मां के मुस्कुराने की वजह बनीं हैं बेटियां, निक्की समेत चारों बेटियों ने किया गौरवान्वित

एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही जैसे ही निक्की ने मां के पांव छुए उनकी आंखें नम हो गई और लाडली को गले से लगा लिया।

By Edited By: Publish:Fri, 07 Sep 2018 07:53 AM (IST) Updated:Fri, 07 Sep 2018 05:02 PM (IST)
मां के मुस्कुराने की वजह बनीं हैं बेटियां, निक्की समेत चारों बेटियों ने किया गौरवान्वित
मां के मुस्कुराने की वजह बनीं हैं बेटियां, निक्की समेत चारों बेटियों ने किया गौरवान्वित

संजीव रंजन, रांची। जकार्ता एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य निक्की प्रधान के रांची पहुंचने से तकरीबन एक घंटे पूर्व ही उनकी मां जितन देवी अपनी सबसे प्यारी बेटी के स्वागत के लिए अपनी बेटियों के साथ बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंच गई थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे मुस्कुराने की वजह मेरी बेटियां हैं। निक्की समेत चारों बेटियों ने मेरी जिंदगी खुशियों से भर दी। खूंटी के हेसल गांव की रहने वाली जितने देवी भले ही हिंदी अच्छी तरह नहीं बोल पाती हैं, लेकिन उसकी आंखों में चमक देखते ही बनती थी। ढोल नगाड़ों की थाप के बीच वह चुपचाप उस दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठी थी जहां से उनकी लाडली निकलने वाली थी।

एयरपोर्ट से बाहर निकलते ही जैसे ही निक्की ने मां के पांव छुए उनकी आंखें नम हो गई और लाडली को गले से लगा लिया। कुछ क्षण बेटी को निहारते रही इसके बाद निक्की मिठाई का टुकड़ा बढ़ाते हुए मां से बोली मुंह खोलो मां। इसके बाद बातचीत के क्रम में जितन देवी ने कहा कि मेरी चार बेटियां हैं और चारों ने सही मायने में मुझे जिंदगी में मुस्कुराने की वजह दी है। चारों हॉकी खिलाड़ी हैं। जबकि एक बेटा है जो अभी पढ़ाई कर रहा है। मेरे घर की खुशियों की वजह मेरी बेटियां ही है। मुझे अपनी बेटियों पर नाज है। निक्की के आने से घर की रौनक बढ़ गई। बेटियों की वजह से मैं उस जगह जा पहुंची हूं जहां मैं सोचती तक नहीं थी। आज जब लोग हमें सम्मान से मेरी बेटियों के माता पिता के नाम से बुलाते हैं तो सर गर्व से उठ जाता है। मेरी बेटियों ने परिवार को वह गौरव के पल दिए हैं जो कई बेटे नहीं दे सकते। 

निक्की की सभी बहनें खेलती हैं हॉकी निक्की प्रधान की तीन बहनें शशि प्रधान, कांति प्रधान व सरीमा प्रधान भी हॉकी खिलाड़ी हैं जबकि एक छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है। शशि प्रधान भारतीय महिला टीम की सदस्य रह चुकी हैं। जबकि कांति प्रधान राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी है। सरीमा भी राज्यस्तरीय हॉकी खिलाड़ी है।

पदक लेकर प्रधानमंत्री के साथ खड़ा होना जीवन का गौरवपूर्ण क्षण बातचीत के क्रम में निक्की प्रधान ने कहा कि एशियाई खेलों में सोना नहीं ला पाने से टीम में मायूसी थी तो रजत जीतने की खुशी भी थी। लेकिन जब मैं रजत पदक के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी हुई तो वह पल मेरे जीवन का सबसे यादगार पल बन गया। रियो ओलंपिक में जाने से पहले भी प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का मौका मिला था, लेकिन बुधवार का दिन मेरे जीवन का स्वर्णिम दिन था। एक आम नागरिक की तरह उन्होंने हमलोगों का हौसला बढ़ाया। हमें लगा ही नहीं कि हम प्रधानमंत्री के साथ हैं। स्वर्ण से चूकने के संबंध में पूछे जाने पर निक्की ने कहा कि मैच के दौरान गोल करने के मिले मौके का लाभ नहीं उठा पाने के कारण ही हम गोल्ड नहीं जीत पाए। अब हमारा ध्यान ओलंपिक क्वालीफाइंग पर है और उसमें हम बेहतर करेंगे।

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