Weekly News Roundup Jamshedpur : धनबाद से विद्युत वरण महतो लड़ सकते चुनाव, पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर

Weekly News Roundup Jamshedpur. उन्होंने कोयले के बारे में इतना ज्ञान अर्जित कर लिया है कि उतना धनबाद-झरिया के विधायक-सांसद नहीं जानते होंगे।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 29 Jun 2020 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 29 Jun 2020 09:00 AM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : धनबाद से विद्युत वरण महतो लड़ सकते चुनाव, पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : धनबाद से विद्युत वरण महतो लड़ सकते चुनाव, पढ़‍िए सियासी दुनिया की अंदरूनी खबर

जमशेदपुर, वीरेंद्र ओझा।  जमशेदपुर लोकसभा सांसद विद्युत वरण महतो धनबाद से चुनाव लड़ सकते हैं। धनबाद ही नहीं, रामगढ़, झरिया, बोकारो समेत कोयला खनन वाले किसी भी क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। उनके पास इसकी काबिलियत है। उन्होंने कोयले के बारे में इतना ज्ञान अर्जित कर लिया है, कि उतना धनबाद-झरिया के विधायक-सांसद नहीं जानते होंगे।

शनिवार को उन्होंने आवास पर प्रेसवार्ता बुलाई थी। हालांकि, वे पीछे लगे डुमरी की वर्चुअल जनसभा वाला पोस्टर हटाना भूल गए। जब बोलना शुरू किया तो कोयले की पूरी अर्थव्यवस्था को इतने विस्तार से बताया कि सुनने वाले अवाक रह गए। उन्हें जमशेदपुर क्षेत्र का भी भौगोलिक, राजनैतिक व ऐतिहासिक ज्ञान गजब का है। गलती से आपने किसी सड़क के बारे में पूछ दिया तो बंगाल और ओडिशा तक पहुंचाकर ही दम लेंगे। कौन सड़क कब बनी थी, कब टूटी, क्यों टूटी, उन्हें कंठस्थ है। एनएच-33 किस डिजाइन से बनेगा, इसका खाका भी तैयार कर लिया है।

माचा में मंगल ने खोल दिया अस्‍पताल

जिले के पटमदा प्रखंड में माचा है, जहां दस साल पहले 100 बेड का अस्पताल बना था। लेकिन यह खुल ही नहीं रहा था। कभी बात सामने आती कि अस्पताल के लिए जमीन बेचने वाले 14 लोगों को नौकरी देने की शर्त रख रहे हैं, तो कभी 22। मंगल दस साल तक इस तमाशे को देखते रहे। जैसे ही विधायक बने, इस अस्पताल को खुलवाने में जुट गए। सबकी राजनीति धरी रह गई। मंगल ने ना केवल छह माह में अस्पताल खुलवा दिया, बल्कि उद्घाटन भी उस बुजुर्ग महिला से कराया, जिसने अस्पताल के लिए जमीन दी थी। मंगल कालिंदी का लक्ष्य अब पटमदा क्षेत्र की सड़कों को बंगाल जैसा बनाना है, जिससे उनके क्षेत्र की बदनामी होती है। वह कहते हैं, दस साल तक आजसू-भाजपा गठबंधन ने क्या किया, जनता देख रही है। वे आज भी नहीं बदले हैं, खुद ज्ञापन लेकर डीसी-एसएसपी के पास पहुंच जा रहे हैं।

कांग्रेस के टुकड़े हजार हुए...

बड़ा लोकप्रिय गाना है, दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा कोई वहां गिरा..। ठीक वैसी ही स्थिति जमशेदपुर में दिख रही है। गम इस बात का नहीं है कि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को कांग्रेसियों की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद कर लिया। दुख इसका है कि शहर के वयोवृद्ध कांग्रेसी एसआरए रिजवी छब्बन कई दिनों से बीमार हैं, लेकिन उन्हें देखने कोई नहीं गया। दुख इस बात का है कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का अलग कांग्रेस है, तो भूतपूर्व हो चुके प्रदीप बलमुचू का कांग्रेस अलग-थलग पड़ गया है। जिलाध्यक्ष बिजय खां अपनी दुनिया में मस्त हैं, तो उन्हें पानी पी-पीकर कोसने वाले कांग्रेसी भी थककर निराश हो चुके हैं। यहां एक कांग्रेस पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय का भी चलता है, जिसका नेतृत्व आदित्यपुर करता है। ये जनाब छपने के लिए जब-तब खरकई नदी पुल पार कर के जमशेदपुर भी आ जाते हैं।

पुराने घर पहुंच भावुक हुए बलमुचू

कभी झारखंड कांग्रेस के रिंग मास्टर रहे डॉ. प्रदीप कुमार बलमुचू कई दिनों से एकांतवास में चल रहे थे। विधानसभा चुनाव के बाद से ही इनका टाइमपास नहीं हो रहा था। वे अपने पुराने साथियों से मिलना चाहते थे, लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। लॉकडाउन ने इसमें और बाधा डाल दी थी। इसी बीच उनके जिगरी दोस्त रहे अवतार सिंह तारी का निधन हो गया। बहरहाल, शनिवार को श्रद्धांजलि देने सभी लोग तारी जी के घर पहुंचे। बन्ना गुप्ता भी थे, जिनसे बलमुचू ने घंटों बातें कीं। पुराने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी पुराने दिनों की तरह उसी तरह बतियाते रहे, जैसे लगा ही नहीं कि बलमुचू किसी दूसरे दल में हैं। इससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया कि बलमुचू कांग्रेस में आना चाहते हैं। इससे पहले भी एक बार हलचल मची थी, जिसमें यह बात भी सामने आई थी कि नए रिंग मास्टर आने नहीं देना चाहते हैं।

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