झारखंड एकेडमिक काउंसिल की लीला न्‍यारी, बिना नियुक्ति के वेतन पा रहे 50 से अधिक कर्मचारी

संयुक्त बिहार में कैजुअल स्टाफ के रूप में कार्यरत कर्मियों से जैक बनने के बाद यहां उनसे कार्य लिया जा रहा है। लेकिन इनके पास नियुक्ति पत्र नहीं है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 08:21 PM (IST) Updated:Sat, 03 Nov 2018 08:18 AM (IST)
झारखंड एकेडमिक काउंसिल की लीला न्‍यारी, बिना नियुक्ति के वेतन पा रहे 50 से अधिक कर्मचारी
झारखंड एकेडमिक काउंसिल की लीला न्‍यारी, बिना नियुक्ति के वेतन पा रहे 50 से अधिक कर्मचारी

रांची, नीरज अम्बष्ठ। बिना नियुक्ति प्रक्रिया पूरी किए झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) में 50 से अधिक कर्मचारी काम कर रहे हैं। नियुक्ति पत्र नहीं होने के बावजूद न केवल ये काम कर रहे हैं, बल्कि नियमित कर्मियों की तरह वेतन व अन्य सुविधाएं भी उठा रहे हैं। जैक द्वारा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया है।

ये कर्मी पूर्व में कैजुअल स्टाफ के रूप में काम कर रहे थे। जैक द्वारा विभाग को उपलब्ध कराई गई सूचना के अनुसार, संयुक्त बिहार में बिहार इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद, पटना के रांची शाखा कार्यालय में कैजुअल स्टाफ के रूप में कार्यरत कर्मियों से जैक बनने के बाद यहां उनसे कार्य लिया जा रहा है। लेकिन इनके पास नियुक्ति पत्र नहीं है।

इन कर्मियों में से 29 कर्मियों से सहायक, सात से रूटीन क्लर्क, एक से वाहन चालक तथा आठ कर्मियों से पदचर के रूप में काम लिया जा रहा है। इन्हें 7 जनवरी 2002 द्वारा प्रारंभिक मूल वेतन एवं महंगाई भत्ता प्रदान करते हुए वर्ष 2006 से नियमित कर्मियों की तरह सुविधाएं दी जा रही हैं। इसी, तरह 12 कर्मी जो झारखंड माध्यमिक परीक्षा परिषद एवं झारखंड इंटरमीडिएट शिक्षा परिषद, रांची में वाहन चालक तथा सुरक्षा गार्ड के रूप में कार्यरत थे, इनमें से 10 कर्मियों को आदेशपाल तथा दो कर्मियों से ड्राइवर का काम लिया जा रहा है।

इन कर्मियों के पास भी नियुक्ति पत्र नहीं है। इन्हें वर्ष 2006 से नियमित कर्मियों की भांति वेतनमान दिया जा रहा है। कर्मियों के पास नियुक्ति पत्र नहीं होने से अवैध नियुक्ति की संभावना तथा कर्मियों को हटाए नहीं जाने के सवाल पर जैक के अध्यक्ष डा. अरविंद प्रसाद सिंह कहना है कि इन सभी को अचानक हटा देने से परिषद का सारा कार्य ही ठप हो जाएगा।

दूसरी ओर, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के एक पदाधिकारी की मानें तो विभाग द्वारा पूर्व में इन कर्मियों को हटाने का निर्देश जैक को दिया जा चुका है। जैक न तो स्वीकृत पदों पर नियमित नियुक्ति करता है न ही उन कर्मियों को हटाता है। हालांकि जैक अध्यक्ष का कहना है कि विभाग द्वारा सिर्फ रिपोर्ट मांगी गई है, कर्मियों को हटाने का कोई निर्देश नहीं दिया है।

काम प्रभावित होगा : ये सभी कर्मी वर्षों से काम कर रहे हैं। जहां तक अवैध नियुक्ति की बात है तो पूर्व में इसपर निर्णय ले लिया जाना चाहिए था। उल्टे 2006 में बोर्ड की बैठक में इन्हें नियमित कर्मी के रूप में सुविधाएं देने का निर्णय ले लिया गया। अब अचानक इन्हें हटाने से जैक का काम प्रभावित होगा। डा. अरविंद प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, झारखंड एकेडमिक काउंसिल। 

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