शुद्ध पेयजल प्राप्त करना नागरिक का अधिकार

चंदवा (लातेहार): शुद्ध पेयजल प्राप्त करना जनता का मौलिक अधिकार है। इसके लिए जल का निजीकरण व बाजारीकर

By Edited By: Publish:Thu, 08 Dec 2016 04:58 PM (IST) Updated:Thu, 08 Dec 2016 04:58 PM (IST)
शुद्ध पेयजल प्राप्त करना नागरिक का अधिकार

चंदवा (लातेहार): शुद्ध पेयजल प्राप्त करना जनता का मौलिक अधिकार है। इसके लिए जल का निजीकरण व बाजारीकरण बंद करना होगा। आम नागरिक व किसानों के उपयोग के बाद अगर शुद्ध जल बचता है। तभी उसे कॉरपोरेट को दिया जाए।

उक्त बातें नदी बचाओ जल बचाओ अभियान से जुड़े रामचंद्र रवानी ने चंदवा में प्रेसवार्ता में कही।

उन्होंने कहा कि आंदोलन के बाद भी नदियों के जल को बचाने की सार्थक पहल अबतक नहीं की जा सकी है। डीवीसी विकास परियोजना के 68 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इसे प्रदूषण से बचाने की पहल नहीं की गई है। कहा कि उनके द्वारा जल समाधि लेने के पश्चात सरकार द्वारा दामोदर को प्रदूषण मुक्त करने का वादा किया गया था।

राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय द्वारा 10.22 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई थी, जो धरातल पर नहीं दिखती। गंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के नाम पर 20 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई है तो फिर दामोदर को क्यों नहीं।

सौरभ प्रकृतिवादी ने कहा कि भारत नदी मातृक सभ्यता है। भारत का अस्तित्व नदियों से है। अगर इनका अस्तित्व खतरे में आया तो जीवन का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। तापस दास ने कहा कि नदियों पर संपूर्ण रूप से बड़ा बांध बनाना बंद किया जाए। क्योंकि इससे भूमि की बर्बादी होती है। बहुत सारे क्षेत्र जलमग्न हो जाते हैं। ऐसे बनाए गए बांधों का मूल्यांकन हो।

घनश्याम मिश्रा ने भूमिगत जल के न्यायसंगत उपयोग, संरक्षण व स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कहते नदी प्रक्षेत्र में जंगल कटाव को रोकने, उन क्षेत्रों में पौधरोपण के लिए राष्ट्रीय योजना बनाने, नदी व नदी प्रक्षेत्र में ओपेन कास्ट माइ¨नग एवं अवैध उत्खनन बंद करने की बात कही।

कौशिक हालदार, कृष्णा महतो व उमेश तुरी ने प्रत्येक गांव में छोटे-छोटे जलाशयों का निर्माण, वातावरण सहयोगी कृषि को बढ़ावा देने, नदी परियोजनाओं एवं नदी किनारे बसे उद्योग के कारण विस्थापित लोगों के नियोजन एवं पुनर्वास सुनिश्चित करने समेत अन्य बातें कहीं।

मौके पर डॉ. विश्वनाथ आनंद, राघव पासवान, दरबारी महतो, एकल नारी संगठन की इंद्रावती देवी, बसंती देवी, गौतम, सौरव समेत अन्य उपस्थित थे।

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