जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों की किताब पर खर्च होंगे सात करोड़ रुपये, परिषद ने बजट आवंटित किया

जिले के सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं के ड्रेस पर 11.36 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सत्र 2020-21 के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने बजट आवंटित कर दिया है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए बजट जारी किया है।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 04:47 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 04:47 PM (IST)
जिले के सरकारी स्कूलों के बच्चों की किताब पर खर्च होंगे सात करोड़ रुपये, परिषद ने बजट आवंटित किया
छात्रों व शिक्षकों से संबंधित विभिन्न योजनाओं पर 113 करोड़ खर्च किए जाएंगे।

जेएनएन, धनबाद: जिले के सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं के ड्रेस पर 11.36 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। सत्र 2020-21 के लिए समग्र शिक्षा अभियान के तहत झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने बजट आवंटित कर दिया है। धनबाद जिले के सरकारी स्कूलों में स्कूल के विकास, छात्रों व शिक्षकों से संबंधित विभिन्न योजनाओं पर 113 करोड़ खर्च किए जाएंगे। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए बजट जारी किया है।

ड्रेस के बाद छात्र-छात्राओं को मिलने वाली निशुल्क किताब 6.89 करोड़ रुपये निर्धारित है। इस राशि में सबसे अधिक पारा शिक्षकों के मानदेय पर खर्च किया जाएगा। इसके लिए 62 करोड़ का बजट रखा गया है। वहीं समर्थ विद्यालय के बेहतर संचालन के लिए 45 लाख रुपये का बजट तैयार किया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं की पढ़ाई के लिए 1.31 करोड़ रुपये, स्कूलों के अनुदान पर 5.92 करोड़ रुपये, कस्तूरबा स्कूलों के संचालन पर 5.70 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वैसे पारा शिक्षकों का मानदेय परियोजना के स्तर पर सीधे भेजा जाता है। बजट में मंजूरी मिलने के बाद अन्य योजनाओं में भी अब तेजी आएगी। वहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने बताया कि मुख्यालय ने जो आदेश दिया है, उसका पालन किया जाएगा।

प्राइवेट स्कूलों को अभी करना होगा इंतजार: जिले के मान्यता प्राप्त सीबीएसई स्कूलों में प्रत्येक वर्ष बीपीएल बच्चों का नामांकन होता है। बीपीएल बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा विभाग स्कूलों को वार्षिक फीस का भुगतान करता है। पिछले कई सालों से कई स्कूलों को पूरा फीस का भुगतान नहीं हुआ है। इस कारण कई स्कूलों का लाखों रुपये बकाया है। चालू वित्तिय वर्ष में स्थानीय शिक्षा विभाग को 1.31 करोड़ रुपये ही मिला है। 

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