पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत की होगी जांच, सरयू राय की मांग पर सरकार का फैसला

पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत की जांच होगी। झारखंड सरकार ने पूर्व मंत्री सरयू राय की मांग पर बाघिन की मौत की जांच कराने का फैसला किया है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Mon, 24 Feb 2020 09:04 PM (IST) Updated:Mon, 24 Feb 2020 09:29 PM (IST)
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत की होगी जांच, सरयू राय की मांग पर सरकार का फैसला
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत की होगी जांच, सरयू राय की मांग पर सरकार का फैसला

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो।  पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत की जांच होगी। झारखंड सरकार ने पूर्व मंत्री सरयू राय की मांग पर बाघिन की मौत की जांच कराने का फैसला किया है। बीते दिन पलामू व्‍याघ्र परियोजना में जंगली भैसों, गौर के हमले में एक बाघिन की मौत होने की बात कही गई थी। जिस पर सरयू राय ने सवाल उठाते हुए उच्‍चस्‍तरीय जांच की मांग झारखंड सरकार से की थी। इस मामले में राय ने परियोजना के संरक्षक और वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे।

राय ने कहा, विशेषज्ञों की टीम से नहीं कराई गई जांच

पलामू टाइगर रिजर्व में हुई बाघिन की मौत को लेकर सवाल उठा रहे सरयू राय ने अब अधिकारियों को नियमों की अवहेलना किए जाने पर घेरा है। राय ने आरोप लगाया है कि बाघिन की मौत के असली कारण को दबाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने नियमों एवं आदेशों की धज्जियां उड़ाईं हैं और तथ्य पर पर्दा डालने का प्रयास किया है। राय ने कहा है कि राष्ट्रीय व्याघ्र संरक्षण प्राधिकार के निर्देश पर वन विभाग के स्तर से सात फरवरी 2012 को एक अधिसूचना निकाली गई थी। इसमें उल्लेख किया गया था कि यदि किसी कारण से पीटीआर में बाघ-बाघिन की मौत हो जाती है, तो उसकी जांच विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय टीम करेगी।

इस टीम में मेदनीनगर के डॉ. डीएस श्रीवास्तव, स्थानीय सरकारी पशु चिकित्सक और नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के  जीव विज्ञान के विभागाध्यक्ष शामिल किए गए थे। अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि मौत के बाद बाघ-बाघिन का शव तब तक डीप फ्रीजर में रखना है जब तक उपर्युक्त विशेषज्ञों की स्वतंत्र टीम जांचकर यह पता नहीं लगा लेती है ताकि मौत का कारण क्या है। परंतु इस मामले में वन विभाग के अधिकारियों ने जांच टीम के सदस्य डीएस श्रीवास्तव को बताए बिना मृत शव को जला दिया। ऐसा करना वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम के नियमों-निर्देशों का घोर उलंघन है। इस मामले में वन विभाग के उच्च अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।

वन विभाग में उच्च स्तर पर हो रही मनमानी

सरयू राय ने कहा कि वन विभाग में विगत पांच वर्ष से घोर अनियमित व्याप्त है। उच्च स्तर पर मनमाने निर्णय होते रहे हैं। कहा, जिस दिन विधान सभा चुनाव का परिणाम आया उसी दिन चुनाव आदर्श चुनाव आचार संहिता लगे रहने बावजूद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने एक अपेक्षाकृत कनीय अधिकारी को राज्य का तदर्थ पीसीसीएफ बनाने का आदेश जारी कर दिया। इसी तरह एक योग्य अधिकारी को पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के पद से हटा दिया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में शीर्ष पद पर अनियमित-अयोग्य बहालियां की गईं। एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं माने गए।

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