स्किन टीबी में देसी इलाज खतरनाक : डॉ. राजेश

स्किन (चर्म) टीबी के मरीज देशभर में बढ़ रहे हैं। इसमें अधिकांश लोग देसी इलाज लेते हैं, जो खतरनाक है। उक्त बातें शनिवार को मुंबई ग्रांड मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार ने कहीं। शनिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनरेलॉजिस्ट, लेप्रोलॉजिस्ट (आइएडीवीएल) जमशेदपुर शाखा की ओर से गोलमुरी क्लब में दो दिवसीय महासम्मेलन का आयोजन किया गया। उद्घाटन महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी ने किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 10:00 AM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 10:00 AM (IST)
स्किन टीबी में देसी इलाज खतरनाक : डॉ. राजेश
स्किन टीबी में देसी इलाज खतरनाक : डॉ. राजेश

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : स्किन (चर्म) टीबी के मरीज देशभर में बढ़ रहे हैं। इसमें अधिकांश लोग देसी इलाज लेते हैं, जो खतरनाक है।

उक्त बातें शनिवार को मुंबई ग्रांड मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार ने कहीं। शनिवार को इंडियन एसोसिएशन ऑफ डर्मेटोलॉजिस्ट, वेनरेलॉजिस्ट, लेप्रोलॉजिस्ट (आइएडीवीएल) जमशेदपुर शाखा की ओर से गोलमुरी क्लब में दो दिवसीय महासम्मेलन का आयोजन किया गया। उद्घाटन महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसी अखौरी ने किया। डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि स्किन टीबी बैक्टीरिया की वजह से होता है। शरीर के किसी भी हिस्से में दो महीने से अधिक समय तक चकत्ता हो तो उसकी जांच करानी चाहिए। स्किन टीबी किसी को भी हो सकती है। इसमें दवा सामान्य टीबी की तरह ही चलती है। वहीं बेंगलुरु के रिटायर्ड मेजर जनरल डॉ. एसके जयसवाल ने कहा कि अभी भी देश में कुष्ठ रोगियों की संख्या अधिक है। व्यक्ति के शरीर में अगर कोई भी दाग हो और वह सुन्न लगे तो उसे तत्काल डॉक्टर से दिखाने चाहिए। वहीं एमजीएम के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. एएन झा ने बताया कि झारखंड में एचआइवी मरीजों की संख्या 18 से 20 हजार है। जमशेदपुर में इनकी संख्या करीब तीन हजार है। ये मरीज समय पर इलाज कर लंबी उम्र जी सकते हैं। इस अवसर पर सचिव डॉ. आर कुमार, साइंटिफिक कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. एसएन सिंह, डॉ. राजीव ठाकुर सहित अन्य उपस्थित थे।

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पहले सत्र में डॉक्टरों ने शेयर किया अपना अनुभव

सम्मेलन के पहले सत्र में डॉ. अमित कुमार ने केमिकल पी लिंग, डॉ. शुभांशु पटनायक ने ओपीडी रोगियों के लिए होलिस्टिक एप्रोच, डॉ. निवेदिता पात्रा ने वर्तमान परिदृश्य में लेप्रोसी की नई चुनौती, डॉ. प्रसन्नजीत मोहंती ने चर्मरोग में धार्मिक भ्रांतियां विषय पर अपना अनुभव शेयर किया। वहीं दूसरे सत्र में डॉ. देवाशीष सतपती, डॉ. आरएन दत्ता, डॉ. एएनझा, डॉ. देवजीत कार, डॉ. पुनीत सिंह, डॉ. सिद्धार्थ दास व डॉ. आरएस द्विवेदी ने अंलग-अलग विषयों पर अपना अनुभव शेयर किया।

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