लोग पीएन सिंह के चाल, चरित्र और चेहरे को बेहतर ढंग से जानते हैं...

11 जुलाई 1949 को जन्मे पीएन सिंह 70 साल के हो चुके हैं। मंगलवार को पीएन जदयू छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए जलेश्‍वर महतो के साथ कुछ इस अंदाज में दिखे। (छाया- अमित सिन्‍हा)

By Deepak PandeyEdited By: Publish:Tue, 15 Jan 2019 11:25 AM (IST) Updated:Tue, 15 Jan 2019 11:25 AM (IST)
लोग पीएन सिंह के चाल, चरित्र और चेहरे को बेहतर ढंग से जानते हैं...
लोग पीएन सिंह के चाल, चरित्र और चेहरे को बेहतर ढंग से जानते हैं...

जागरण संवाददाता, धनबाद: 11 जुलाई 1949 को जन्मे पीएन सिंह 70 साल के हो चुके हैं। मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इशारा किया है कि बूढ़े लोगों को चुनावी राजनीति से अलग किया जाएगा, धनबाद के भाजपा सांसद पीएन सिंह बेपरवाह हैं। पान चबाते हुए पीएन बोले कि अभी तो मैं जवान हूं। रोजाना 15 से सोलह घंटा जनता के बीच रहते हैं, और कैसे दिखाई जाएगी जवानी।

पीएन सिंह झरिया के आरएसपी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में आ गए। छात्र संघ के अध्यक्ष बने। फिर 1978, 83 और 88 में धनबाद नगरपालिका के वार्ड कमिश्नर रहे। 1995 में पहली बार धनबाद से विधायक बने। लगातार तीन बार विधायक रहे। 2009 में सांसद चुने गए। 2014 में भी विजेता बने। इस बीच 2000 में झारखंड बनने के बाद उद्योग, मानव संसाधन, विधि, संसदीय कार्य एवं धार्मिक न्यास मंत्री भी रहे हैं। दो बार भाजपा जिलाध्यक्ष और एक बार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। भाजपा सांसद से बातचीत के प्रमुख अंश:

सवाल: आप लगातार 40 साल से जनप्रतिनिधि हैं। फिर भी आपका टिकट झटकने के लिए इतनी लंबी कतार क्यों?

- मौजूदा सांसद के टिकट के मसले पर भाजपा में चर्चा नहीं होती। प्रदेश अध्यक्ष एवं चुनाव समिति का सदस्य रह चुके हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ। मौजूदा सांसद के टिकट पर सिर्फ शीर्ष नेतृत्व निर्णय लेता है, और कोई नहीं।

सवाल: ढुलू महतो सार्वजनिक तौर पर कह रहे हैं कि धनबाद या गिरिडीह से टिकट मिले तो जीत जाएंगे। राज सिन्हा, चंद्रशेखर अग्रवाल, सिद्धार्थ गौतम समेत कई दावेदार क्यों है?

- धनबाद या गिरिडीह से लड़ा देने की बात कहने से दावेदारी होती है क्या? चुनाव लडऩे के बारे में सारे लोग मन में सोचने को स्वतंत्र हैं।

सवाल: भाजपाई सियासत में आपको अर्जुन मुंडा का करीबी कहा जाता है। इस नाते कयास लग रहे हैं कि रघुवर दास आपका टिकट कटवा देंगे। इस नाते भी दावेदारी बढ़ रही है?

- न अर्जुन मुंडा से पूछ कर राजनीति किए हैं, न रघुवर दास से। अपने दमखम पर इस मुकाम पर हैं। किसी ने तोहफे में यह सब नहीं दिया है। 1995 में पहली बार धनबाद से विधानसभा चुनाव जीता था। उससे पहले कभी भाजपा या जनसंघ यहां उप विजेता भी नहीं रही थी।

सवाल: ढुलू महतो पर भाजपा नेत्री ने यौन शोषण का आरोप लगाया तो गिरिडीह सांसद रवींद्र पांडे पर भी भाजपा कार्यकर्ता ने यही आरोप लगाया है। कभी विचार आया था कि भाजपा में भी ऐसे दिन देखने होंगे?

- यह नहीं होना चाहिए था। यह प्रकरण दुखद है।

सवाल: ढुलू महतो पर व्यापारी संगठन रंगदारी लेने का आरोप लगा रहे हैं। उनके कारण लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान होगा या नहीं?

- ढुलू महतो क्या कर रहे हैं, क्या नहीें कर रहे हैं... उससे पीएन सिंह को कोई दिक्कत नहीं होगी। लोग पीएन सिंह के चाल, चरित्र और चेहरे को जानते हैं।

सवाल: ढुलू महतो पर रंगदारी की रकम बढ़ाने का आरोप लगाते हुए हार्ड कोक एसोसिएशन ने कोयला का उठाव बंद कर दिया है। यह नुकसानदेह नहीं होगा क्या?

- हार्ड कोक एसोसिएशन के लोग वर्षों से 650 रुपए टन रंगदारी क्यों दे रहे थे? इतनी रकम मजदूरी होती है क्या? पीएमओ जाने के पहले एसपी से मिलते। कोई शिकायत करेगा तब तो कार्रवाई होगी। उनके पास भी किसी ने रंगदारी मांगने की शिकायत नहीं की है कि अमुक आदमी से इतनी तारीख को रंगदारी मांगी गई है।

सवाल: अगर 650 रुपए मजदूरी नहीं है तो सांसद होने के नाते कोयला की ढुलाई करने वाले मजदूरों को उचित मजदूरी आपने क्यों नहीं दिलाई?

