कलशयात्रा के साथ 28वां वार्षिकोत्सव शुरू

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By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Feb 2019 09:23 PM (IST) Updated:Sun, 10 Feb 2019 09:23 PM (IST)
कलशयात्रा के साथ 28वां वार्षिकोत्सव शुरू
कलशयात्रा के साथ 28वां वार्षिकोत्सव शुरू

रामगढ़ : शहर के प्रसिद्ध माता वैष्णों देवी मंदिर का 28वां वार्षिकोत्सव का शुभारंभ रविवार विभिन्न अनुष्ठानों के बीच किया गया। पहले दिन गाजे-बाजे के साथ भव्य कलश यात्रा निकाली गयी इस दौरान पूरा शहर जय माता दी के उद्घोष से गूंजायमान होता रहा। कलश यात्रा के दौरान भारी संख्या में श्रद्धालु महिलाएं लाल चुनरी ओढ़े सिर पर कलश लेकर चल रही थी। शहर भ्रमण के बाद स्थानीय चट्टी बाजार स्थित श्री सत्यनारायण मंदिर से भक्तों ने जल उठाया। यात्रा में दो सुसज्जित वाहनों पर माता का विशाल चित्र रखा गया था। इसके पीछे स्थानीय कलाकार भजन गाते हुए चल रहे थे। कलश यात्रा में शामिल महिलांए व श्रद्धालु माता का जयकारा लगाते हुए चल रहे थे। कलश यात्रा के आगे श्रीश्याम मंडल के ध्रुव ¨सह एवं मां छिन्नमस्तिके भक्त मंडल के लक्ष्मण मोदी माता का भजन गाते हुए चल रहे थे। नगर भ्रमण के दौरान शिवाजी रोड स्थित गुरूद्वारा प्रबंध कमेटी के सदस्यों ने कलश यात्रा का स्वागत फल आदि वितरण कर किया। इसके अलावे अन्य कई समाजसेवी संस्थाओं ने कलश यात्रा का स्वागत किया व फल-प्रसाद का भोग माता रानी को लगाया। कलश यात्रा के आगे शतचंडी यज्ञ के मुख्य यजमान संजीव चड्डा व उनकी धर्मपत्नी अंजू चड्डा साथ-साथ चल रहे थे। इस अवसर पर मंदिर की संचालक संस्था पंजाबी हिन्दू बिरादरी व माता वैष्णों देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष एससी वासुदेवा, महासचिव महेश मारवाह, मनोहर लाल मारवाह, सुशील खोसला, सुभाष चंद्र मारवाह, राजेंद्र पाल मारवाह, जेके शर्मा, नरेश चंद्र मारवाह, सकत्तर लाल सिल्ली, विश्वनाथ अरोड़ा, रमण मेहरा, सुखदेश भनोट, कैलाश शर्मा, राजीव चड्डा सहिबिरादरी के सभी सदस्यों के अलावे श्रद्धालु शामिल थे।

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28 वर्ष पूर्व हुई थी माता की प्रतिमास्थानीय झंडा चौक स्थित माता वैष्णों देवी मंदिर में माता की भव्य प्रतिमा स्थापित की गई थी। बुजूर्गों का कहना है कि आज से 28 वर्ष पूर्व काफी आश्चर्यजनक तरीके से माता की प्रतिमा स्थापित हुई थी। लोग बताते हैं कि प्रतिमा स्थापना के वक्त भारी संख्या में लोग प्रतिमा को उठाकर नियत स्थान पर बैठा रहे थे, लेकिन प्रतिमा को लोग उठा नहीं पाए। इसके बाद काशी व अन्य स्थान से आए पंडितों ने काफी अनुष्ठान व धार्मिक क्रियाएं की, इसके बाद एक तेज आवाज हुई और धरती में कंपन हुआ, इसी के साथ प्रतिमा नियत स्थान पर स्थापित हो सकी। आवाज इतनी तेज थी कि इसकी आवाज पूरे रामगढ़ वासियों ने सुनी। रामगढ़ के लोग इसकी पुष्टि भी करते हैं, इसके बाद प्रत्येक वर्ष प्रतिमा स्थापना की वर्षगांठ मनायी जाती है। वर्ष में तीन बार भंडारे का आयोजन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। मंदिर के गुम्बद को 20 फीट तक सोने से मढ़ा गया है।

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