झारखंड हाईकोर्ट का निर्देश, सेवानिवृत्ति लाभ लटकानेवाले अधिकारी से वसूला जाए दस फीसद ब्याज

झारखंड हाई कोर्ट में कनीय अभियंता श्याम बिहारी शर्मा को सेवानिवृत्ति का लाभ पर सुनाया फैसला।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 05:00 AM (IST)
झारखंड हाईकोर्ट का निर्देश, सेवानिवृत्ति लाभ लटकानेवाले अधिकारी से वसूला जाए दस फीसद ब्याज
झारखंड हाईकोर्ट का निर्देश, सेवानिवृत्ति लाभ लटकानेवाले अधिकारी से वसूला जाए दस फीसद ब्याज

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट में कनीय अभियंता श्याम बिहारी शर्मा को सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं देने के मामले में सुनवाई हुई। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सरकार को दो सप्ताह में सेवानिवृत्ति लाभ की राशि दस फीसद ब्याज के साथ वादी को भुगतान करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि ब्याज की राशि उन अधिकारियों से वसूली जाएगी जिनके कारण वादी को सेवानिवृत्ति का लाभ नहीं मिल पाया है।

कनीय अभियंता श्याम बिहारी शर्मा वर्ष 2013 में लोहरदगा से सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन अभी तक उन्हें सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान नहीं किया गया है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि वादी को सेवानिवृत्ति का भुगतान जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। जिसके बाद अदालत ने याचिका को निष्पादित कर दिया।

सचिव ने मांगी हाजिरी से छूट

शुक्रवार को इसी मामले में पथ निर्माण ंिवभाग के सचिव केके सोन को अदालत में हाजिर होना था। उनकी ओर से अदालत में आवेदन देकर कहा गया कि रांची व धनबाद में उनका मुख्यमंत्री के साथ पूर्व निर्धारित कार्यक्रम था, जिसकी वजह से वो अदालत में उपस्थित नहीं हो पाएंगे। इस पर अदालत ने उन्हें हाजिर होने से छूट प्रदान कर दी। केके सोन की जगह पर रांची के कार्यपालक अभियंता राजेश मुर्मू हाजिर हुए।

बता दें कि श्याम बिहारी शर्मा लोहरदगा में कनीय अभियंता के पद पर पदस्थापित थे। जुलाई 2013 में वो सेवानिवृत्त हो गए। सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिलने के बाद उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की।

खाद्य पदार्थो में मिलावट पर जांची की सुविधा को लेकर मांगी रिपोर्ट

रांची । झारखंड हाई कोर्ट में खाद्य पदार्थों में हो रही मिलावट से संबंधित खबरों के मद्देनजर हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में शुक्रवार को हाई कोर्ट ने सरकार से रिपोर्ट मांगी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने सरकार से मिलावट की जांच से संबंधित सुविधाओं की रिपोर्ट मागी है।

अदालत ने सरकार पूछा है कि मिलावटी पदाथरें की जाच के लिए क्या व्यवस्था है? उनके पास किस तरह की मशीनें हैं, जिसमें किन-किन पदाथरें की जाच की जाती है? अदालत ने इससे संबंधित पूरी जानकारी 29 मार्च तक कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि खाद्य पदाथरें की जाच के लिए मोबाइल वैन हैं। जिसके जरिए विभिन्न क्षेत्रों से सैंपल लिया जाता है और वैन में ही उसकी जांच की जाती है। इस पर कोर्ट ने कहा कि अब खाद्य पदाथरें में मिलावट के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

साथ ही सब्जियों को भी रंगा जा रहा है। इस तरह के मिलावटों की जाच के लिए संसाधन है या नहीं? इस दौरान कोर्ट ने बिहार में बाहर से आने वाली मछलियों की जाच की गई। जाच में फर्मेलिन पाया गया। इसके बाद मछलियों की बिक्री पर रोक लगा दी गई।

क्या झारखंड में इस तरह की जाच की व्यवस्था है। इसके बाद सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया।

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