गुमला के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नहीं चली बसें, सड़कें रहीं सुनी

माओवादी प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के विरोध में भाकपा माओवादी के भारत बंद का मिलाजुला असर रहा। बंद का असर वैसे प्रखंडों में देखने को मिला जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। गुमला मुख्यालय में बंद का असर आंशिक रहा। सामान्य दिनों की तरह सभी दुकानें खुली रहीं।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 05:49 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 05:49 PM (IST)
गुमला के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नहीं चली बसें, सड़कें रहीं सुनी
माओवादी प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के विरोध में भाकपा माओवादी के भारत बंद का मिलाजुला असर रहा।

गुमला, जासं।  माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस और उसकी पत्नी शीला मरांडी की गिरफ्तारी के विरोध में भाकपा माओवादी द्वारा शनिवार को आहूत भारत बंद का मिला जुला असर रहा। बंद का असर वैसे प्रखंडों में देखने को मिला जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। गुमला मुख्यालय में बंद का असर आंशिक रहा।

सामान्य दिनों की तरह सभी दुकानें खुली रही। चौक चौराहों पर सामान्य दिनों की तरह लोग आवागम करते रहे। गुमला शहर के सभी प्रतिष्ठान खुले होने के कारण बंदी जैसा कुछ भी नहीं लगा। सब्जी की दुकानें भी सामान्य दिनों की तरह खुली थी। शनिवार को शहर में लगने वाली साप्ताहिक हाट भी सामान्य दिनों की तरह लगा। शहर में कम संख्या में बसों का परिचालन देखा गया। गुमला- रांची, गुमला -सिमडेगा, गुमला - लोहरदगा बसों का आवागमन हुआ। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जाने वाले बस का परिचालन कम संख्या में हुआ। शहर के पेट्रोल पंप भी खुले थे। रसोई गैस व अन्य होम डिलिवरी का कार्य भी सामान्य दिनों की तरह हुआ।

भाकपा माओवादी द्वारा शनिवार को आहूत भारत बंद बिशुनपुर प्रखंड में असरदार रहा। माओवादियों के द्वारा बंद बुलाए जाने से लोग काफी भयभीत हो गए और भय के कारण प्रखंड में होने वाली बॉक्साइट उत्खनन पर खासा असर रहा। शनिवार को सुबह से तमाम बॉक्साइट माइन्स में उत्खनन का कार्य बंद रहा। वहीं बॉक्साइट की ढुलाई भी पूरी तरह से ठप रही। इधर बंद का असर व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भी देखा गया। सुबह से ही प्रखंड की तमाम व्यापारिक प्रतिष्ठान भय के कारण स्वतः बंद रही जबकि सड़कों पर वाहनों का परिचालन नहीं हुआ।

इस कारण सड़कों पर वीरानी छाई रही।बंदी के कारण बॉक्साइट ट्रक, यात्री वाहन एवं नेतरहाट जाने वाले पर्यटक वाहन भी नहीं चली। माओवादियों के द्वारा आहूत बंद का असर चैनपुर में मिलाजुला रहा। गाड़ियों का परिचालन सहित सभी दुकाने बंद रहे। हालांकि कुछ दुकानें सुबह ग्यारह बजे तक खुली थी जिसके बाद सभी अपनी दुकानें बंद करके घर चले गए। कामडारा प्रखंड में नक्सली बंदी का असर मिला जुला रहा। मुख्य पथ पर सिर्फ यात्री बसों का परिचालन नहीं हुआ। कामडारा व पोकला में अन्य दिनों की भांति सभी दुकानें खुली रही।

मुख्य पथ पर ऑटो व ट्रकों सहित अन्य छोटी वाहनों का परिचालन अन्य दिनों की भांति सामान्य तरह से हुआ। हटिया-राउरकेला रेलखंड पर ट्रेनों का परिचालन भी अन्य दिनों की भांति सामान्य रहा। रायडीह में माओवादियों का बंदी का कोई असर नहीं दिखा रायडीह प्रखंड में भाकपा माओवादियों द्वारा आहूत बंदी का कोई असर नहीं दिखा। दुकान,लाइन होटल, पेट्रोल पम्प खुले रहे।प्रखंड सह अंचल कार्यालय ,विद्यालय खुला रहा। लेकिन डुमरी चैनपुर से रायडीह होता गुमला जाने वाली यात्री बसें नहीं चलीं। केवल छत्तीसगढ़ से आने वाली बसें चलीं।

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