशनी खलखो ने धर्मातरण की बात कही। उन्होने कहा कि कुछ असामाजिक तत्वों के द्वारा सेवा भाव की आड़ में धर्मांतरण का कार्य धड़ल्ले से चल रहा है। भारत की अखंडता को जातिवाद के नाम पर तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता सुमन कुमार ने देश की सनातन संस्कृति का जिक्र किया। उन्होने कहा कि पहले युवा देश के बाहर जा कर देश का संदेश दे रहे थे और आज के युवाओं के हाथ में हथियार और पत्थर है। युवाओं को सही दिशा देने की जरूरत है जिससे वे देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन संयोजक सचदेव मुंडा और मंच संचालन अनिल कुमार ने किया।

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