सोने सी चमक बिखेर रहा पीतल, कीमत आसमान पर

पीतल की कीमतों में इस बार ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 07:00 AM (IST)
सोने सी चमक बिखेर रहा पीतल, कीमत आसमान पर
सोने सी चमक बिखेर रहा पीतल, कीमत आसमान पर

जासं, रांची: पीतल की कीमतों में इस बार ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है। पीतल पिछले एक वर्ष के सबसे अधिकतम भाव पर पहुंच गया है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद से ही पीतल के भाव में तेजी देखने को मिल रही है। व्यापारी बता रहे हैं कि भारत में विदेश से भी बड़ी मात्रा में पीतल उद्योग के लिए आयात किया जाता है। इसका इस्तेमाल जरूरत के मुताबिक अलग-अलग इंडस्ट्री में किया जाता है जैसे मूर्ति, बर्तन, ताले, हार्डवेयर, मशीन के पार्ट आदि। भाव में तेजी के कारण राजधानी के व्यापारी अब पीतल के सामान स्टाक में रखने से घबरा रहे हैं। कई मूर्ति निर्माताओं के आर्डर कैंसिल हो गए हैं।

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दोगुने हुए दाम

अपर बाजार में पीतल के बर्तन विक्रेता अनुज अग्रवाल बताते हैं कि उनकी दुकान अपर बाजार में बीस तीस साल पुरानी है। पीतल के दाम में सोने सा उछाल उन्होंने कभी नहीं देखा था। एक साल में लगभग पीतल के दाम दोगुने हो गए हैं। वर्ष 2018 में पीतल का दाम 260 रुपये प्रति किलो था। जो दो वर्ष में 360 रुपये तक पहुंचा। मगर पिछले एक वर्ष में इसकी कीमत दोगुनी हो गयी है। अभी पीतल 680 रुपये बिक रहा है। अगले एक सप्ताह में इसके 700 तक पहुंच जाने की संभावना है। यही कारण है कि पीतल के बर्तन, मूर्ति, ताले व हार्डवेयर के आइटम तमाम चीजों के दाम में तेजी आ गयी है।

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आयात नहीं होने से प्रभावित हुआ भाव

राज्य में पीतल की सबसे ज्यादा खपत अलग-अलग पार्ट बनाने के लिए जमशेदपुर के आदित्यपुर में होती है। यहां सैकड़ों छोटी-छोटी कंपनियां है जो छोटे से बड़े स्तर पर अलग-अलग मशीन का पार्ट बनाती हैं। इसके अलावा राज्य में पीतल के बर्तन बनाने का काम बड़े स्तर पर कहीं नहीं होता। रांची के बाजार में पीतल का बर्तन कोलकाता, अलीगढ़, मेरठ, बिहार के आरा से आता है। वहीं पीतल की मूर्ति और आर्ट पीस मुंबई से मंगाई जाती है। कोरोना संक्रमण के कारण एक तरफ को पीतल का आयात प्रभावित है। वहीं दूसरे तरफ मुंबई सहित अन्य स्थानों पर उद्योग पर असर पड़ा है। वहीं मुंबई में फिर से लाकडाउन ने एक बार फिर से रेट को उपर जाने का बड़ा कारण दिया है।

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दिसंबर में 470 प्रति किलो

जनवरी में 510 प्रति किलो

फरवरी में 540 प्रति किलो

मार्च में 650 प्रति किलो

अप्रैल में 680 प्रति किलो

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