पीने के पानी ने गांववालों को बनाया अपंग, सरकार ने कहा गांव छोड़ो; यहां 69 साल का सबसे बुजुर्ग व्‍यक्ति

झारखंड के पलामू के चुकरू गांव के स्थानीय लोगों का दावा है कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी से गाँव के लोगों में शारीरिक अक्षमता बढ़ रही है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 27 Nov 2019 09:00 AM (IST) Updated:Wed, 27 Nov 2019 03:05 PM (IST)
पीने के पानी ने गांववालों को बनाया अपंग, सरकार ने कहा गांव छोड़ो; यहां 69 साल का सबसे बुजुर्ग व्‍यक्ति
पीने के पानी ने गांववालों को बनाया अपंग, सरकार ने कहा गांव छोड़ो; यहां 69 साल का सबसे बुजुर्ग व्‍यक्ति

रांची, [जागरण स्‍पेशल]। झारखंड के पलामू में पीने के पानी ने एक पूरे गांव को उजाड़ दिया है। पानी में फ्लोराइड की मात्रा यहां इतनी अधिक है कि गांव में 50 साल से अधिक किसी की जिंदगी नहीं चलती। गांव की वर्तमान हालत ऐसी है कि यहां का सबसे बुजुर्ग व्‍यक्ति 69 साल का है। चुकरू गांव के ग्रामीणों का दावा है कि पीने के पानी में फ्लोराइड की मौजूदगी से गांव के लोगों में शारीरिक अक्षमता बढ़ रही है। बड़ी संख्‍या में यहां के लोग अपंग हो गए हैं। एक ग्रामीण राजेश्वर पाल बताते हैं कि दूषित पानी ने हमारी हड्डियों को बुरी तरह से टेढ़ा-मेढ़ा कर दिया है। लगातार फ्लोराइड मिश्रित पानी पीने से हमारी दांतों को नुकसान पहुंचा है। यहां अपंगता के कारण कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं।

ग्रामीण राजेश्वर पाल की शब्‍दों में कहें तो यहां के वे सबसे बजुर्ग व्‍यक्ति हैं। उनकी उम्र 69 साल है। बताया गया कि पिछले 25 वर्षों से गांव वाले इस बड़ी समस्‍या से दो-चार हो रहे हैं। गांव में अभी कोई भी व्‍यक्ति 50 साल से ऊपर का नहीं है। पीने के शुद्ध पानी के लिए किए गए सरकारी प्रयासों के बारे में उन्‍होंने कहा कि सरकार ने हमें यह जगह छोड़ने का सुझाव दिया है। लेकिन, हम सभी विकलांग हैं। हम कहीं और कैसे अपनी जिंदगी चला सकते हैं?

कई लोगों की हो चुकी है मौत, दर्जनों प्रभावित

दिव्यांगता के कारण चुकरू पंचायत के नेवाटीकर निवासी 45 वर्षीय दशरथ उरांव, 50 वर्षीय जय गोपाल, 40 वर्षीय नरेश उरांव आदि की मौत हो चुकी है। गांव के पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने के कारण 70 प्रतिशत घरों के लोग दिव्यांगता के शिकार हैं।   गांव के ही बाबूलाल, गणेश राम, हीरामती देवी आदि दिव्यांगता के कारण चलने के लायक भी नहीं हैं। 60 वर्षीय गणेश राम व सुदामा राम खाट पर पड़े हैं। हीरामती देवी ठीक से खड़ी भी नहीं हो पाती है। स्व दशराम उरांव की पत्नी अनीता कुंवर चलने के लायक भी नहीं रही।

बखारी गांव निवासी हरिदास राम का 15 वर्षीय पुत्र नवम कक्षा का छात्र विकास कुमार, स्व मंगरू राम की 50 वर्षीया पत्नी मुर्ती देवी, बड़ा पुत्र बबलू राम व छोटा पुत्र छोटू राम  दिव्यांगता से पीड़ित हैं। सबका एक ही दर्द है कि गांव का पानी फ्लोराइडयुक्त है।  करोड़ों की लागत से चुकरू पेयजलापूर्ति योजना चालू की गई। बावजूद साल भर से शुद्ध पेयजल नसीब नहीं है। योजना बनने के एक-दो वर्ष तक पानी मिला। इसके बाद से हाल बदहाल है। विवशता के कारण चापाकल व कुआं का फ्लोराइडयुक्त पानी पीना पड़ रहा है।  

चार ग्राम पंचायतें फ्लोराइड की चपेट में

मेदिनीनगर सदर प्रखंड के चार पंचायत कौड़िया, सुआ, चियांकी व सरजा गांव के पानी में अधिक फ्लोराइड है। इन गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए कई बार सरकार व विभाग ने प्रयास किया । बावजूद  यह सफल नहीं हो रहा है।  

