अपनों की बाट जोह रहे मरीज, भर्ती कराकर भूल गए परिजन Jamshedpur News
जिस संतान के लिए मां-बाप कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहता है उसके बीमार होने पर सरकारी अस्पताल में संतान भर्ती कराकर भूल जाएंगे तो क्या कहेंगे। ऐसी ही है इन मरीजों की कहानी।
जमशेदपुर, जासं। अपनों की बाट जोह रहे एमजीएम अस्पताल में इलाजरत लावारिस मरीज। कई मरीज एक माह से लेकर एक साल तक से अस्पताल में भर्ती हैं। ऐसे मरीज भगवान के भरोसे पड़े हुए हैं। हर सांस लेते वक्त वे सोचते हैं कि उसका बेटा या परिवार आकर अन्य कोई आएगा और उन्हें ले जाएगा। एमजीएम अस्पताल के मेडिसीन वार्ड के अंतिम छोर में बने बरामदा में चार मरीज जमीन पर पड़े हैं।
जब दैनिक जागरण संवादाता वहां पहुंचा तो आहट पाकर जमीन पर पड़ी बीमार एक महिला ने अपनी आंखें खोल दी। वह डाक्टर समझ कर इलाज के लिए गिड़गिड़ाने लगी। कहने लगी कि मेरा पैर काम नहीं कर रहा है, मुझे दवा दे दीजिए। जिससे मैं अपने पैरों पर खड़ा होकर परिवार के पास जा सकूं। पूछने पर महिला ने बताया कि वह बिरसानगर की रहने वाली हैं। चल नहीं सकती, मुझे देखने कोई नहीं आता।
ये है अधर घोष की कहानी
दूसरा एक वृद्ध मरीज जमीन पर बैठा था। पूछने पर उन्होंने अपना नाम अधर घोष, निवासी न्यू बैरकपुर, पश्चिम बंगाल बताया। उसने बताया कि वह घर जाना चाहता है, लेकिन चल नहीं सकता तो कैसे जाए। इसी बीच सर्जरी वार्ड के पास किसी तरह रेंग रहे सोनारी निवासी वृद्ध जीवन राम ने बताया कि वह सात माह से अस्पताल में भर्ती हैं। पैर में पानी भर गया है। उसने बताया कि परिवार के लोग कभी-कभी आकर देख जाते हैं, लेकिन साथ में ले नहीं जाते। वहीं सर्जरी वार्ड में बेड नंबर-4 व 6 में भर्ती दो मरीज ऐसे हैं जो न तो चल पा रहे न कुछ बोल पा रहे। स्थिति इतनी दयनीय कि कब सांस टूट जाए कहा नहीं जा सकता।
एक साल से भर्ती हैं रमेश कालिंदी
सर्जरी विभाग में ही रमेश कालिंदी पिछले एक साल से भर्ती है। उसका कहना है कि लाल बिल्डिंग परसुडीह में अपना मकान है, लेकिन कोई देखने नहीं आता। कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक है जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल। इतने बड़े अस्पताल में लावारिस मरीज की देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मरीजों का कहना है कि डॉक्टर भी ध्यान नहीं देते और न ही नर्स। बस अस्पताल में अंतिम सांस गिन रहे।
एक लावारिस मरीज का कनाडा में रहता है पुत्र
अस्पताल के मेडिसीन वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज बहुत ही संभ्रांत परिवार की है। उसका पुत्र कनाडा में रहता है, लेकिन वह अपनी मां को देखने कभी नहीं आया। जब उसके पुत्र से संपर्क किया गया तो उसका कहना है कि 20 साल पहले मैं घर छोड़ दिया था। इसके बाद उससे किसी तरह का कोई संपर्क नहीं है। जबकि महिला की अपनी बहन जमशेदपुर में ही रहती है।
ये कहते अस्पताल के अधीक्षक
एमजीएम अस्पताल में वार्ड ब्वॉय व अन्य कर्मचारियों की बेहद कमी है। वार्ड ब्वाय की कमी के कारण ही लावारिस मरीजों का सही ढंग से देखभाल नहीं हो पाती है। कई मरीज के परिजन हैं, लेकिन वे अस्पताल में भर्ती परिजनों को झांकने तक नहीं आते। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन से जितना संभव हो सकता है लावारिस मरीजों को दवा व खाना उपलब्ध कराता है।
- डॉ. नकुल प्रसाद चौधरी, उपाधीक्षक, एमजीएम अस्पताल