झारखंड में बच्चों का भविष्य हो रहा सुरक्षित, पोषण-स्वास्थ्य और इंटरनेट के प्रति हो रहे जागरुक
Jharkhand Samachar झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल पर बच्चों का बेहतर स्वास्थ्य एवं सुरक्षित भविष्य गढ़ने के प्रयास तेज हुए। मास्टर ट्रेनर आरोग्य दूत बच्चों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कल्याण विभाग यह जवाबदेही उठा रहा है।
रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Samachar झारखंड के स्कूल जाने वाले किशोर-किशोरी अपने स्वास्थ्य और पोषण का खुद ख्याल रखेंगे। शिक्षक उनके सहायक बनेंगे। इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए लगभग 12,000 स्कूलों के कुछ शिक्षकों और विद्यार्थियों को चयनित कर आरोग्य दूत के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। ये मास्टर ट्रेनर बनकर लगातार दूसरे विद्यार्थियों को जागरुक कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग संयुक्त रूप से स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जरिए इसकी जवाबदेही उठा रहा है।
इससे किशोर-किशोरियों को अपने स्वास्थ्य के बारे में समय पर सही जानकारी प्राप्त हो सकेगी, साथ ही उनका मानसिक एवं शारीरिक विकास पूर्ण रूप से हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने 22 मार्च से 25 मार्च 2021 तक चले राज्यस्तरीय अपनी सुरक्षा अपने हाथ जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। अभियान के तहत राज्य के 14,500 स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को साफ-सफाई, मध्याह्न भोजन तथा शौचालय प्रबंधन एवं स्वच्छता से संबंधित सभी पहलुओं पर व्यापक जानकारी दी गई तथा इन्हें जागरुक किया गया।
स्वास्थ्य कार्यक्रम से जागरूकता का संचार
झारखंड के बच्चे शारीरिक एवं मानसिक रूप से सुदृढ़ हो सकें, इस बाबत तीन दिसंबर 2020 से राज्य में आयुष्मान भारत अंतर्गत स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। इसके तहत स्कूलों में बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य, पारस्परिक संबंध, पोषण, स्वास्थ्य और स्वच्छता, हिंसा, इंटरनेट और इंटरनेट मीडिया के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देने जैसी जानकारियां दी जा रहीं हैं।
आकांक्षी जिलों के बच्चों पर विशेष ध्यान
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत झारखंड के 19 आकांक्षी जिलों बोकारो, चतरा, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़ पलामू, रांची, साहेबगंज, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और रामगढ़ में कक्षा 6 से कक्षा 12 तक के विद्यालय जाने वाले किशोर-किशोरियों को स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित जानकारी देने के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक सहायता भी प्रदान किया जा रहा है।