सीएम रघुवर बोले, गरीबी मिटाने को आगे आएं नौजवान

युवा समूह से मुखातिब मुख्‍यमंत्री रघुवर दास ने रविवार को रांची के आर्यभट्ट सभागार में युवाओं को गरीबी मिटाने का टास्क सौंपा।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 11 Nov 2018 02:00 PM (IST) Updated:Sun, 11 Nov 2018 02:00 PM (IST)
सीएम रघुवर बोले, गरीबी मिटाने को आगे आएं नौजवान
सीएम रघुवर बोले, गरीबी मिटाने को आगे आएं नौजवान

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य के युवा समूहों को एक साल के अंदर गरीबी मिटाने का टास्क सौंपा है। इस बाबत उन्होंने अधिक से अधिक ग्रामीण युवाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोडऩे और उन्हें स्वावलंबी बनाने को कहा है। प्रथम चरण में उन्होंने ऐसे युवाओं का चयन करने को कहा है, जिनके पास परिवार चलाने के लिए आजीविका को कोई साधन न हो, खेती तक के लिए जमीन न हो।

उन्होंने कहा कि अगर युवा जागरूक होंगे तो गरीबी का नामोनिशान नहीं रहेगा। सरकार ऐसे समूहों को हर स्तर पर सुविधाएं देगी। राशि की कमी आड़े नहीं आएगी। सरकारी सहायता से लेकर मुद्रा लोन तक का प्रबंध होगा। ग्रामीण विकास की योजनाएं झारखंड मंत्रालय में नहीं, बल्कि गांवों में बनेंगी। वे रविवार को रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में आयोजित झारखंड आदिवासी  सशक्तीकरण एवं आजीविका परियोजना (जेटीइएलपी) के युवा समूह सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान 671 युवा समूहों को 25-25 हजार (कुल 1.67 करोड़) रुपये का विवेकाधीन अनुदान दिया। सांकेतिक तौर पर उन्होंने पांच-पांच किशोर एवं किशोरी युवा समूह के प्रतिनिधियों को चेक प्रदान किया। साथ ही 1151 लाइवस्टोक शेड (4.50 करोड़) व तीन बकरी प्रजनन केंद्र (18 लाख) का ऑनलाइन उद्घाटन किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों की दिलचस्पी जहां पावर में थी, वहीं उनकी इंपावरमेंट में हैं।

उन्होंने कहा कि दुनिया में जितनी क्रांतियां हुईं, जितने बदलाव हुए, युवाओं की अग्रणी भूमिका रही है। बिरसा मुंडा, चांद-भैरव, सिदो-कान्हु इसके बानगी हैं। अगर युवा जागरूक हो जाएं तो झारखंड की तकदीर और तस्वीर बदल जाए। वे जागरूक होंगे तो न मुखिया और न ही मुख्यमंत्री ही गड़बड़ी कर सकेंगे। इसके लिए युवाओं को विकास की सुनामी लानी होगी। उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी यहां के आदिवासियों और आदिम जनजातियों का अपेक्षित विकास नहीं हुआ है।

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कहते थे, एक रुपये में 15 पैसे ही गांव पहुंच रहा, अब पूरे के पूरे 100 रुपये पहुंच रहे हैं। बिचौलियावाद और भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है। सभी लाभुकों तक डीबीटी के माध्यम से राशि पहुंच रही है। खाद्य सुरक्षा कानून इसकी बानगी है। ई-पॉस मशीन से अनाज के आवंटन की प्रक्रिया से सरकार को 600 करोड़ रुपये की बचत हुई है। प्रधानमंत्री का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि दिसंबर तक हर घर तक बिजली की पहुंच होगी। झारखंड सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चल रही है। उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार तेजी से विकास चाहती है।

ऐसे में युवा अपनी जिंदगी जीते हुए यह सुनिश्चित करें कि उनकी पीढ़ी परेशानियों में न जीएं। ऐसी व्यवस्था करें कि हर युवा-युवती को उनके गांव-घर में सात-आठ हजार रुपये की व्यवस्था हो जाए। उन्हें पलायन न करना पड़े। बिचौलिए और प्लेसमेंट एजेंसियों के चक्कर में न पड़े, उनका आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण न हो। उन्होंने युवा समूहों को खासतौर पर संताल परगना पर फोकस करने की नसीहत दी। उन्होंने युवा समूह को उस क्षेत्र में पाखी साड़ी व कला को बढ़ावा देने के लिए प्लांट खोलने को कहा। साथ ही खजूर से गुड़ बनाने की कला विकसित करने को कहा। युवा खुद अपनी राह बनाएं।

नेता आएंगे, बरगलांगे, वोट लेंगे और उन्हें भगवान भरोसे छोड़ जाएंगे। कल्याण मंत्री लुइस मरांडी ने कहा कि सरकार जेटीइएलपी के माध्यम से सरकार सिर्फ युवाओं को स्वावलंबी ही नहीं बना रही, उनके लिए बाजार की भी व्यवस्था कर रही है। खूंटी के कर्रा प्रखंड का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां युवाओं का समूह पपीते की खेती कर रहा है और रिलायंस को बेच रहा है।

उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार जो कहती है, करती है। खुद को आदिवासियों का मसीहा कहकर बरगलाने वाले लोगों से उन्होंने युवा शक्ति को बचने की नसीहत दी। कल्याण सचिव हिमानी पांडेय ने कहा कि राज्य के 14 आदिवासी बहुल जिलों के 32 प्रखंडों में जेटीइएलपी कार्यक्रम चल रहा है। परियोजना का फोकस जल, जंगल, जमीन, जानवर और जन पर है। दो लाख 11 हजार परिवार इस योजना से जुड़ चुके हैं।

सफलता की कहानी : 10-10 रुपये जमा कर स्थापित की लाइब्रेरी, पांच को मिली नौकरी : सम्मेलन में नौ युवक-युवतियों ने जेटीइएलपी के सहयोग से मिली सफलता की कहानी सुनाई। पूर्वी सिंहभूम का रघुनाथ सोरेन ने समूह के जरिए 10-10 रुपये जमा कर तथा परियोजना के तहत मिले 20 हजार से दो कंप्यूटर और लाइब्रेरी खोलने की बात कही।

उन्होंने कहा कि इस प्रयास ने अबतक पांच ग्रामीण युवाओं को सरकारी नौकरी मिल चुकी है। इसी पुस्तकालय से पढ़कर 10वीं की छात्रा कोल्हान टॉपर बनी। सरायकेला-खरसावां की ललिता हेम्ब्रम और रांची की गौरी मुंडा ने बकरी पालन से जीवन की दशा बदलने, खूंटी की सुशारी हेरेंज ने पपीते की खेती से गांव की दशा बदलने की कहानी सुनाई। साहिबगंज के बोरियो के रमेश पहाडिय़ा ने कहा कि अब उन्हें महाजन से कर्ज नहीं लेना पड़ता। पहले छह महीने के लिए कर्ज 2000 लेता था, बदले में 4000 चुकाता था।

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