रद्दी कागज से बना डाली पांच फीट की विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा

जमशेदपुर के टेल्को क्षेत्र में कंपनी क्वार्टर में रह रहे पंकज भगत ने अखबार के रद्दी कागज को इकट्ठा कर उससे देवी सरस्वती की प्रतिमा तैयार की। वह भी केवल एक सप्ताह में।

By Edited By: Publish:Fri, 01 Feb 2019 09:00 AM (IST) Updated:Fri, 01 Feb 2019 01:29 PM (IST)
रद्दी कागज से बना डाली पांच फीट की विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा
रद्दी कागज से बना डाली पांच फीट की विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा

जमशेदपुर [रवि चौधरी]।  स्वच्छता अभियान के साथ ही परिवेश को साफ व सुंदर बनाए रखने के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी समझ, कला व कौशल के माध्यम से न केवल जागरूक कर रहे हैं बल्कि अपने हुनर का लोहा भी मनवा रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं पंकज भगत। टेल्को क्षेत्र में कंपनी क्वार्टर में रह रहे पंकज भगत ने अखबार के रद्दी कागज को इकट्ठा कर उससे देवी सरस्वती की प्रतिमा तैयार की। वह भी केवल एक सप्ताह में। करीब पांच फीट की इस प्रतिमा में ढाई से तीन किलो रद्दी कागज का इस्तेमाल किया गया है। अब इस प्रतिमा को आगामी सरस्वती पूजा के अवसर पर टेल्के के रोड नंबर 24 के पंडाल में प्रदर्शित किया जाएगा।

स्वच्छता व पर्यावरण जागरूकता के लिए की पहल

रद्दी कागज से प्रतिमा तैयार करने के बारे में पूछे जाने पर पंकज भगत ने बताया कि इनदिनों स्वच्छता को लेकर लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही पर्यावरण को संरक्षित रखना एक बड़ा मुद्दा है। ऐसे में इधर-उधर फेंके गए कागज को देखकर मन में विचार आया कि क्यों न कुछ ऐसा किया जाए जिससे रद्दी कागज का उपयोग हो जाए और समाज में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी पहुंचे। यही सोचते-सोचते ध्यान में आया कि सरस्वती पूजा का समय आनेवाला है। क्यों न सरस्वती देवी की प्रतिमा बनाई जाए। इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी बात को पहुंचाया जा सकता है। बस, शुरू किया और प्रतिमा तैयार भी हो गई।

सिर्फ कागज व गोंद का उपयोग, पर्यावरण के अनुकूल

अपने उद्देश्य के बारे में बताते हुए पंकज ने कहा कि पारंपरिक तरीके से तैयार प्रतिमा में प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग किया जाता है जो पानी में जल्दी नहीं गलता। विसर्जन के बाद समस्या आती है। वहीं रद्दी कागज की सरस्वती प्रतिमा को तैयार करने में केवल रद्दी कागज और गोंद का उपयोग किया गया है। यह आसानी से पानी में गल जाएगा और किसी तरह नुकसानदेह नहीं होगा।

बिना किसी प्रशिक्षण के बच्चों को सिखा रहे ड्राइंग

पंकज भगत ने कहीं से भी व्यावसायिक प्रशिक्षण नहीं लिया। कला में रुचि रहने के कारण शौकिया तौर पर पेंटिंग करते हैं। कई बच्चे इनसे पेंटिंग सीखने भी आते हैं। मूल रूप से आसनबनी डोरकासाई के रहनेवाले पंकज ने आसनबनी से ही मैट्रिक तक पढ़ाई की है। पिता अर्जुन भगत के सेवानिवृत्त होने के बाद टाटा मोटर्स में बाइ सिक्स (अस्थायी कर्मी) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि आगे भी इस तरह की कलाओं के जरिए वे लोगों को जागरूक करने का प्रयास करते रहेंगे।

chat bot
आपका साथी