झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका

झारखंड में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा से टक्कर लेने के लिए विपक्षी धड़ा एकजुट रहने की हरसंभव कोशिश करेगा।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 01 Jun 2018 10:30 AM (IST) Updated:Fri, 01 Jun 2018 10:39 AM (IST)
झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका
झारखंड में मिला विपक्षी एकता को बल, भाजपा के लिए संभलने का एक मौका

जेएनएन, रांची। झारखंड की सिल्ली व गोमिया विधानसभा उपचुनाव का परिणाम कई मायने में अहम है। इससे उपचुनाव के ऐन पहले अस्तित्व में आया विपक्षी गठबंधन जहां मजबूत हुआ है। वहीं, इस धड़े की अगुवाई कर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन का कद बढ़ा है। परिणाम से यह भी स्पष्ट है कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा से टक्कर लेने के लिए विपक्षी धड़ा एकजुट रहने की हरसंभव कोशिश करेगा। हालांकि अभी यह दूर की कौड़ी है क्योंकि कई सीटों पर तालमेल में जिच भी होगी।

इसकी सुगबुगाहट भी शुरू हो चुकी है। लेकिन भाजपा को पीछे धकेलने के लिए गठबंधन कर चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प इनके पास नहीं है। उपचुनाव के परिणाम से गठबंधन के फार्मूले को बल मिलेगा। हेमंत सोरेन ने सफलतापूर्वक भाजपा विरोधी तमाम दलों को उपचुनाव के पूर्व एक मंच पर लाने में कामयाबी पाई। वह तमाम नेताओं से मिले। वामदलों के दफ्तरों के चक्कर लगाए।

पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को भी विश्वास में लेने में सफलता पाई। इससे पूर्व राज्यसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस प्रत्याशी धीरज प्रसाद साहू के पक्ष में हेमंत सोरेन ने तगड़ी लामबंदी की थी। राज्यसभा चुनाव में विधायकों की ज्यादा संख्या रहने के बावजूद उन्होंने भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन का फैसला लिया था। कांग्रेस ने हेमंत सोरेन को अगले विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की घोषणा कर रखी है।

भाजपा के लिए संभलने का एक मौका

गोमिया में पूरी ताकत झोंकने के बाद भी भाजपा तीसरे स्थान पर पहुंच गई। पार्टी प्रत्याशी माधव लाल को पिछले विधानसभा चुनाव से 18,219 हजार वोट कम मिले। पिछले विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 60,251 मत मिले थे, इस बार आंकड़ा घटकर 42,037 रह गया। गोमिया में भाजपा का मत 10 प्रतिशत तक गिरा। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को यहां 34.06 प्रतिशत मत मिले थे। इस चुनाव में यह 24.16 प्रतिशत पर ही रुक गया।

मिशन 2019 के लिए भाजपा ने झारखंड में लोकसभा की सभी 14 और विधानसभा में 60 प्लस सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पचास फीसद की लड़ाई की बात कही है। लेकिन उपचुनावों में एक चौथाई वोट भी नहीं मिले। जाहिर है, शाह की कसौटी पर प्रदेश भाजपा खरी नहीं उतरी। भाजपा इसका ठीकरा आजसू पर फोड़ खीज तो मिटा सकती है, लेकिन हकीकत से मुंह नहीं मोड़ सकती।

सिर्फ एक पर जीता एनडीए

2014 के विधानसभा चुनावों के बाद झारखंड में छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं। इनमें सिर्फ एक सीट पर एनडीए जीत दर्ज कराने में सफल रहा है। लोहरदगा के पहले उपचुनाव में कांग्रेस के सुखदेव भगत ने आजसू से सीट छीनी। 2016 में हुए पांकी व गोड्डा उपचुनाव में एक सीट कांग्रेस तो एक भाजपा के खाते में गई। पांकी से कांग्रेस के देवेंद्र कुमार सिंह ने जीत हासिल की तो गोड्डा से भाजपा के अमित कुमार मंडल विजयी हुए। पिछले वर्ष लिट्टीपाड़ा के उपचुनाव के नतीजे भी भाजपा के पक्ष में नहीं रहे। यहां झामुमो के साइमन मरांडी ने भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू को पराजित किया।

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