सृजित पदों पर 10 वर्षों से कार्यरत कर्मचारी होंगे नियमित, अब रात में भी काम कर सकेंगी महिलाएं Ranchi News

Jharkhand. राज्य में अब रात में भी महिलाएं काम कर सकेंगी। साथ ही पिछले 10 वर्षों से अनियमित रूप से काम कर रहे कर्मचारी अब नियमित होंगे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 18 Jun 2019 06:29 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jun 2019 10:19 AM (IST)
सृजित पदों पर 10 वर्षों से कार्यरत कर्मचारी होंगे नियमित, अब रात में भी काम कर सकेंगी महिलाएं Ranchi News
सृजित पदों पर 10 वर्षों से कार्यरत कर्मचारी होंगे नियमित, अब रात में भी काम कर सकेंगी महिलाएं Ranchi News
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Cabinet Meeting - झारखंड के विभिन्न विभागों में सृजित पदों के विरुद्ध कार्यरत अनियमित कर्मचारी नियमित होंगे। कैबिनेट ने इस बाबत झारखंड सरकार के अधीनस्थ अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। अब इस संशोधन के आलोक में सरकार नए सिरे से अधिसूचना जारी करेगी। अधिसूचना की तिथि से 10 साल पूर्व से कार्यरत कर्मी नियमितीकरण के दायरे में आएंगे।
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने नियमितीकरण की कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 निर्धारित की थी। बाद में इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक सिविल अपील दायर की गई, जिसमें एक अगस्त 2018 को कोर्ट ने निर्णय दिया। कोर्ट ने राज्यों को वहां की परिस्थितियों का आकलन करते हुए नियमावली बनाने तथा कट ऑफ डेट निर्धारित करने को कहा था। बहरहाल कैबिनेट ने कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के इस संशोधित प्रस्ताव को मंगलवार को सहमति दे दी है।
नियमितिकरण का दावा करने वाले कर्मियों को छह महीने के अंदर इससे संबंधित आवेदन देना होगा। कैबिनेट ने इसी तरह झारखंड पदोन्नति एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लिए) द्वितीय संशोधन अध्यादेश 2019 को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत पूर्व से संबंधित वर्गों के लिए चले आ रहे 50 फीसद आरक्षण के प्रावधान के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को 10 फीसद आरक्षण देने का भी प्रावधान किया गया है।
कैबिनेट के फैसले के अनुसार जिला स्तर पर पिछड़े वर्गों का हो रहे सर्वे तक आरक्षण का यह प्रावधान राज्य स्तर की नौकरियों के लिए प्रभावी होगा। सर्वे के बाद संबंधित वर्गों की आबादी के अनुरूप आरक्षण के प्रावधान से संबंधित अधिसूचना जारी होगी। वर्तमान में राज्य में अनुसूचित जातियों के लिए 10, अनुसूचित जनजातियों के लिए 26, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आठ तथा पिछड़ा वर्ग के लिए छह फीसद आरक्षण प्रभावी है।
रात में भी काम कर सकेंगी महिलाएं, ओवरटाइम की अवधि बढ़ी
कैबिनेट ने इसी कड़ी में कारखाना अधिनियम में भी संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत अब महिलाएं में रात में काम कर सकेंगी। इस संशोधन के तहत कैबिनेट ने ओवर टाइम की अवधि भी बढ़ा दी है। अबतक तीन महीने में 75 घंटे ओवर टाइम का प्रावधान था, जिसे बढ़ाकर महीने में 50 घंटे कर दिया है। एक अन्य फैसले में कैबिनेट ने अंशदायी पेंशन योजना के तहत कर्मियों को सेवानिवृत्ति और मृत्यु पर ग्रेच्युटी देने का निर्णय लिया है।
संताल की भूमि पर विवाद रहित कब्जेधारियों को मिलेगा प्रधानमंत्री आवास
कैबिनेट ने संताल परगना प्रमंडल की अविक्रयशील जमीन के मामले में भी एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। संबंधित क्षेत्र में जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक रहने की वजह से यहां की बड़ी आबादी दानपत्र, बदलनामा, हुकुमनामा समेत अन्य कागजात को आधार बनाकर कच्चे घरों में निवास कर रही है। सरकार अब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मुहैया कराएगी। यह आवास उन्हीं को जिनका संबंधित भूमि पर विवाद रहित कब्जा हो और ग्रामसभा तथा वार्ड समिति को उसपर कोई आपत्ति न हो।
कैबिनेट के अन्य फैसले गोड्डा की कजरिया बियर, खूंटी की ताजना बराज, तमाड़ की सुरंगी, सिमडेगा की कंसजोर और गढ़वा की बाईंबांकी सिंचाई परियोजना के जीर्णोद्धार व नहरों की लाइनिंग के लिए क्रमिक रूप से 34.55, 49, 49.73, 58.05 और 164.81 करोड़ रुपये की मिली प्रशासनिक स्वीकृति। गुमला, खूंटी, पाकुड़, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और साहिबगंज जैसे पिछड़े जिले के विकास के लिए अब संबंधित जिलों के उपायुक्त दे सकेंगे 10 करोड़ रुपये तक की विकास योजनाओं की स्वीकृति। झारखंड की माहिस्य जाति अत्यंत पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल। राज्य के नवांगीभूत महाविद्यालयों के लिए 26 छाया पदों का सृजन। सरकार ने जबसे किया है अधिग्रहित उसी समय से मिलेगा वेतन और प्रोन्नति का लाभ। 27.98 करोड़ का सरकार पड़ेगा बोझ। वक्फ बोर्ड में अब एक नहीं तीन सदस्य होंगे। अति कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के लिए चलेगी पीवीटीजी ग्रामोत्थान योजना। पीवीटीजी बाहुल्य गांवों का होगा सर्वांगीण विकास। अविभाजित बिहार में विभिन्नों निगमों और बोर्डों से अंगीकृत 78 कर्मियों को नहीं देनी होगी हिंदी प्रारूपण परीक्षा। मिलेगा एसीपी और एमसीपी का लाभ। सरकार पर 15 करोड़ का पड़ेगा बोझ।

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