भाकपा-माले आज मनायेगी रूसी क्रांति की 113 वर्षगांठ, मनीफीट में होगा कार्यक्रम

Russian Revolution. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की कोल्हान प्रमंडल कमेटी शनिवार को रूसी क्रांति की 113वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। यह आयोजन टेल्को स्थित मनीफिट के रामाधीन बगान सामुदायिक केंद्र में होने जा रहा है। तैयारी पूरी कर ली गई है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 07 Nov 2020 10:49 AM (IST) Updated:Sat, 07 Nov 2020 10:49 AM (IST)
भाकपा-माले आज मनायेगी रूसी क्रांति की 113 वर्षगांठ, मनीफीट में होगा कार्यक्रम
कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी देते भाकपा माले के नेता।

जमशेदपुर, जासं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की कोल्हान प्रमंडल कमेटी शनिवार को रूसी क्रांति की 113वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है। यह आयोजन टेल्को स्थित मनीफिट के रामाधीन बगान सामुदायिक केंद्र में होने जा रहा है। 

भाकपा-माले के नेता ओमप्रकाश सिंह बताते हैं कि 1917 में हुई रूस की क्रांति विश्व के इतिहास में महत्वपूर्ण घटना थी। इसी क्रांति के बाद रूस में सोवियत गणराज्य की स्थापना हुई थी। यह क्रांति 1917 के मार्च और अक्टूबर में हुई थी। पहली क्रांति के बाद ही सम्राट को गद्​दी छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था, जबकि अक्टूबर की क्रांति के बाद कम्युनिस्ट सरकार की स्थापना हुई थी। संयोगवश दोनों क्रांति की तारीख आठ ही थी। चूंकि हम आठ अक्टूबर की तिथि को निर्णायक मानते हैं, इसलिए आठ अक्टूबर को धूमधाम से मनाते हैं। 

रूसी क्रांति ने मार्क्स के सिद्धांत को भी दुनिया में स्थापित किया

वह बताते हैं कि इस क्रांति की सुगबुगाहट 1789 से होने लगी थी, जब फ्रांस की राज्य क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की भावना को यूरोप में भी स्वीकारा गया। इसने केवल निरंकुश शासन का अंत नहीं किया, बल्कि कुलीन जमींदारों, सामंतों, पूंजीपतियों की सत्ता को समाप्त किया। दुनिया में पहली बार इस क्रांति ने बता दिया कि मजदूर-किसान भी ताकतवर हो सकते हैं। रूसी क्रांति ने मार्क्स के सिद्धांत को भी दुनिया में स्थापित किया कि आम लोग चाहें तो नई सामाजिक व्यवस्था से किसी भी देश को कुशलतापूर्वक संचालित कर सकते हैं। इस क्रांति के बाद यह विचारधारा इतनी मजबूत हुई कि 1950 तक आधी दुनिया इसके प्रभाव को मानने लगी। इस कार्यक्रम में शहरवासियों काे बताया जाएगा कि किस प्रकार लेनिन ने रूसी क्रांति के बीज लगाए थे। क्यों उन्हें रूसी क्रांति का जनक कहा जाता है।

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