ट्रू कॉलर का नहीं करें उपयोग, डाटा हो सकता हैक

नगर भवन में सीडैक व साइबर सेल के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को साइबर सुरक्षा जागरूकता को लेकर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार झा डालसा सचिव मनोरंजन कुमार डीएसपी साइबर संदीप सुमन समदर्शी डीएसपी टू संतोष कुमार मिश्रा खोरीमहुआ एसडीपीओ राजीव कुमार व सीडैक के तकनीकि समन्वयक अंशु सिंह मुख्य रूप से शामिल उपस्थित थे।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 20 Sep 2019 11:17 PM (IST) Updated:Sat, 21 Sep 2019 06:39 AM (IST)
ट्रू कॉलर का नहीं करें उपयोग, डाटा हो सकता हैक
ट्रू कॉलर का नहीं करें उपयोग, डाटा हो सकता हैक

जागरण संवाददाता, गिरिडीह: नगर भवन में सीडैक व साइबर सेल के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को साइबर सुरक्षा जागरूकता को लेकर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार झा, डालसा सचिव मनोरंजन कुमार, डीएसपी साइबर संदीप सुमन समदर्शी, डीएसपी टू संतोष कुमार मिश्रा, खोरीमहुआ एसडीपीओ राजीव कुमार व सीडैक के तकनीकी समन्वयक अंशु सिंह मुख्य रूप से शामिल थे। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि साइबर अपराधी रोज नई तकनीक अपनाकर लोगों के खातों से राशि उड़ाने का काम करने में लगे हैं। ट्रू कॉलर का उपयोग करने से डाटा हो हैक हो सकता है।

अपने खाते व एटीएम कार्ड से संबंधित जानकारी किसी को भी नहीं दें। बैंक अपने खाताधरकों से ऐसी जानकारी फोन कॉल पर कभी नहीं मांगता है। साथ ही एटीएम कार्ड का उपयोग कर राशि निकालने में किसी अजनबी से मदद नहीं मांगे। एटीएम कक्ष के पास रहने वाले सुरक्षा गार्ड से तकनीकी सहायता लें। इसके बाद भी साइबर अपराधियों के बुने जाल में फंसकर ठगी के शिकार हो जाते हैं तो इसकी तत्काल सूचना संबंधित बैंक व नजदीकी थाने में जाकर पुलिस पदाधिकारी को दें।

अगर फोन पर कोई एप इंस्टाल करने बोले तो उसके झांसे में आने की जरूरत नहीं है। खासकर एनीडेस्क नामक एप लोड करने से पूरी तरह दूरी बनाए रखने की जरूरत है। एसपी ने अपने एटीएम का पिन कोड समय-समय पर परिवर्तित करने व आसान पासवर्ड के बजाय थोड़ा जटिल पासवर्ड रखने का भी सुझाव दिया। साइबर अपराध से बचाव को लेकर लोगों को जागरूक व सतर्क रहने पर जोर दिया तथा कहा कि अपने आप में जागरूकता व सतर्कता लाते हुए इससे बचा जा सकता है। साथ ही दूसरों को भी साइबर ठगी से बचाया जा सकता है।

सीडैक कोलकाता के तकनीकी समन्वयक अंशु सिंह ने कहा कि इस अपराध में संलिप्त लोग आर्थिक रूप से लोगों को चोट पहुंचाते हुए सूचनाओं को हाईजैक कर लेते हैं। अपराधी कंप्यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर नेटवर्क के माध्यम से निजी जानकारी नेटवर्किंग पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि को चुरा लेते हैं।

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