टायो रोल्स की परिसंपत्ति का फिर से होगा मूल्यांकन Jamshedpur News

कंपनी की 350 एकड़ जमीन को शामिल किए जाने पर मंथन पूर्व के मूल्यांकन में लीज के पेच के कारण जमीन नहीं थी शामिल।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 09:37 AM (IST)
टायो रोल्स की परिसंपत्ति का फिर से होगा मूल्यांकन Jamshedpur News
टायो रोल्स की परिसंपत्ति का फिर से होगा मूल्यांकन Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। लगभग तीन साल पहले बंद हो चुकी टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई टायो रोल्स की पूरी परिसंपत्ति का नए सिरे से मूल्यांकन होगा। इसमें कंपनी की 350 एकड़ जमीन को शामिल किया जा सकता है। इस पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (सीएनएलटी) द्वारा नियुक्त नए रिजोल्यूशन प्रोफेशनल (आरपी) अनीस अग्रवाल मंथन कर रहे हैं।

इससे पहले सीएनएलटी में सुनवाई के दौरान तत्कालीन आरपी विनीता अग्रवाल ने जमीन को छोड़कर कंपनी की परिसंपत्ति का मूल्यांकन किया था। बीते 30 अक्टूबर को सीएनएलटी ने झारखंड राज्य विद्युत वितरण निगम और टायो संघर्ष समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए विनीता अग्रवाल को हटाते हुए अनीस अग्रवाल को नया आरपी बनाया था। 

जमीन पर कानूनी राय ले रहे अनीस

जमीन को लेकर अब भी पेच है। दरअसल टाटा स्टील प्रबंधन टायो रोल्स को लीज पर जमीन देने की बात कह रहा है, जबकि याचिकाकर्ता टायो संघर्ष समिति इसे कंपनी की बता रही है। आरपी अनीस अग्रवाल खुद कानूनी राय ले रहे हैं। उन्होंने टाटा स्टील प्रबंधन से बिहार सरकार के साथ हुए लीज समझौते की मूल कॉपी भी मांगी है। वहीं टायो संघर्ष समिति ने नए आरपी से संपति मूल्यांकन में 350 एकड़ जमीन शामिल करने की अपील की है। 

बाजार भाव से जमीन की कीमत 875 करोड़ 

संघर्ष समिति के वरीय अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव के अनुसार टायो प्लांट क्षेत्र में एक एकड़ जमीन का बाजार भाव ढ़ाई करोड़ रुपये है। इस प्रकार पूरी जमीन की कीमत लगभग 875 करोड़ रुपये तक हो सकता है। वहीं, प्लांट इंफ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी, बिल्डिंग की कीमत लगभग 150 से 200 करोड़ रुपये आंकी गई है। अगर दोनों राशि जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा 1025 करोड़ को पार कर जाएगा। इस राशि से कंपनी के सभी लेनदारों का बकाया वापस हो सकता है। 

विनीता ने लगाई थी 100 से 125 करोड़ की कीमत

टायो संघर्ष समिति के सदस्य अजय शर्मा का कहना है कि पूर्व आरपी विनीता अग्रवाल ने कंपनी की संपत्ति का मूल्यांकन100 से 125 करोड़ रुपये ही किया था। वह कंपनी की परिसंपत्ति का मूल्यांकन कर मेमोरेंडम ऑफ इंटरेस्ट बनाकर उस पर हस्ताक्षर कराना चाहती थी, लेकिन जब मूल्यांकन कमेटी के सदस्यों ने हस्ताक्षर नहीं किया।

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