नहीं मिला मानदेय, गुरुजी चना बेच पाल रहे परिवार

निर्मल सिंहगुमला रांची विश्वविद्यालय से कार्तिक उरांव कालेज गुमला में नियुक्त अतिथि शिक्षकों को

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 10:41 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 10:41 PM (IST)
नहीं मिला मानदेय, गुरुजी चना बेच पाल रहे परिवार
नहीं मिला मानदेय, गुरुजी चना बेच पाल रहे परिवार

निर्मल सिंह,गुमला : रांची विश्वविद्यालय से कार्तिक उरांव कालेज गुमला में नियुक्त अतिथि शिक्षकों को पिछले 21 माह से मानदेय नहीं मिला है। लंबे समय से मानदेय नहीं मिलने के कारण इन शिक्षकों का आर्थिक स्थिति दयनीय हो गया है। परिवार के भरण पोषण की भी समस्या उत्पन्न हो गई है। हालात यह है कि कार्तिक उरांव महाविद्यालय गुमला में इतिहास के लेक्चरर साबिएल लकड़ा घर के बाहर फुटपाथ पर चना, झाल मुरी बेचने को मजबूर हैं। लाकडाउन के कारण फुटपाथ का भी दुकान बंद है तो अपने घर के अंदर ही ग्राहकों को चना बेच रहे हैं और अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। वे स्वयं कुआं से भार में पानी लाते हैं और फुटपाथ पर अंडा, चाउमीन, चना झाल मुरही बेचकर जीविकोपार्जन करने को विवश है। लेक्चरर साबिएल कहते हैं कि गेस्ट शिक्षक के रूप में केओ कालेज में पांच शिक्षक हैं जबकि अनुबध शिक्षकों की संख्या लगभग 20 है। के ओ कालेज में शिक्षकों की घोर कमी है। शिक्षकों की कमी को देखते हुए यूनिर्वसिटी से उन लोगों की नियुक्ति गेस्ट शिक्षक और अनुबंध शिक्षक के रूप में हुई है। लाकडाउन के दौरान भी वे प्रतिदिन नौ बजे से एमए और बीए के विद्यार्थियों को आनलाइन क्लास लेते हैं। साबिएल कहते हैं कि डेढ़ वर्षो तक इतिहास विभाग में वे अकेले रहे हैं। उनकी नियुक्ति एक अगस्त 2016 में हुई है। अगस्त 2019 से अब तक मानदेय नहीं मिला है। कर्ज लेकर खोला हूं चना का दुकान : शिक्षक

कालेज में जब नियुक्ति हुई तब लग रहा था उसका पढ़ाई सार्थक हो गया। बेरोजगारी दूर हो गई। लेकिन काम करने के बाद भी मानदेय नहीं मिल रहा है तब उनके सामने पेट पालने की मजबूरी हो गई। उनकी मजबूरी बच्चे को क्या पता। लालन पालन भी करना है और स्कूली का फी भी देना है। जब कालेज से मानदेय नहीं मिलने लगा तब कर्ज लेकर घर के बाहर छोटा सा दुकान खोला हूं। सुबह में दो घंटे का आनलाइन क्लास के बाद दिन भर चना बेचने का काम करते हैं।

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