बकोरिया कांड : इनकाउंटर में मारे गए 12 में 5 थे नाबालिग, जांच में तेजी लाई तो अफसरों का ट्रांसफर

बकोरिया कांड में जिस किसी भी अफसर ने जांच में तेजी लाने या इस मुठभेड़ पर सवाल उठाने की कोशिश की, उसका स्थानांतरण कर दिया गया।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 11:35 AM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 11:35 AM (IST)
बकोरिया कांड : इनकाउंटर में मारे गए 12 में 5 थे नाबालिग, जांच में तेजी लाई तो अफसरों का ट्रांसफर
बकोरिया कांड : इनकाउंटर में मारे गए 12 में 5 थे नाबालिग, जांच में तेजी लाई तो अफसरों का ट्रांसफर

रांची, राज्य ब्यूरो। पलामू के बकोरिया में 08 जून 2015 को कथित मुठभेड़ में जिन 12 लोगों को मारने का पुलिस ने दावा किया था, उसकी जांच धीमी गति से चलती रही। जिस किसी भी अफसर ने जांच में तेजी लाने या इस मुठभेड़ पर सवाल उठाने की कोशिश की, उसका स्थानांतरण कर दिया गया। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से आने के बाद सीआइडी का एडीजी बनने पर एमवी राव ने भी उक्त कांड की तह खंगालने की कोशिश की तो उन्हें पदस्थापन के एक माह के भीतर ही स्थानांतरित कर दिया गया।

स्थानांतरित होने के बाद एमवी राव ने डीजीपी डीके पांडेय पर गंभीर आरोप लगाए था। उन्होंने पत्राचार कर आरोप लगाया था कि जब उन्होंने बकोरिया मामले की जांच तेज की तो डीजीपी डीके पांडेय ने उन्हें जांच की रफ्तार धीमी करने का दबाव बनाया, जिसे उन्होंने इन्कार कर दिया। इसके बाद उनका तबादला किया गया है।

इन अधिकारियों को जांच से हटाया गया : - रेजी डुंगडुंग, तत्कालीन एडीजी सीआइडी : आठ जून 2015 को पलामू के बकोरिया में कथित पुलिस मुठभेड़ मामले की जांच का जिम्मा अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) को दिया गया। तब सीआइडी के एडीजी रेजी डुंगडुंग थे। जांच में तेजी लाते ही उनका स्थानांतरण 15 जून 2015 को कर दिया गया था।

- सुमन गुप्ता, तत्कालीन आइजी रांची : घटना के वक्त आइजी रांची सुमन गुप्ता थीं। उन्होंने इस मुठभेड़ की सत्यता पर सवाल उठाया था और तत्कालीन पलामू के सदर थानेदार से पूछताछ भी की थी। तब उन्हें भी 15 जून 2015 को ही स्थानांतरित कर दिया गया था।

- हेमंत टोप्पो, तत्कालीन डीआइजी पलामू : घटना के बाद हेमंत टोप्पो ने जब इसकी सच्चाई पर सवाल उठाया तो उन्हें भी जांच से हटा दिया गया। उनका स्थानांतरण शंटिंग पोस्ट माना जाने वाला स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एसआइआरबी) में 15 जून 2015 को कर दिया गया था। वे दो माह पूर्व ही सेवानिवृत्त हुए हैं।

- एमवी राव, पूर्व एडीजी सीआइडी : बकोरिया मुठभेड़ के बाद सीआइडी के एडीजी रेजी डुंगडुंग को स्थानांतरित कर अजय कुमार सिंह को सीआइडी का एडीजी बनाया गया था। तब तक बकोरिया मुठभेड़ मामले में जांच शिथिल रही। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से आने के बाद एमवी राव को नवंबर 2017 में सीआइडी का एडीजी बनाया गया था। राव ने आते ही मामले की जांच में तेजी दिखाई, जिसके बाद एक महीने के भीतर ही यानी 13 दिसंबर 2017 को एडीजी सीआइडी के पद से हटा दिया गया और उनके स्थान पर प्रशांत सिंह को एडीजी सीआइडी बनाया गया। प्रशांत सिंह को भी एडीजी सीआइडी के पद से हटाकर अजय कुमार सिंह को फिर से सीआइडी के एडीजी का प्रभार दिया गया है।

- हरीश पाठक, तत्कालीन सदर थानेदार पलामू : बकोरिया कथित मुठभेड़ के वक्त पलामू के तत्कालीन सदर थानेदार हरीश पाठक थे। बकोरिया सदर थाना क्षेत्र स्थित सतबरवा ओपी में आता है। थानेदार ने मुठभेड़ को फर्जी बताया था। तब वे भी नप गए थे। उन्हें एक पुराने मामले में निलंबित कर दिया गया था।

कथित मुठभेड़ में मारे गए नाबालिग : चरकू तिर्की (12 वर्ष), महेंद्र सिंह (12 वर्ष), प्रकाश तिर्की (14 वर्ष), उमेश सिंह (10 वर्ष) व एक अन्य। 

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