मुख्यमंत्री ने बीपीएल मरीज को मेदांता से मुक्त कराया

रांची : शहर के निजी अस्पताल मेदांता ने बिल न चुकाने के नाम पर लातेहार जिला के ग्राम चोपे निवा

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Feb 2018 12:25 AM (IST) Updated:Fri, 09 Feb 2018 12:25 AM (IST)
मुख्यमंत्री ने बीपीएल मरीज को मेदांता से मुक्त कराया
मुख्यमंत्री ने बीपीएल मरीज को मेदांता से मुक्त कराया

रांची : शहर के निजी अस्पताल मेदांता ने बिल न चुकाने के नाम पर लातेहार जिला के ग्राम चोपे निवासी किसान मोहम्मद अयूब अली उर्फ अयूब मिया को बंधक बना लिया था। अयूब को करीब दो माह पहले मेदाता में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उसे मुक्त कराया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि बीपीएलधारी अयूब को अब एक पैसा भी अतिरिक्त नहीं देना है। साथ ही चेतावनी दी है कि कोई भी अस्पताल बिना वजह मरीज से अधिक पैसा न मांगे। ऐसी शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

अयूब के पुत्र आरीफ आलम एवं इमदाद अख्तर ने बताया कि 8 दिसंबर 2017 को उन्होंने अपने पिता को मेदांता में भर्ती कराया था। उनके ब्रेन में पानी जमा हो गया था। चिकित्सकों ने कहा इसका ऑपरेशन करना होगा।

डॉक्टर ने कुल डेढ़ लाख रुपये का खर्च बताया था। परिजनों ने जमीन बेचकर व गिरवी रखकर किश्तों में डेढ़ लाख रुपये का भुगतान किया। इसी बीच अस्पताल प्रबंधन को बताया गया कि यह मरीज बीपीएलधारी भी हैं। प्रबंधन ने बताया कि सरकारी प्रावधान के तहत बीपीएल की राशि आ जाने के बाद आपके डेढ़ लाख रुपये वापस कर दिए जाएंगे। फिर अस्पताल ने इलाज के एवज में कुल दो लाख उनतीस हजार पाच सौ पचीस रुपये बीपी संट के ऑपरेशन का प्राक्कलन बना कर दिया गया। परिजनों के आवेदन पर मुख्यमंत्री असाध्य रोग योजना के तहत लातेहार के सिविल सर्जन ने मेदाता प्रबंधन को राशि उपलब्ध करा दी। 12 दिसंबर 2017 को मरीज की बीमारी बीपी संट का ऑपरेशन हुआ।

अस्पताल प्रबंधन ने जमा डेढ़ लाख रुपये वापस करने के बजाय और 9,85,063 (नौ लाख पचासी हजार तिरेसठ) रुपये की माग की। पैसे नहीं देने पर मरीज को अस्पताल से नहीं छोड़ने की बात कही गई।

परिजनों ने अपनी बदहाली बताते हुए एक भी रुपया दे पाने में असमर्थता जताई। परिजनों का आरोप था कि अस्पताल की गलती से लंबे समय तक मरीज को अस्पताल में रहना पड़ा।

लाचार होकर अयूब के पुत्र इमदाद अख्तर ने 3 फरवरी को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अयूब को अस्पताल से मुक्त कराने की गुहार लगाई। कहा कि उनके पिता को अस्पताल प्रबंधन ने लगभग दो माह से बंधक बना रखा है। छोड़ने की बात कहने पर राशि जमा कराने एवं ज्यादा कुछ करने पर झूठे मामले में फंसा देने की धमकी दी जा रही है। उसने आवेदन की कॉपी सोशल मीडिया में डाल दी। आवेदन में परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टरों और नसरें पर इलाज में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री सचिवालय से जारी पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने मेदांता अस्पताल द्वारा 9.85 लाख रुपये को लेकर बीपीएल मरीज अयूब अली को बंधक बनाने की शिकायत को गंभीरता से लिया है। उन्हें कोई अतिरिक्त राशि दिए बगैर छोड़ देने की बात कही है।

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मरीज को 18 जनवरी को डिस्चार्ज कर दिया गया था। लेकिन परिजन उन्हें ले नहीं गए। इसके बाद इलाज का खर्च बढ़ता गया। गुरुवार को माइक से एनाउंस किया जा रहा है कि मरीज को बगैर पैसा दिए ले जाएं।

- रविशंकर सिंह, यूनिट हेड, मेदांता।

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उच्चाधिकारियों से निर्देश मिलने के बाद मैंने मेदांता में एंबुंलेंस भेजा है। मरीज को वहां से मंगाकर घर भेजा जाएगा।

- शिवशंकर हरिजन, सिविल सर्जन, रांची।

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रात में मेरे पिता की तबीयत पुन: बिगड़ गई है। इसलिए आज रुक गया हूं। कल रिम्स में भर्ती कराएंगे।

- इमदाद अख्तर, अयूब के पुत्र।

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