120 रुपये किलो बेचें दाल या बेचना छोड़ दें

दाल की चढ़ती कीमत राज्य सरकार के लिए परेशानी और फौरी बदनामी का सबब बन रही है। मंत्री सरयू राय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि राज्य सरकार ने अरहर दाल की खुदरा बाजार की कीमत 120 रुपये प्रति किलो निर्धारित की है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Thu, 26 May 2016 05:34 AM (IST) Updated:Thu, 26 May 2016 05:47 AM (IST)
120 रुपये किलो बेचें दाल या बेचना छोड़ दें

प्रदीप सिंह, रांची। दाल की चढ़ती कीमत राज्य सरकार के लिए परेशानी और फौरी बदनामी का सबब बन रही है। इससे निपटने के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग ने कड़ा रुख अपनाया है। मंत्री सरयू राय ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि राज्य सरकार ने अरहर दाल की खुदरा बाजार की कीमत 120 रुपये प्रति किलो निर्धारित की है। व्यापारी इसी दर से ग्राहकों को अरहर दाल मुहैया कराएं। 'जागरणÓ से बातचीत में मंत्री बोले-हर हाल में 120 रुपये प्रति किलो दाल ग्राहकों को देना होगा। जो व्यवसायी इस कीमत पर दाल नहीं दे सकते वे दाल बेचना छोड़ दें।

उन्होंने अफसरों को आदेश दिया है कि ऐसे व्यापारियों के साथ सख्ती से पेश आएं जो सरकार के निर्देश की अनदेखी करते हुए ऊंची कीमत पर दाल बेच रहे हैं। साथ ही स्टॉक की जांच करने का आदेश भी मंत्री ने दिया है।

मंत्री के रुख को देखते हुए विभाग ने गुरुवार को प्रमुख व्यवसायी संगठनों की बैठक बुलाई है। जिसमें आग्र्रह किया जाएगा कि सरकार के आदेश की नाफरमानी न हो और निर्धारित दर से ज्यादा पैसा ग्राहकों से नहीं वसूला जाए। गौरतलब है कि थोक बाजार में अरहर दाल 104 से 116 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है। बावजूद खुले बाजार में दाल 150 रुपये प्रति किलो से नीचे नहीं आ रही।

फौरी उपाय करेगी राज्य सरकार

मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र से दाल खरीदने की तैयारी कर रही है लेकिन इसमें तकनीकी दिक्कतें आड़े आ रही है। केंद्र से गोटा दाल मिल रहा है। उसे तोड़कर बाजार में बेचने के लिए बड़े दाल मिल की जरूरत है। ऐसा दाल मिल झारखंड में नहीं है। अफसरों को ताकीद की गई है कि वे इसकी व्यवस्था करें ताकि लोगों को राहत दी जा सके।

नसीहत, एसमा लागू करे केंद्र

मंत्री सरयू राय ने केंद्र सरकार से भी सहयोग की गुजारिश की है। नसीहत दी है कि सरकार आवश्यक वस्तु अधिनियम (एसमा) लागू करे ताकि दाल की कीमतें स्थिर की जा सके। केंद्र सरकार अगर इस दिशा में पहल करती है राज्यादेश निकाला जाएगा। पूर्व में आलू-प्याज की कीमत स्थिर करने के लिए राज्य सरकार ने फौरी उपाय किए थे। जिसका सकारात्मक असर पड़ा था। बाजार में खाद्य सामग्र्री का मूल्य नियंत्रित करना होगा। इसके लिए केंद्र से पहल आवश्यक है।

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