हाथियों को भगाने के लिए विभाग के पास फंड नहीं

गिरिडीह दुमका से हजारीबाग तक आने-जाने वाले हाथियों के झुंड में से बिछुड़े हाथी हि

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 06:10 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 06:10 PM (IST)
हाथियों को भगाने के लिए विभाग के पास फंड नहीं
हाथियों को भगाने के लिए विभाग के पास फंड नहीं

गिरिडीह : दुमका से हजारीबाग तक आने-जाने वाले हाथियों के झुंड में से बिछुड़े हाथी हिसक हो गए हैं। इनमें से एक हाथी ने गिरिडीह जिले में अब तक पांच लोगों को कुचलकर मार डाला है जबकि धनबाद जिले के टुंडी में एक महिला को जख्मी किया है। बिछुड़ा हुआ एक और हाथी पिछले कई दिनों से गिरिडीह जिले के डुमरी जंगल में है। झुंड के अधिकांश हाथी अभी हजारीबाग के जंगल में है। इन हाथियों को खदेड़ने एवं ग्रामीणों से टकराव रोकने के लिए वन विभाग के पास फिलहाल कोई फंड नहीं है।

हाथियों को खदेड़ने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में मशाल जलाने की व्यवस्था जरूरी है। साथ ही वनकर्मियों को वाहन से इन इलाकों में पेट्रोलिग करना पड़ता है। इसके लिए पेट्रोल-डीजल का प्रबंध करना होता है। खाली जेब से विभाग कैसे यह प्रबंध करेगा। डुमरी वन प्रक्षेत्र के अधिकारियों व कर्मियों ने यह मुद्दा उठाया है। हाथियों को खदेड़ने में लगे डुमरी के फोरेस्टर अमर शर्मा व अन्य वन रक्षियों ने बताया कि वेतन के पैसे से पेट्रोलिग करना पड़ रहा है। इससे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। वैसे यह सिर्फ डुमरी या गिरिडीह जिले की समस्या नहीं है। झारखंड के सभी वन प्रमंडल का यही हाल है। कारण, यह है कि विभाग ने इस वर्ष इस मद के लिए कोई राशि अब तक रिलीज नहीं की है।

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झुंड से बिछुड़ते ही हाथी बन रहा हिसक :

वन विभाग के अनुसार दुमका के मसलिया जंगल से लेकर हजारीबाग जंगल तक 25 हाथियों के एक झुंड का रूट है। सालों भर ये हाथी इसी रूट से आना-जाना करते हैं। इसी रास्ते में दुमका, जामताड़ा, टुंडी, गिरिडीह व हजारीबाग जिले में इनका टकराव इंसानों से होता है। डुमरी के रेंजर राजीव कुमार ने बताया कि झुंड से बिछुड़े दो हाथियों में एक अति हिसक हो चुका है। गिरिडीह में पांच लोगों को कुचलकर मार डालने के बाद वह अभी धनबाद जिले के टुंडी जंगल में है। एक हाथी अभी गिरिडीह के जंगल में है। यह हाथी हिसक नहीं है। राजीव कुमार ने बताया कि मुख्य झुंड अभी हजारीबाग जंगल में है। वहां हथिनी ने एक बच्चे को भी जन्म दिया है।

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हाथियों को जंगल में सुरक्षित रखना है। धनबाद हो या फिर गिरिडीह, सभी झारखंड का ही हिस्सा है। इस कारण हाथियों को एक जिले से दूसरे जिले में खदेड़ना विभाग का मकसद नहीं है। जहां तक पेट्रोल व डीजल की बात है तो यह सही है कि विभाग ने अभी तक इसके लिए फंड रिलीज नहीं किया है। इसके बावजूद जहां जरूरी है, वहां उपलब्ध कराया जा रहा है।

विमल लकड़ा, डीएफओ धनबाद

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