- उपायुक्त के स्तर पर उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है। कोयला की ढुलाई करने वाली मजदूरों का जॉब कार्ड बनाने की बात है। सभी कोलियरी के मजदूरों को समान मजदूरी देने का विचार है, वह भी बैंक खाता में। यह सब कैसे होगा? प्रशासन तय करे। मैं सहयोग करने को तैयार हूं।

सवाल: अरूप चटर्जी के आंदोलन से डीवीसी का मैथन एवं पंचेत प्रोजेक्ट कितना प्रभावित हो रहा है?

- वहां अरूप चटर्जी का वर्चस्व है। उनके पिता भी विधायक थे। वहां जोर जबरदस्ती की राजनीति होती थी और हो भी रही है। यहां पर इंटरव्यू तक नहीं हो पाता। वामपंथियों की जो संस्कृति है, उसी के मुताबिक अरूप चटर्जी राजनीति कर रहे हैं। वामपंथ का मूल है, छह इंच छोटा कर दो। अरूप चटर्जी का राजनीति उसका तनिक परिष्कृत रूप है।

सवाल: बोकारो स्टील के लीज एरिया में बसे 19 गांवों के लोगों को कोई नागरिक सुविधा नहीं। क्यों?

- बोकारो स्टील लिमिटेड के लिए 19 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। वहां उद्योग नहीं लगा। तब से अब तक वे गांव आबाद है। दिक्कत यह है कि अपनी अधिग्रहित जमीन मान कर उन गांवों में न बोकारो स्टील नागरिक सुविधा दे रही है, न पंचायत से कोई सुविधा मिल रही है। पिछले माह इस्पात मंत्री से बात की थी। अनुरोध किया था कि 19 गांवों की जमीन को लीज मुक्त कर दिया जाय। इस्पात मंत्री बोले कि साढ़े दस मिलियन टन का नया प्लांट लगाया जाएगा। इसलिए जमीन को मुक्त नहीं किया जाएगा। फिलहाल नागरिक सुविधा जरुर दी जाएगी। वैसे, उनका व्यक्तिगत मत है कि 19 गांव की जमीन को लीज मुक्त कर पंचायत के अधीन कर देना चाहिए।

सवाल: डीवीसी के साथ 500 मेगावाट के बिजली प्रोजेक्ट के लिए बोकारो स्टील ने करार किया। जमीन पर कुछ नहीं हुआ। आखिर क्यों बेवजह विस्थापन करा रहे हैं?

- यह मोदी सरकार के जमाने का मसला नहीं है। अभी पुराने प्लांट को डीवीसी चला रही है। इस्पात मंत्री से इस मसले पर भी बात हुई है। उनसे अनुरोध किया कि पावर प्लांट नहीं लगाना है तो जमीन मुक्त कीजिए ताकि विस्थापित फिर चैन से रह सके। इस्पात मंत्री बोले हैं कि पावर प्लांट के लिए 2500 करोड़ का निवेश होगा।

सवाल: कोयले की आग के ऊपर बसे झरिया का पांच साल में क्यों नहीं हुआ पुनर्वास?

- भाजपा सरकार जबरन उजाडऩा नहीं चाहती। झरिया के लोग पहले मानस तो बनाएं। वहां 50 हजार बीसीसीएल से जुड़े लोग है तो वैध या अवैध रूप से बसे 50 हजार लोग हैं। झरिया एक्शन प्लान के तहत उन्हें मकान मिल जाएगा, दुकान नहीं। आशय यह है कि झरिया एक्शन प्लान में कहीं बसाया जा सकता है। बस तो जाएंगे, खाएंगे क्या? पुराना रोजगार या व्यवसाय नहीं मिल सकता। यही बड़ी अड़चन है।

सवाल: धनबाद चंद्रपुरा रेल लाइन भी बंद हो गई। लंबी दूरी की 19 ट्रेनों का परिचालन बंद हो गया। लोग परेशान है। कब सुलझेगा यह मसला?

- मुझे नहीं लगता कि डीसी लाइन चालू होगी। महज आधा किमी में जमीन के नीचे आग है। पहले सुरक्षा, फिर ट्रेन। गोमो के पहले रूट डाइवर्ट कर सीधे धनबाद से जोड़ देना चाहिए। तीन-चार किमी लंबी पटरी बिछानी होगी।

सवाल: क्या सीएम से सांसद एवं विधायक नाराज है?

- पिछले माह सीएम से मिला था। सुझाव दिया था कि सांसदों से मिलना चाहिए। उनके सुझाव पर दिल्ली में लक्ष्मण गिलुवा के आवास पर सीएम सभी सांसदों के साथ 2 घंटा तक थे। सांसद जब चाहे तब सीएम से मिलने का समय मिलता है। पहली जनवरी को बूथ कार्यकर्ताओं ने वीडियो कांफ्रेंसिंग में पीएम से कई नकारात्मक बातें कही थी। मोदी जी ने सकारात्मक जवाब दिया था। सियासत वैसी ही होनी चाहिए।

सवाल: सवर्ण आरक्षण का चुनाव में कितना लाभ होगा? पिछड़ी जाति में सालाना 6 लाख से ऊपर कमाने वाले को क्रीमीलेयर में रखा गया है जबकि अगड़ी जाति में 8 लाख कमाने वाले को गरीब माना गया है। आखिर क्यों?

- सवर्ण आरक्षण का फैसला फायदेमंद होगा। सवर्णों में पीड़ा थी। जहां तक सालाना आमदनी की बात है तो जरूर समीक्षा होगी। या तो पिछड़ी जाति में क्रीमीलेयर के लिए सालाना आमदनी की निर्धारित सीमा बढ़ा दी जाएगी। यह भी संभव है कि सवर्ण के लिए सालाना आमदनी की निर्धारित सीमा को कम कर दिया जाएगा। मोदी सरकार सबके साथ से सबका विकास चाहती है।

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