Mohan Bhagwat RSS: संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन की 10 खास बातें, यहां पढ़ें विस्‍तार से

Mohan Bhagwat RSS विजयादशमी उत्‍सव पर आज राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश को संबोधित किया। उन्‍होंने इस दौरान कोरोनावायरस चीन की चालबाजी सत्‍ता को लेकर बयानबाजी पर अपनी बातें रखी। उन्‍होंने नागपुर से अपना संबोधन दिया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 11:58 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 07:12 PM (IST)
Mohan Bhagwat RSS: संघ प्रमुख मोहन भागवत के संबोधन की 10 खास बातें, यहां पढ़ें विस्‍तार से
नागपुर में संबोधित करते संघ प्रमुख मोहन भागवत।

रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅक्टर मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के अवसर पर नागपुर से स्वयंससेवकों के साथ-साथ पूरे देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्‍होंने सीएए, कोरोना संक्रमण, चीन की विस्तारवादी नीति, भारत तेरे टुकड़े गैंग, हिंदुत्व, कृषि नीति आदि विषयों पर विस्तार से अपनी बातें कही। प्रस्तुत है उनके भाषण के 10 प्रमुख बिंदु-

1. सीएए को लेकर विद्वेष फैलाने का षड्यंत्र

संघ प्रमुख ने कहा कि सीएए कानून संसद से पूरी प्रक्रिया से पास किया गया है, लेकिन कुछ लोग मुस्लिम समाज के बीच गलत भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं।

2. कोरोना से निपटने में सरकार ने अच्छा काम किया

मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना संकट से निपटने में सरकार ने समय रहते सराहनीय काम किया। इस समय विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत अच्छे से खङा दिखाई दे रहा है। संघ के स्वयंसेवक के साथ-साथ पूरा समाज एक साथ दिखाई दे रहा है। विस्थापितों को घर पहुंचाने, यात्रा मार्ग पर भोजन की व्यवस्था करने आदि का काम किया।

3. कोरोना के कारण आने वाले संकट से निपटना होगा

मोहन भागवत ने कहा कि कोरोना के कारण शिक्षण संस्थाएं प्रभावित हुई हैं। शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहे हैं। जिनके रोजगार चले गए हैं, उनको परेशानी हो रही है। इन सभी विषयों को देखने की जरूरत है। सेवा के इस नए चरण में पूरी शक्ति के साथ सक्रिय रहेंगे।

4. कोरोना के कारण संस्कृति का मूल्य समझ में आया

कहा कि कोरोना के कारण लोगों को संस्कृति के मूल्यों का महत्व समझ में आ गया। विश्व के लोग अब फिर से कुटुंब व्यवस्था की महत्ता, पर्यावरण के साथ मित्र बनकर जीने का महत्व समझने लगे हैं।

5. चीन को भारत ने सबक सीखाने का काम किया

भागवत ने कहा कि भारत की सीमाओं पर चीन ने जिस प्रकार से अपने आर्थिक व सामरिक बल में मदांध होकर अतिक्रमण का प्रयास किया और भारत की सरकार, सेना, प्रशासन व जनता ने करारा जवाब दिया, इससे उसे पूरी तरह धक्का लगा है। अब आगे हमें सजग रहना होगा। आंतरिक व वाह्य स्थिति को और मजबूत करनी होगी।

6. सत्ता प्राप्ति के लिए समाज में कटुता पैदा नहीं करना चाहिए

कहा, राजनीति में जिनकी सत्ता चली जाती है, उन्हें सत्ता प्राप्ति के लिए स्वस्थ स्पर्धा करनी चाहिए। उसके कारण समाज में कटुता, वैमनस्य, आपस में शत्रुता खड़ी नहीं करना चाहिए। परंतु इस स्पर्धा का लाभ लेने वाली शक्तियां भारत में भी काम कर रही हैं।

7. हिंदुस्‍तान हिंदू राष्ट्र है, यह बोलने के पीछे कोई राजनीति नहीं है

संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदुत्व शब्द सबको जोड़ने वाला है। हम जब हिंदुस्‍तान हिंदू राष्ट्र कहते हैं तो उसके पीछे कोई राजनीति या सत्ता केंद्रित संकल्पना नहीं होती है। यह शब्द की भावना या परिधि में आने व रहने के लिए किसी को अपनी पूजा, प्रांत, भाषा आदि कोई भी विशेषता नहीं छोड़नी पड़ती है। केवल वर्चस्व की इच्छा छोड़नी पड़ती है।

8. उत्पादन की जगह, काम करने वाले लोग, आर्थिक लाभ देश में रहने चाहिए

स्वदेशी की चर्चा करते हुए कहा कि उत्पादन की जगह, उत्पादन में लगने वाले हाथ, मिलने वाले आर्थिक लाभ उत्पादन के अधिकार अपने देश में रहना चाहिए। हम स्वावलंबी बन सकें, इसके लिए अपनी शर्तों व बराबरी के आधार पर किन्हीं कंपनियों को बुलाते हैं अथवा अपरिचित तकनीक देने के लिए कुछ सहुलियत देते हैं, परंतु यह आपसी सहमति से होनी चाहिए।

9. कोरोना ने स्वनिर्भर होने की ओर आकर्षित किया

कोरोना की परिस्थिति में नीतिकारों सहित देश के सभी विचारवान लोगों का ध्यान अपने देश की आर्थिक दृष्टि में कृषि उत्पादन को विकेंद्रित करने वाले छोटे व मध्यम उद्योग, रोजगार सृजन, स्वरोजगार, पर्यावरण मित्रता तथा उत्पादन के सभी क्षेत्रों में शीघ्र स्वनिर्भर होने की आवश्यकता की ओर आकर्षित किया है। इन क्षेत्रों में कार्यरत हमारे छोटे उद्यमी, किसान आदि आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। सरकार को भी उन्हें सुरक्षा कवच देना होगा। छह महीनों के बाद फिर खड़ा होने के लिए सहायता देने के साथ ही यह देखना होगा कि सहायता पहुंच रही है कि नहीं।

10. सप्ताह में एक बार परिवार के साथ जरूर बैठे

कहा कि अपने आचरण में छोटी-छोटी बातों में परिवर्तन लाएं। सप्ताह में एक बार अपने परिवार में सभी लोग एक साथ जरूर बैठें। आपस में चर्चा करें। ध्यान रखें कि समाज के सभी वर्ग में हमारे मित्र हैं या नहीं। सामाजिक समरसता पर ध्यान दें।

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