सुखाड़ का साया: बारिश रूठी तो बिगड़ गए हालात, जानिए झारखंड के हर जिले का सूरत-ए-हाल

झारखंड के एक दर्जन जिले और 125 से अधिक प्रखंड सुखाड़ से प्रभावित हैं। सूखा का सर्वाधिक असर पाकुड़ और कोडरमा जिले में देखने को मिल रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Thu, 01 Nov 2018 04:24 PM (IST) Updated:Thu, 01 Nov 2018 04:24 PM (IST)
सुखाड़ का साया: बारिश रूठी तो बिगड़ गए हालात, जानिए झारखंड के हर जिले का सूरत-ए-हाल
सुखाड़ का साया: बारिश रूठी तो बिगड़ गए हालात, जानिए झारखंड के हर जिले का सूरत-ए-हाल

रांची, जेएनएन। खरीफ फसल के दौरान बारिश का उतार-चढ़ाव का सीधा असर राज्य की मुख्य फसल धान पर पड़ा है। शुरुआती दौर में अच्छी बारिश हुई। ऐसे में धान की खेती भी अच्छी हुई लेकिन जब फसल को बारिश की सबसे ज्यादा जरूरत थी तब वह रूठ गई। नतीजा सामने है। कृषि विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट बताती है कि राज्य के एक दर्जन से अधिक जिले और 125 से अधिक प्रखंड सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुए हैं।

सरकार ने जिलों से दस नवंबर तक इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, जिसे भारत सरकार को भेजा जाएगा। पाकुड़ व कोडरमा में धान की फसल का सर्वाधिक नुकसान का आकलन किया गया है। वहीं, पलामू और संताल प्रमंडल के अंतर्गत आने वाले सभी जिलों में भी हालात अच्छे नहीं। हां, कोल्हान के तीन जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में फसल को नुकसान न के बराबर है।

इसकी वजह है तितली तूफान, इसके कारण यहां अच्छी बारिश हुई और फसल को पूरी खुराक मिली। राज्य में जून व जुलाई में बारिश की स्थिति सामान्य आंकी गई। इस कारण धान का आच्छादन निर्धारित लक्ष्य के 84 फीसद (16 फीसद कम) तक रहा। लेकिन अगस्त और सितंबर में सामान्य से कम वर्षा का सीधा असर फसल पर पड़ा। एक जून से 30 सितंबर तक सामान्य का 72 फीसद ही बारिश हुई।

इस दौरान पाकुड़ व कोडरमा में 50 फीसद से कम बारिश हुई जबकि रांची, खूंटी, बोकारो, पलामू, गढ़वा, लातेहार, दुमका, जामताड़ा व देवघर में 50 फीसद से अधिक और 75 फीसद से कम बारिश रिकार्ड की गई। सामान्य से कम बारिश होने के कारण धानरोपनी भी लक्ष्य से 16 प्रतिशत कम रही।

भारत सरकार की टीम के भ्रमण के बाद होगी पुष्टि : सुखाड़ घोषित करने के कुछ तय मानक हैं। इसके तहत राज्य सरकार भारत सरकार को जिलों में वर्षा के आधार पर अनुमानित फसल क्षति की सूचना देते हुए केंद्र सरकार से स्थल भ्रमण के लिए टीम को भेजने का अनुरोध करती है।

भारत सरकार के अधिकारियों की टीम आती है और प्रभावित 19 प्रतिशत प्रखंडों का स्थल भ्रमण करती है और ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करती है। इसी के आधार पर सुखाड़ के बाबत निर्णय लिया जाता है। हालांकि इसके अलावा राज्य सरकार अपने स्तर से भी किसानों को तत्काल राहत उपलब्ध कराती है। जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को समीक्षा बैठक के दौरान की।

जिलों का सूरत-ए-हाल : पाकुड़ : इस वर्ष 81 फीसद धनरोपनी हुई थी। विभिन्न प्रखंडों में कुल 39 हजार हेक्टेयर जमीन पर धनरोपनी हुई थी। लेकिन वर्षा कम होने के कारण 50 से 60 फीसद धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। अभी भी कई खेतों में धान फूटा ही नही है। जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज ने कहा कि जिले में सूखे से हालात हैं।

गिरिडीह : जिले में इस वर्ष 131700 हेक्टेयर में खरीफ फसल लगाने का लक्ष्य था। इसके विरुद्ध 116000 हेक्टेयर में फसलों का आच्छादन हुआ है। वहीं, धान की फसल 88 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 79 हजार हेक्टेयर में लगाई गई। जिला कृषि पदाधिकारी डीके पांडेय ने बताया बारिश नहीं होने का असर धान की फसल पर पड़ा है। करीब 50 फीसद फसल बर्बाद होने की संभावना है।

लातेहार : सुखाड़ के हालात बने हुए हैं। जिले में रोपी गई 40 फीसद फसल पानी के अभाव में सूख गई। 25 फीसद फसल तैयार होने से पहले ही खेतों में गिर गई। कुछ स्थानों पर धन कटनी शुरू हो चुकी है वहीं कुछ स्थानों पर दीपावली के बाद धन कटनी शुरू होगी।

बोकारो : पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण जिले में सुखाड़ की स्थिति बन रही है। इस वर्ष 33000 हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य था लेकिन बारिश की कमी की वजह से सिर्फ 19000 हेक्टेयर में रोपनी हो पाई। यहां 70-75 फीसद धान की फसल को नुकसान पहुंचाने का अनुमान है।

धनबाद : धनबाद जिला में धान की खेती 43000 हेक्टेयर में की गई है। निचले खेत में नमी बरकरार रहने के कारण फसल की स्थिति ठीक है। लेकिन ऊपरी भूमि में धान की फसल न के बराबर है। मध्यम की भूमि पर लगी धान की फसल सूख रही है। यहां 50 फीसद खराब होने का अनुमान है।

