राज्य व केंद्र के बीच विवादित मुद्दे सुलझाएगा नीति आयोग, कोयला रायल्टी भी है मुद्दा

झारखंड और केंद्र सरकार के बीच विवादित मुद्दों को सुलझाने की कवायद तेज हो गई है। नीति आयोग की टीम ने 15 सितंबर को राज्य का दौरा किया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संग बैठक में कई बिंदुओं पर राज्य सरकार की आपत्तियों से नीति आयोग को अवगत कराया गया था।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 10:30 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 10:30 AM (IST)
राज्य व केंद्र के बीच विवादित मुद्दे सुलझाएगा नीति आयोग, कोयला रायल्टी भी है मुद्दा
नीति आयोग राज्य व केंद्र के बीच विवादित कोयला रायल्टी समेत अन्य मुद्दे सुलझाएगा।

रांची,राब्यू। झारखंड और केंद्र सरकार के बीच विवादित मुद्दों को सुलझाने की कवायद तेज हो गई है। नीति आयोग ने इसमें पहल की है। नीति आयोग की टीम ने बीते 15 सितंबर को राज्य का दौरा किया था। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन संग बैठक में कई बिंदुओं पर राज्य सरकार की आपत्तियों से नीति आयोग को अवगत कराया गया था। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आयोग के अधिकारियों से कहा था कि झारखंड को केंद्र से उसका हक मिलना चाहिए।

दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) का बकाया विवाद, कोयले खनन मद में रायल्टी, जीएसटी का मुआवजा सहित ऐसे कई बिंदु हैं, जिस पर झारखंड की केंद्र से अपेक्षाएं हैं। नीति आयोग ने उन तमाम बिंदुओं पर विस्तृत प्रतिवेदन राज्य सरकार से मांगा है ताकि सभी पक्षों के साथ समन्वय स्थापित कर समाधान के बिंंदु तक पहुंचा जाए। नीति आयोग ने अपने दौरे के क्रम में राज्य सरकार की सराहना की थी। आयोग का निष्कर्ष था कि कोरोना से निपटने की दिशा में झारखंड में बेहतर कार्य हुए।

विवाद का बड़ा कारण डीवीसी बकाया कटौती

केंद्र और राज्य सरकार के बीच जिच इस बात को लेकर है कि पूर्ववर्ती सरकार का बकाया सीधे झारखंड के आरबीआइ खाते से काट लिया गया। अभी तक तीन अलग-अलग किश्त काटी जा चुकी है। जबकि राज्य सरकार ने डीवीसी से त्रिपक्षीय समझौता समाप्त कर हर माह बकाया का भुगतान करने का भरोसा दिलाया था। इस दिशा में कार्य करते हुए किश्त भी जारी की गई, लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सीधे आरबीआइ खाते से राशि काट ली। वहीं केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने तर्क दिया कि पूर्व के त्रिपक्षीय समझौते को एकतरफा समाप्त नहीं किया जा सकता और इसके मुताबिक राशि में कटौती का अधिकार है। डीवीसी का राज्य सरकार पर 5500 करोड़ से अधिक का बकाया है। इधर राज्य सरकार का भी कहना है कि बिजली आपूर्ति मद में उसका केंद्रीय उपक्रमों पर लगभग 1400 करोड़ रुपये का बकाया है।

कोयला रायल्टी भी मुद्दा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कोयला खनन के एवज में रायल्टी के भुगतान को लेकर भी आवाज उठाते रहे हैं। कोल कंपनियों ने राज्य में 53 हजार एकड़ से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया है, इस एवज का बकाया अब तक नहीं चुकाया गया। कोयला खनन के एवज में भी भुगतान का प्रविधान है। इस मद में राज्य का केंद्र पर 56 हजार करोड़ से अधिक का दावा है।

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