करोड़ों खर्च लेकिन चुकरु गांव को नहीं मिला शुद्ध पानी

करोड़ों रुपया खर्च होने के बावजूद मेदिनीनगर सदर प्रखंड के फ्लोराईड प्रभावित चुकरू  गांव समेत नेवाटीकर व बखारी में  कई लोगों की दिव्यांगत के कारण जान जा चुकी है। इसे देख यहां करोड़ों रूपए की पेयजल आपूर्ति योजना को धरातल पर उतारा गया। बावजूद यह यह योजना ग्रामीणों के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है । इस कारण चुकरू व आसपास के ग्रामीण फ्लोराइड युक्त पानी पीने को विवश हैं। 11 फरवरी 2019 से पेयजल आपूर्ति पूरी तरह बंद है। विभागीय सूत्रों के अनुसार चुकरू में कोयल नदी तट पर बना पंप हाउस में बालू भर गया है। इस कारण पेयजलापूर्ति ठप है। करीब  50 माह बीत जाने के बावजूद अभी तक पंप हाउस से बालू नहीं निकाला गया। अधिक फ्लोराइडयुक्त पानी पीने के कारण तीन वर्षों में दर्जनभर लोगों की मौत हो चुकी है।

चुकरू गांव में फ्लोराइड से निपटने के लिए पेयजल स्वच्छता विभाग ने एंटी फ्लोराइड फिलटर का इस्तेमाल किया। इस से ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिलने लगा था। करीब 6 माह से एंटी फ्लोराइड फिल्टर मशीन भी खराब पड़ी है। अधिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोग दिव्यांग हो रहे हैं । उनके शरीर अकड़ जाते हैं । 15 से 20 वर्षों के अंदर उनकी मौत हो जाती है । ग्रामीणों का कहना है कि अधिक फ्लोराइड युक्त पानी पीने से मुक्ति मिलती तो हम लोगों की आयु बढ़ जाती है।

दो चरणों में तीन करोड़ रुपए हो चुके हैं खर्च

पेयजल स्वच्छता विभाग चुकरू व आसपास के ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए तीन करोड़ रुपया खर्च कर चुका है ।बावजूद गांव के लोग अभी भी अधिक फ्लोराइड युक्त चापाकल का पानी पीने को विवश है। प्रथम चरण में एक करोड़ 71 लाख रुपया खर्च कर पाइप बिछाया गया था । बावजूद पेयजल आपूर्ति नहीं हुई। विभाग ने पुन: एक करोड़ 44  रूपया खर्च कर पीने की पानी की व्यवस्था की । बावजूद लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है । मजबूर ग्रामीण लंबी दूरी तय कर साइकिल से कोयल नदी में चुआंड़ी खोदकर पानी ला रहे हैं।

पेयजल में फ्लोराइड की अत्याधिक मात्रा मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है। दांत खराब करता है। हड्डी को कमजोर करता है। साथ ही इससे बोन कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। पलामू के कई जगहों पर पानी में अत्याधिक फ्लोराइड पाया जाता है। इससे ग्रसित कई मरीज इलाज के लिए पहुंचे भी हैं। भूमिगत एक लीटर पानी में फ्लोराइड का मात्रा 0.2 से 0.5 तक होना चाहिए। मापदंड से ज्यादा फ्लोराइड रहने की स्थिति में फ्लोराइड मानव शरीर के लिए घातक बनने लगता है। डा. रोहित पांडेय, चिकित्सा पदाधिकारी, पीएमसीएच, पलामू।

रेलवे विभाग के कार्य के दौरान चुकरु पेयजलापूर्ति योजना की पाइप टूट गई थी। इसकी मरम्मत करा दी गई है। इसके बाद नदी में स्थित जैकवेल में भी बालू भर गया है। जैकवेल से बालू बाहर निकालने की प्रक्रिया चल रही है। बालू बाहर निकलते ही पेयजलापूर्ति सुचारू रूप से संचालित होने लगेगी। अजय कुमार सिंह, कार्यपालक अभियंता, पेयजल स्वच्छता विभाग, मेदिनीनगर, पलामू।

चुकरू पेयजलापूर्ति योजना गत कई माह से बंद है। पेयजल स्वच्छता विभाग की लापरवाही के कारण लोगों को फ्लोराइड युक्त पानी पीना पड़ रहा है। पेयजलापूर्ति योजना की पाइप टूट गई थी। इसका मरम्मत कार्य अभी पूरा नहीं किया गया है। इस इस मामले को प्रखंड 20 सूत्री की बैठक में उठाया गया था। बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। राजेश विश्वकर्मा,सदस्य, सदर प्रखंड 20सूत्री समिति, मेदिनीनगर, पलामू।

chat bot
आपका साथी