मानव तस्करी पर बनी फिल्म धूमकुडि़या को आउटस्टेंडिंग एचीवमेंट अवार्ड

जागरण संवाददाता रांची कोलकाता के इंटरनेशनल कल्ट फिल्म फेस्टिवल में महिला संबंधी विषया

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 09:56 PM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 09:56 PM (IST)
मानव तस्करी पर बनी फिल्म धूमकुडि़या को आउटस्टेंडिंग एचीवमेंट अवार्ड
मानव तस्करी पर बनी फिल्म धूमकुडि़या को आउटस्टेंडिंग एचीवमेंट अवार्ड

जागरण संवाददाता, रांची : कोलकाता के इंटरनेशनल कल्ट फिल्म फेस्टिवल में महिला संबंधी विषयों के फिल्म में रांची के नंदलाल नायक द्वारा निर्देशित और सुमित अग्रवाल द्वारा निर्मित 'धूमकुड़िया' को आउटस्टेंडिंग एचीवमेंट अवार्ड मिला है। इस वर्ग में रितम श्रीवास्तव के फिल्म मेटरनिटी ब्लूज को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला है।

नंदलाल नायक झारखंड के प्रसिद्ध लोक कलाकार व पद्मश्री से सम्मानित मुकुंद नायक के पुत्र हैं। धूमकुड़िया में झारखंड के गुमला और सिमडेगा जैसे आदिवासी बहुल और गरीब जिलों में व्याप्त मानव तस्करी के मुद्दे को बड़े शिद्दत से उठाया गया है। फिल्म झारखंड के विभिन्न जिलों से लड़कियों की तस्करी के वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। फिल्म की शूटिंग भी लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा समेत झारखंड के ही लोकेशन पर की गई है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस तरह मानव तस्करों का नेटवर्क महानगरों से लेकर गांव तक फैला हुआ है और तस्कर किस तरह सांस्कृतिक-धार्मिक या खेलकूद के आयोजनों में लड़कियों को निशाने पर लेते हैं। उनके सपनों को अंजाम तक पहुंचाने का सब्जबाग दिखा तस्कर उन्हें महानगरों में पहुंचा देते हैं। फिर वहां शुरू होता है उनका शारीरिक-आर्थिक दोहन, कई बार तो लड़कियां बंधक तक बना ली जाती हैं।

इस संबंघ में फिल्म के निर्देशक नंदलाल नायक ने बताया कि हर सभ्यता और संस्कृति की अपनी लय-ताल होती है। झारखंडी आदिवासी समाज में इस लय-ताल को स्थापित करने वाली कई संस्थाएं हैं इनमें धूमकुड़िया सबसे महत्वपूर्ण संस्था थी। यह संस्था आदिवासी युवाओं के विचार अभिव्यक्ति और परिचय का केंद्र हुआ करता था। आदिवासी समाज में लिंग भेद कभी नहीं रहा धूमकुड़िया इस मान्यता को मजबूती प्रदान करता था। लेकिन जब से इस संस्था में ह्रास हुआ तो युवाओं के वैचारिक आदान-प्रदान के अवसर सीमित हो गए। इसका लाभ जल-जंगल-जमीन को आर्थिक लाभ व महिला को उपभोग की वस्तु मानने वालों ने उठाया, और आदिवासियों के सपने, मजबूरी और वैचारिक स्वछंदता को अपना हथियार बना उन्हें महानगर के मंडी में परोस दिया।

नंदलाल कहते हैं कि फिल्म में इस पूरे विषय को बुधवा और रिशु के पात्र ने दमदार तरीके से उठाया है। फिल्म में प्रद्युमन नायक और रिकल कच्छप ने मुख्य भूमिका निभाया है।

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