कोडरमा : धान का आच्छादन का लक्ष्य 18000 एकड़ था। बुआई 60 फीसद तक हुई। अंतिम समय में बारिश नहीं होने के कारण ऊपरी खेत की 30 फीसद फसल बर्बाद हो गई। जिला कृषि पदाधिकारी सुरेश तिर्की ने बताया कि फसल का सर्वे अभी चल रहा है, फाइनल रिपोर्ट नहीं बनी।

पलामू : इस साल पलामू में 51 हजार हेक्टेयर भूमि पर धानरोपनी का लक्ष्य था। इसके विरुद्ध 40 हजार 197 हेक्टयर अर्थात 78.82 प्रतिशत भूमि पर ही आच्छादन हो सका। हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने के कारण धान की फसल के आसार अच्छे नहीं हैं।

लोहरदगा : कुल 47000 हेक्टेयर के सापेक्ष 95 फीसद धान की रोपाई हुई। सितंबर व अक्टूबर माह में अपेक्षाकृत कम बारिश हुई। एक अनुमान के अनुसार लगभग 40 प्रतिशत धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। सहायक कृषि पदाधिकारी बीरबल उरांव का कहना है कि पंचायत स्तर से रिपोर्ट आने के बाद ही नुकसान की वास्तविकता स्थिति का पता चलेगा।

सिमडेगा : जिले में लक्ष्य के विरुद्ध शत प्रतिशत धनरोपनी हुई थी। पर आखिरी अवधि में अपेक्षित बारिश नहीं होने की वजह से धान की फसल प्रभावित हुई है। चार प्रखंडों में इस माह शून्य बारिश हुई है। अन्य प्रखंडों में भी बारिश का अभाव रहा है। इस परिस्थितियों को देखते हुए डीसी ने संबंधित विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मियों की छुट्टी रद्द कर दी है। नुकसान का आकलन किया जा रहा है।

चतरा : यहां सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। साठ प्रतिशत धान की खेती बर्बाद हो चुकी है। जून से लेकर सितंबर तक 948 मिमी सामान्य वर्षा होती है लेकिन इसके सापेक्ष 615 मिमी वर्षा हुई है। जिसका असर धान के साथ-साथ रबी की खेती पर भी पड़ सकता है।

रांची : शुरुआती दौर में धान की खेती अच्छी हुई थी। लेकिन हाल के महीनों में कम बारिश होने से फसल प्रभावित हुई है। यहां 50 फीसद फसल क्षति का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है।

देवघर : 52 हजार हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था। 34,744 हेक्टेयर में ही खेती हुई। जिला कृषि पदाधिकारी रविशंकर सिंह की मानें तो 55-65 फीसद फसल को नुकसान पहुंच सकता है।

हजारीबाग : इस वर्ष 84 हजार हेक्टेयर में धान रोपनी का लक्ष्य था। बारिश की कमी की वजह से सिर्फ 65 प्रतिशत रोपनी हो पाई थी। परियोजना निदेशक आत्मा अनुरंजन के अनुसार बारिश की कमी की वजह से सुखाड़ की स्थिति बन रही है। 50 से 60 प्रतिशत धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। किसान पशुओं को अपना खेत चराने को मजबूर हो रहे हैं।

जामताड़ा : जिले में बारिश की कमी से लक्ष्य के विरुद्ध तीस प्रतिशत कम धानरोपनी हुई। यानी लक्ष्य 52 हजार हेक्टेयर का था, लेकिन बारिश की कमी से 36 हजार हेक्टेयर में ही धानरोपनी संभव हो सकी। जिला कृषि पदाधिकारी सबन गुडिय़ा ने बताया कि बारिश की कमी से लगभग 25 प्रतिशत फसल का नुकसान हो चुका है और जो स्थिति बनी हुई है उससे अनुमान लगाया जा रहा है कि नुकसान का प्रतिशत बढ़ सकता है।

साहिबगंज : जिले में सुखाड़ जैसे हालात दिख रहे हैं। 46 हजार हेक्टेयर में रोपनी हुई है, कुछ इलाके में धान के खेत में पानी नही है। जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की ने बताया कि सभी प्रखंड से रिपोर्ट मंगाई जा रही है।

दुमका : जिले में सूखे की स्थिति काफी भयावह है। इस वर्ष 40 फीसद धनरोपनी हुई। वर्षा कम होने के कारण रोपनी की जो उम्मीद थी, वह भी समाप्त हो गई। जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र सिंह का कहना है  कि जिले की स्थिति गंभीर है। सरकार को रिपोर्ट भेज दी गई है।

गोड्डा : खरीफ मौसम में कृषि विभाग के मुताबिक लक्ष्य 51500 के विरूद्ध 79 प्रतिशत धनरोपनी हुई थी। लेकिन हाल के महीनों में बारिश न होने के कारण फसल को 60-70 प्रतिशत नुकसान पहुंचा है। पशुचारा की भारी किल्लत है। पानी की कमी से रबी की खेती भी प्रभावित हो रही है। जिला कृषि पदाधिकारी सुनील कुमार ने माना है कि जिले सूखे की स्थिति गंभीर है।

गुमला : धान आच्छादन का लक्ष्य एक लाख 88 हजार हेक्टेयर। एक लाख 53 हजार हेक्टेयर में हुआ आच्छादन। सूखे का सर्वाधिक असर पालकोट, बसिया और कामडारा प्रखंड में दिख रहा है। सूखा लगभग 36 हजार हेक्टेयर में पडऩे का अनुमान। कृषि विभाग का सर्वेक्षण चल रहा।

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