Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर में पूरे स्तन को हटाने की जरूरत नहीं, इस तकनीक से कैंसर से जीत सकेंगे जंग

Breast Cancer Treatment Jharkhand Ranchi News टाटा कैंसर अस्‍पताल के डा. संजीत अग्रवाल ने कहा कि बिना पूरा स्‍तन हटाए ही कैंसर से जंग जीत सकते हैं। यह ब्रेस्ट ऑनकोप्लास्टी सर्जरी से संभव हो सकेगा। रांची के आइएमए में कैंसर विशेषज्ञों की टीम जुटी थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:29 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:45 AM (IST)
Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर में पूरे स्तन को हटाने की जरूरत नहीं, इस तकनीक से कैंसर से जीत सकेंगे जंग
Breast Cancer Treatment, Jharkhand Ranchi News रांची के आइएमए में कैंसर विशेषज्ञों की टीम जुटी थी।

रांची, जासं। स्तन कैंसर में अब पूरे स्तन को हटाने की जरूरत नहीं होगी। नई तकनीक से यह संभव हो पाया है। इसमें ब्रेस्ट ऑनकोप्लास्टी सर्जरी के माध्यम से पूरे ब्रेस्ट को बचाया जा सकता है। पहले स्तन कैंसर में पूरे ब्रेस्ट को निकाल दिया जाता था। लेकिन अब ऐसा करना जरूरी नहीं है। यह बातें टाटा कैंसर अस्पताल कोलकाता के कैंसर विशेषज्ञ डा. संजीत अग्रवाल ने शनिवार को रांची के आइएमए भवन में ब्रेस्ट कैंसर पर आयोजित सेमिनार में कही। उन्होंने बताया कि समय के साथ तकनीक में बदलाव आया है और आधुनिकीकरण में यह अब संभव हो पाया है।

झारखंड के संदर्भ में उन्होंने बताया कि यहां 70 प्रतिशत केस ब्रेस्ट कैंसर के तीसरे या अंतिम चरण में आने के बाद पता चलता है। इसे दूर करने के लिए उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार ग्रामीण स्तर पर, स्कूलों व कॉलेजों में ब्रेस्ट कैंसर पर टॉक शो और जागरूकता अभियान चलाकर इसे कम कर सकती है। मालूम हाे कि अक्टूबर माह ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के रूप में मनाया जाता है। इसे लेकर आइएमए और रिंची अस्पताल की ओर से ब्रेस्ट कैंसर पर शनिवार को देर शाम कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कोलकाता के ही डा. दीपक दत्तकारा ने बताया कि अब कैंसर के लिए कई एडवांस दवाएं मौजूद हैं। इसका इस्तेमाल कर कैंसर का इलाज किया जा सकता है। इसमें आठ से नौ माह का समय लग जाता है। इसमें दवा के साथ-साथ किमियोथैरिपी और रेडिएशन भी जरूरत के हिसाब से मरीजों को दिया जाता है। उन्होंने बताया कि एडवांस स्टेज में मरीज के बचने की उम्मीदें कम हो जाती हैं।

लेकिन अगर शुरुआत में इसका पता चल जाए, तो इलाज संभव है। उन्होंने यहां के डाक्टरों को बताया कि मरीजों की सही डाइग्‍नोसिस व एडवांस दवाओं को डाक्टर प्रमुखता के साथ दें। इस मौके पर रिम्स से डा. अनूप, डा. रोहित, डा. अभिषेक वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. उषा नाथ, डा. आलम अंसारी, डा. स्वेताम कुमार सहित अन्य डाक्टरों ने भी मौजूदा कैंसर के इलाज पर प्रकाश डाला।

300 से 350 महिलाएं हर माह विशेषज्ञ डाक्टरों के पास पहुंच रहीं

रांची की स्तन कैंसर विशेषज्ञ डा. नम्रता महनसरिया ने बताया कि राजधानी में हर विशेषज्ञ डाक्टरों के पास हर माह करीब 25 से 30 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत लेकर आ रही हैं। इसके अनुसार, 300 से 350 महिलाएं हर माह ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराने पहुंच रहीं हैं। इनमें विवाहित महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित महिलाएं भी शामिल हैं।

अविवाहित महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है, लेकिन इस ग्रुप की महिलाओं में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। इसके साथ-साथ स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती। जिस गांठ में दर्द हो, उसमें कैंसर के लक्षण नहीं होते। जबकि जिस गांठ में दर्द नहीं होता है, और वह बढ़ता जाता है, उसमें कैंसर के लक्षण हैं।

भ्रम से बचें महिलाएं

डा. नम्रता बताती हैं कि स्तन में जब गांठ का पता महिलाओं को चलता है, तो वे इसे नजरअंदाज कर देती हैं। उन्हें लगता है कि इसमें दर्द नहीं है, तो कोई समस्या नहीं होगी। कुछ महिलाएं मानती हैं कि जब वे अपने बच्चे को फीडिंग नहीं करातीं तो इससे भी गांठ होता है, जबकि यह मानना गलत है। ऐसी स्थिति में डाक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए, ताकि वक्त रहते इसका इलाज किया जा सके।

इन सब में एक बड़ा सामाजिक कारण भी है। महिलाएं परिवार के साथ इस पर चर्चा करने में भी असहज महसूस करती हैं। उन्होंने बताया कि कैंसर की जंग जीत चुके लोगों के लिए जीविशा ग्रुप बनाया जा रहा है। इसमें झारखंड की महिलाएं, जो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ रही हैं या जिसने बीमारी से जीत हासिल की है, उसे शामिल किया जाएगा।

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