झारखंड में स्‍वास्‍थ्‍य संरचना का हाल: गुजर गए दिन-महीने-साल, नहीं बने 100 से अधिक अस्पताल

Health Infrastructure in Jharkhand Hindi News तेरह साल बाद भी स्वास्थ्य केंद्रों के भवन पूरे नहीं हो सके। किसी की छत ढलाई नहीं हुई तो कहीं खिड़की-दरवाजे व प्लास्टर का काम अटका है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी कई स्वास्थ्य भवन हैंड ओवर नहीं हुए।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 08:35 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 08:41 PM (IST)
झारखंड में स्‍वास्‍थ्‍य संरचना का हाल: गुजर गए दिन-महीने-साल, नहीं बने 100 से अधिक अस्पताल
Health Infrastructure in Jharkhand, Hindi News तेरह साल बाद भी स्वास्थ्य केंद्रों के भवन पूरे नहीं हो सके।

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। झारखंड में वर्ष 2007-08 से लेकर 2017-18 में स्वीकृत कई स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण कार्य अधूरा है। किसी की छत ढलाई नहीं हुई है, तो किसी में खिड़की-दरवाजे व प्लास्टर के काम नहीं हुए। वहीं, कई स्वास्थ्य केंद्र ऐसे भी हैं, जिनका निर्माण अरसे पहले पूरा हो जाने के बाद भी ये भवन स्वास्थ्य विभाग को हैंडओवर नहीं किए गए हैं। यह स्थिति कमोबेश सभी जिले में है। स्वास्थ्य विभाग ने समीक्षा में पाया कि पूरे राज्य में 100 से अधिक अस्पताल भवनों का निर्माण कार्य कई साल बीत जाने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है।

रांची की ही बात करें, तो रातू के गुरु गांव में स्वास्थ्य उपकेंद्र के निर्माण के लिए 22.49 लाख रुपये की योजना वर्ष 2012-13 में ही ली गई थी। यहां प्रथम तल की ढलाई कार्य के क्रम में ही ठेकेदार ने काम बंद कर दिया। इसी तरह गढ़वा के नगरउंटारी में अनुमंडल अस्पताल का निर्माण आवास बोर्ड द्वारा कराया जा रहा था, लेकिन भूतल एवं प्रथम तल के निर्माण कार्य के बाद से यह अधूरा है। इससे संबंधित मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में भी चल रहा है।

गढ़वा के ही भवनाथपुर में भी सामुदायिक स्वास्थ्य भवन के प्रथम तल की ढलाई के बाद निर्माण कार्य वर्ष 2012 से ही बंद है। अन्य जिलों भी इसी तरह स्वास्थ्य भवनों के निर्माण कार्य अधूरे हैं। समीक्षा में यह भी पाया गया कि कई स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार हो जाने के बाद भी संबंधित एजेंसी या ठेकेदार द्वारा अभी तक सिविल सर्जनों को हैंडओवर नहीं किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने इसे खेदजनक बताया है।

उन्होंने लंबित योजनाओं की सूची उपायुक्तों को भेजते हुए संबंधित एजेंसियों व सिविल सर्जनों के साथ बैठक कर अविलंब समीक्षा करने के लिए कहा है। उन्होंने सभी उपायुक्तों को 15 सितंबर तक विस्तृत रिपोर्ट देने को भी कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि किसी स्वास्थ्य भवन के निर्माण में कोई समस्या हो, तो उसके निराकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान या उनसे संपर्क करें।

फिनिशिंग के बिना बेकार पड़े हैं वर्षों से बन रहे स्वास्थ्य केंद्र

पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वर्ष 2007-08 से ही बन रहे हैं। निर्माण शुरू हुए 12-13 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस स्वास्थ्य भवन का निर्माण पूरा नहीं हो सका है। सिविल सर्जन की रिपोर्ट के अनुसार, इसका फिनिशिंग का कार्य बाकी है। साथ ही खिड़की, दरवाजा और बिजली वायरिंग का कार्य बाकी है। योजना को लंबित रखने के लिए दोषी अभियंताओं के विरुद्ध प्रपत्र 'क' गठित कर उनके पैतृक विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा की है।

इसका निर्माण जिला परिषद द्वारा किया जा रहा है। इसी तरह, पश्चिमी सिंहभूम के ही स्वास्थ्य उपकेंद्र जेटैया-नोवामुंडी का भी निर्माण वर्ष 2007-08 से हो रहा है। फ्लोर ढलाई एवं खिड़की दरवाजा का कार्य बाकी है। सिविल सर्जन की रिपोर्ट के अनुसार, ठेकेदार के विरुद्ध मनरेगा घोटाले में प्राथमिकी दर्ज होने तथा संशोधित प्राक्कलन के विरुद्ध अतिरिक्त आंवटन नहीं होने की वजह से निर्माण कार्य रुका है।

जमीन का ठिकाना नहीं, ले ली गई योजना

देवघर के बुधानी-मारगोमुंडा में वर्ष 2017 में स्वास्थ्य उपकेंद्र बनाने के लिए योजना ले ली गई, जबकि यहां जमीन ही उपलब्ध नहीं थी। विवाद रहित जमीन नहीं मिलने से अबतक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। कार्यपालक अभियंता द्वारा सीओ, अपर समाहर्ता से लेकर उपायुक्त तक को पत्र लिखा गया, लेकिन जमीन नहीं मिल सकी। यही स्थिति स्वास्थ्य उपकेंद्र अंधरीगादर की है। कुछ अन्य जिलों में भी इस तरह के मामले हैं।

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