Jamshedpur, Jharkhand News: डायन के नाम पर पोटका में मार दी गई आदिवासी महिला, आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राज्यपाल को लिखा पत्र

झारखंड प्रदेश में डायन के नाम पर हिंसा हत्या और प्रताड़ना की घटनाएं प्रतिदिन हो रही हैं। इससे खासकर आदिवासी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। मगर डायन निवारण कानून और पुलिस- प्रशासन की मौजूदगी का इसके रोकथाम में ज्यादा कोई असर अब तक नहीं दिखा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 30 Oct 2021 04:30 PM (IST) Updated:Sat, 30 Oct 2021 04:30 PM (IST)
Jamshedpur, Jharkhand News: डायन के नाम पर पोटका में मार दी गई आदिवासी महिला, आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राज्यपाल को लिखा पत्र
आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मयूरभंज (ओडिशा) के पूर्व सांसद सालखन मुर्मू

जमशेदपुर, जासं। झारखंड प्रदेश के पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत पोटका प्रखंड (कोवाली थाना) क्षेत्र के हरिणा पंचायत के मंगड़ू गांव की रूपी मुर्मू (55 वर्ष) को डायन बताकर 27 अक्टूबर 2021 की शाम दो सिरफिरे युवकों द्वारा हत्या कर दी गई। पुलिस के अनुसार युवकों ने पहले रूपी मुर्मू की लाठी से जमकर पिटाई की। फिर नग्न कर उसे बैलगाड़ी पर गांव में घुमाया। उसके बाद महिला को उसके घर के पीछे छोड़ दिया। पति चंदु मुर्मू किसी प्रकार भाग कर अपनी जान बचा सका।

अगले दिन 28 अक्टूबर 2021 को सुबह चंदु मुर्मू घर पहुंचा तो देखा कि उसकी पत्नी का शव निर्वस्त्र अवस्था में घर के पीछे पड़ा है।

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मयूरभंज (ओडिशा) के पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने इस आशय की जानकारी देते हुए झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को पत्र लिखा है। इसमें लिखा गया है कि यह हृदयविदारक घटना केवल अंधविश्वास का कोई प्रतिफल नहीं है, बल्कि संविधान-कानून नियंत्रित मानव समाज के गाल पर एक जोरदार तमाचा है। आदिवासी समाज और बाकी सबके सामने एक खतरनाक चुनौती है। हैवानियत की इस घटना को एक दुर्घटना मान कर भूल जाना हैवानियत को जिंदा रखने के बराबर है। अंधविश्वास, प्रथा, परम्परा आदि के नाम पर किसी निर्दोष व्यक्ति और समाज के ऊपर अन्याय, अत्याचार, शोषण का अधिकार किसी को नहीं है।

झारखंड में प्रतिदिन हो रही इस तरह की हिंसा

झारखंड प्रदेश में डायन के नाम पर हिंसा, हत्या और प्रताड़ना की घटनाएं प्रतिदिन हो रही हैं। इससे खासकर आदिवासी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है। मगर डायन निवारण कानून और पुलिस- प्रशासन की मौजूदगी का इसके रोकथाम में ज्यादा कोई असर अब तक नहीं दिखा है। डायन के नाम पर हत्या जैसी घटनाएं केवल समाचार पत्रों की सुर्खियां बटोर पाता है, तत्पश्चात कहानी खत्म। डायन हत्या, हिंसा और प्रताड़ना के मामलों पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की है। मगर झारखंड सरकार अब तक उदासीन प्रतीत होती है।

उच्चस्तरीय जांच कराएं राज्यपाल

सालखन ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वे पोटका प्रखंड (कोवाली थाना) में हुई इस हैवानियत की घटना पर उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन कराएं, ताकि इसके पीछे के कारणों का विस्तृत और गहराई से जानकारी हासिल हो। इससे ऐसी घटनाओं की रोकथाम का ठोस उपाय और क्रियान्वयन का रास्ता अख्तियार किया जा सकेगा। फिलहाल इस हैवानियत की घटना को अंजाम देने में पूरे गांव के लोग, आदिवासी स्वशासन के प्रमुख (माझी-परगना) और जनप्रतिनिधि (ग्राम पंचायत) आदि भी अप्रत्यक्ष रूप से दोषी प्रतीत होते हैं। चूंकि मृत महिला रूपी मुर्मू के साथ डायन के नाम पर गांव में पहले भी मारपीट की गई थी। ग्रामीणों ने 27.10.21 को गांव में महिला को नग्न घुमाने का प्रतिरोध नहीं किया। अतएव भविष्य में ऐसे लापरवाह ग्रामीणों पर सामूहिक जुर्माना और अन्य दंडात्मक प्रावधानों को जोड़ा जा सकता है। आदिवासी स्वशासन के प्रमुखों को भी जिम्मेदार बनाया जाए तथा ऐसी दुर्घटनाओं को होने से पूर्व रोकने के लिए सूचनातंत्र, जिम्मेदारी और क्रियान्वयन की मिशनरी तय की जाए।

आतंकवाद से कम चिंताजनक नहीं

डायन हिंसा, हत्या और प्रताड़ना मानवीय जनजीवन पर आतंकवादी हमला से कम बर्बरतापूर्ण और चिंताजनक नहीं है। किसी निर्दोष महिला को जान से मारना और नंगा कर गांव में घुमाना तथा उसके साथ दुष्कर्म करना आदि मानवता के लिए अभिशाप है, शर्मनाक है। मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। उम्मीद है आप इस घटना पर त्वरित कार्रवाई करेंगे और भविष्य में इसकी रोकथाम के लिए ठोस उपाय बनाने का प्रयास करेंगे।

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