प्रत्यायुक्त कमेटी और राजस्व विभाग आमने-सामने

राज्य में ब्यूरोक्रेसी और विधायिका के बीच टकराव की कहानी नई नहीं है। टकराव की वजह अधिकार की लड़ाई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 26 Mar 2017 05:53 AM (IST) Updated:Sun, 26 Mar 2017 06:00 AM (IST)
प्रत्यायुक्त कमेटी और राजस्व विभाग आमने-सामने
प्रत्यायुक्त कमेटी और राजस्व विभाग आमने-सामने

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में ब्यूरोक्रेसी और विधायिका के बीच टकराव की कहानी नई नहीं है। झारखंड गठन के बाद से विधायक और अधिकारों के बीच टकराव होता रहा है। टकराव की वजह अधिकार की लड़ाई है। कई मामलों में देखा गया कि अधिकारी विधानसभा कमेटी को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं। ज्यादातर बैठक में जूनियर अधिकारियों को भेज दिया जाता है। जिस पर कई बार विवाद हो चुका है। प्रत्यायुक्त कमेटी और राजस्व विभाग के बीच ताजा विवाद भी अधिकार की लड़ाई है।

 प्रत्यायुक्त कमेटी अडाणी पावर के जमीन अधिग्रहण मामले की जांच खुद करना चाहती है। वहीं राजस्व विभाग कमेटी के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठा रहा है। कमेटी इसे विशेषाधिकार हनन का मामला मान रही है। स्पीकर दिनेश उरांव को तय करना है कि मामले में दम है या नहीं। स्पीकर तक फिलहाल यह शिकायत नहीं पहुंची है।
विधायिका और कार्यपालिका के बीच टकराव के कारण अब तक करीब 160 विशेषाधिकार हनन का मामले दर्ज हो चुके हैं। ज्यादातर मामले कमजोर थे। इस कारण कोई कार्रवाई नहीं किया गया।

 चर्चित संजय यादव-दिलीप झा विवाद में विशेषाधिकार कमेटी ने पूर्व डीडीसी के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। नई सरकार ने झा की सजा निरस्त कर दी। विशेषाधिकार हनन के ज्यादातर मामलों पर कार्रवाई नहीं का कारण भी विधायक हैं। उनकी ज्यादातर शिकायतें प्रोटोकॉल से संबंधित है। गेस्ट हाउस उपलब्ध नहीं कराने, शिलापट्ट पर नाम नहीं होने, स्टेडियम में कुर्सी नहीं जैसी घटनाओं की शिकायत भी विशेषाधिकार कमेटी के सामने की गई है। बात नहीं सुनने वाले थानेदार, सीओ, बीडीओ के खिलाफ शिकायत की गई है।

राज्यों से युवतियों को लाकर कहा जाता था- तुम अपनी कोख किराये पर दो

थमा हाथी का उत्पात, झारखंड में कराया प्रवेश

chat bot
आपका साथी