शिशु निकेतन की बच्चियां फिर से हो जाएंगी अनाथ

कल्याण निकेतन की संपत्ति बिकने पर शिशु निकेतन में रहने वाली नौ बच्चियां फिर से अनाथ हो जाएंगी।

By Edited By: Publish:Sun, 10 Mar 2019 09:03 AM (IST) Updated:Sun, 10 Mar 2019 09:03 AM (IST)
शिशु निकेतन की बच्चियां फिर से हो जाएंगी अनाथ
शिशु निकेतन की बच्चियां फिर से हो जाएंगी अनाथ
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कल्याण निकेतन की संपत्ति बिकने पर शिशु निकेतन में रहने वाली नौ बच्चियां फिर से अनाथ हो जाएंगी। बचपन से यहां आश्रय पाई इन बच्चियों का क्या होगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। टाटा स्टील के ऑल इंडिया वीमेंस कांफ्रेंस (एआइडब्ल्यूसी) द्वारा संचालित कल्याण निकेतन की परिसंपत्ति प्रबंधन बेचने की तैयारी कर रही है। सोसाइटी प्रबंधन का कहना है कि वे घाटे में चल रहे कल्याण निकेतन को बेचेगी और इससे जो राशि मिलेगी उससे यहां कार्यरत कर्मचारियों को स्थायी नौकरी के बदले में पैकेज देगी, लेकिन कल्याण निकेतन के परिसर में संचालित सोसाइटी, क्लिनिक, कैंटीन सहित शिशु निकेतन के नाम से एक अनाथ आश्रम भी चलता है। यहां बचपन से ही नौ बच्चियां रह रही हैं। यहीं रहकर ये पढ़ाई भी करती हैं। यहां रहने वाली नौ में से तीन बच्चियां दिव्यांग भी हैं, लेकिन पूरी इमारत बिक्री होने के बाद इनका भविष्य अंधकार होता दिख रहा है। बचपन में जो साथ रहीं, हर सुख-दुख में जिनका साथ मिला, अब वे बिछड़ जाएंगी। हालांकि सोसाइटी प्रबंधन की एक कर्मचारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि पांच बच्चियों को वे रांची भेजने की योजना है। जबकि चार युवतियों को किसी तरह की नौकरी देकर उन्हें अपने स्तर से रहने को कहा जाएगा। चार लोगों ने मिलकर शुरू किया था अनाथ आश्रम : वर्ष 1949 से संचालित शिशु निकेतन को चार लोगों ने मिलकर शुरू किया था। इनमें नलिनी आचार्य, देव प्रकाश, श्रीमति प्रधान व ज्ञान प्रकाश शामिल थे। सोसाइटी में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि ये लोग बच्चियों को अस्पताल में छोड़कर जाने वाले, लड़की है इसलिए उसे पालने से इन्कार करने वाले और रेलवे स्टेशन में घूमने वाली बच्चियों को अनाथ आश्रम लेकर आ जाती थीं। यहां उनके खाने-पीने से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक की पूरी व्यवस्था की जाती थी। आश्रम चलाने के लिए खुद बेचती थी लिफाफा : सोसाइटी की पुरानी महिला कर्मचारियों के अनुसार नलिनी आचार्य और उनके साथ जुड़ी महिलाओं का ऐसा समर्पण था कि आश्रम चलाने के लिए वे रिक्शा में पूरे शहर में घूम-घूमकर लिफाफा, दवाई के पैकेट बेचती थीं। खुद आर्डर लेकर आती और उसे पूरा करने जो पैसे मिलते थे उससे आश्रम चलाती थी। अब भी कार्यरत हैं कुछ महिलाएं : कल्याण निकेतन में कुछ ऐसी भी महिलाएं कार्यरत हैं जो शिशु निकेतन कब आई, उन्हें याद नहीं, लेकिन यहीं पढ़ाई की, यहीं से उनकी शादी हुई और वे अब यहीं काम कर अपना गुजर बसर कर रही हैं, लेकिन कल्याण निकेतन की बिक्री होने के बाद ये फिर से अनाथ हो जाएंगी। शिशु निकेतन में रहने वाली बच्चियां नाम उम्र ऋृतु 12 वर्ष प्रिया 12 वर्ष जूही 15 वर्ष तारो 20 वर्ष सीमा 20 वर्ष अनु 20 वर्ष पीहू 20 वर्ष सुनीता 40 वर्ष नंदिता 28 वर्ष
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