Jharkhand: विकास देखना हो तो साहिबगंज आइए; यहां बारिश में बन रहे तालाब-कुएं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सड़क

हड़ताल के कारण मनरेगा मजदूरों की संख्या काफी कम हो गई है। इससे ग्रामीण विकास विभाग में बेचैनी बढ़ गई है। इसके लिए मनरेगा आयुक्त लगातार डीडीसी और बीडीओ के साथ वीसी कर रहे हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 11:24 AM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 11:24 AM (IST)
Jharkhand: विकास देखना हो तो साहिबगंज आइए; यहां बारिश में बन रहे तालाब-कुएं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सड़क
Jharkhand: विकास देखना हो तो साहिबगंज आइए; यहां बारिश में बन रहे तालाब-कुएं, बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में सड़क

साहिबगंज/ उधवा, जेएनएन। साहिबगंज जिले में बरसात में भी तालाब व कुएं की खुदाई हो रही है। इसका खुलासा मनरेगा की वेबसाइट से हुआ है। बरहड़वा में 21 कूपों के निर्माण के लिए 404 और मंडरो प्रखंड में 75 कूप निर्माण को 1106 मजदूरों की मांग की गई है। इतना ही नहीं, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सड़क समतलीकरण कार्य हो रहा है। प्रावधान के अनुसार 15 जून के बाद कच्चा कार्य नहीं कराना है। उप विकास आयुक्त ने 22 जुलाई 2020 को तालाब, कूप निर्माण, कच्ची सड़क, कच्ची नाली के जीर्णोद्धार और समतलीकरण योजना पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भी तालझारी में एक और उधवा प्रखंड में समतलीकरण की पांच योजनाएं संचालित हैं। इनमें 185 मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है।

यहां कच्चे कार्य करने की स्थिति ही नहीं

सिंचाई योजनाओं की बात करें तो बरहड़वा की चार योजनाओं में 20 मजदूर, मंडरो की पांच योजनाओं में 50, पतना की पांच योजनाओं के लिए 139, राजमहल में तीन योजनाओं के लिए 82 और तालझाड़ी में एक योजना के लिए 14 मजदूरों की मांग की गई है।  इसी तरह बरहड़वा प्रखंड में ग्रामीण सड़क निर्माण की दो योजनाओं के लिए 40, साहिबगंज में एक योजना के लिए 24, तालझारी में दो योजना के लिए 13 और उधवा प्रखंड में एक योजना के लिए 39 मजदूर मांगे गए हैं। बता दें कि उधवा प्रखंड के जिन क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है, वहां भी सड़क निर्माण व समतलीकरण योजना चल रही हैैं। अमानत दियारा पंचायत में 39, पश्चिमी उधवा दियारा में 29, दक्षिण पलाशगाछी में 32, पूर्वी उधवा में 26 तथा उत्तर सरफराजगंज पंचायत में 51 मजदूरों की मांग हुई है। वास्तविकता यह है कि यहां कच्चे कार्य करने की स्थिति ही नहीं है।

हड़ताल को निष्प्रभावी करने की रणनीति

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की राज्यव्यापी हड़ताल से 27 जुलाई से राज्य के लगभग 6000 मनरेगा कर्मी, बीपीओ, अभियंता, लेखा सहायक, रोजगारसेवक पांच सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। मनरेगा मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मनरेगा वरदान साबित हो रही थी, मगर हड़ताल के कारण प्रवासी मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है जिससे सरकार तथा सरकारी अधिकारी दबाव में आ गए हैं। हड़ताल के कारण राज्य में मनरेगा मजदूरों की संख्या काफी कम हो गई है। इससे ग्रामीण विकास विभाग में बेचैनी बढ़ गई है। इसके लिए मनरेगा आयुक्त लगातार डीडीसी और बीडीओ के साथ वीसी कर रहे हैं। किसी भी हाल में मांग कम नहीं होने देने को कहा गया है। इसी चक्कर में यह सब हो रहा है।

मनरेगा कर्मचारी संघ ने बताया फर्जी

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय ने ऐसी मांग को फर्जी कहा है। इसे विभागीय दिशानिर्देश का उल्लंघन भी बताया है। संघ का कहना है कि राज्य सरकार और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा कर्मी की उचित मांगों की अनदेखी के कारण संघ को हड़ताल पर जाना पड़ा। जब हड़ताल नहीं थी तब मिट्टी से संबंधित कार्य बंद करने को कहा गया था। अब उन्हीं योजनाओं पर कार्य करने का आदेश दे रहे हैं।

बरसात में कुएं व तालाब की खुदाई क्यों हो रही है, जांच कराई जाएगी। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही कोई काम होगा।

-चितरंजन कुमार, उपायुक्त, साहिबगंज

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