LIVE Quarantine: आसमान से गिरे खजूर पर अटके सा-हाल, दूध के लिए बिलबिला रहे बच्चे

Home Quarantine तो राहत की बात है। लेकिन जिन लोगों को Government Quarantine किया जा रहा है उनका हालचाल पूछिए मत। दिन-रात तड़प रहे हैं। कोरोना को कोस रहे हैं।

By MritunjayEdited By: Publish:Sat, 16 May 2020 02:54 PM (IST) Updated:Sat, 16 May 2020 02:54 PM (IST)
LIVE Quarantine: आसमान से गिरे खजूर पर अटके सा-हाल, दूध के लिए बिलबिला रहे बच्चे
LIVE Quarantine: आसमान से गिरे खजूर पर अटके सा-हाल, दूध के लिए बिलबिला रहे बच्चे

धनबाद, जेएनएन। Coronavirus के फैलाव और संक्रमण को रोकने के लिए हर जिले में बाहर से आने वाले लोगों को 14 दिनों के लिए Quarantine किया जा रहा है। कुछ को Home Quarantine तो कुछ को Government Quarantine किया जा रहा है। Home Quarantine तो राहत की बात है। लेकिन जिन लोगों को Government Quarantine किया जा रहा है उनका हालचाल पूछिए मत। आसमान से गिरे खजूर पे अटके वाली स्थिति का सामना कर रहे हैं। 

प्रवासी मजदूरों की रेल और बसों से वापसी के बाद क्वारंटाइन लोगों की संख्या में अचानक बाढ़ आ गई है। चूंकि अस्पतालों में सीमित बेड हैं इसलिए शहर के सामुदायिक केंद्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत भवनों को क्वारंटाइन सेंटर बना दिया गया है। बाहर से आने वाले प्रवासियों को इन्हीं सेंटरों में रखा जा रहा है। यहां पर रख उनका सैंपल लिया जा रहा है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें घर या आइसोलेशन वार्ड में भेजने का निर्णय किया जा राह है। 

काैशल विकास केंद्र, डिगवाडीह 

धनबाद जिले के झरिया अंचल में डिगवाडीह स्थित बीसीसीएल के काैशल विकास केंद्र को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां पर क्षेत्र के प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने सारी जिम्मेवारी बीसीसीएल को साैंप दी है। बीसीसीएल ने खाने-पाने से लेकर सारी व्यवस्था ठेकेदार के हाथों में साैंप दी है। शनिवार को यहां 53 लोग क्वारंटाइन थे। ज्यादातर लोगों की शिकायत खाने-पीने और व्यवस्थागत है। समय पर खाना नहीं मिलना आम बात है। रोटियां कच्ची और जली हुई होती हैं। शिकायत करने पर प्रशासन का यही कहना होता है कि सहयोग कीजिए। दो-तीन दिन की बात है। रिपोर्ट निगेटिव आते ही होम क्वारंटाइन पर भेज दिया जाएगा। इसके बाद असली समस्या शुरू होती है। स्वाब सैंपल की रिपोर्ट समय पर आ ही नहीं रही है। नतीजतन, प्रवासी क्वारंटाइन सेंटर में कष्टप्रद समय काटने को विवश हैं। क्वारंटाइन जुबैर खान कहते हैं- 10 मई को ही स्वाब सैंपल लिया गया था। अब तक रिपोर्ट नहीं आई है। डिगवाडीह क्वारंटाइन सेंटर में भोजन-पानी को लेकर 12 मई को हंगामा हुआ था। 12 बजे तक नाश्ता नहीं मिला था। शनिवार को क्वारंटाइन लोगों ने बताया कि हंगामा के बाद पहले ही अपेक्षा व्यवस्था में कुछ सुधार हुआ है। 

बच्चों को न दूध मिलता न बिस्किट, खाओ खिचड़ी 

साहिबगंज जिला मुख्यालय स्थित टॉउन हॉल को क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। यहां अधिकतर लोग शहर के ही हैं। आस-पास के जिलों से वापसी के दाैरान क्वारंटाइन कर दिया गया है। शनिवार को दोपहर क्वारंटाइन लोग खिचड़ी के लिए थाली लेकर कतारबद्ध दिखे। नयाटोला के राजीव रंजन ने बताया कि दस मई को प्रशासन से अनुमति लेकर मुंगेर स्थित ससुराल पत्नी व बच्चों को लाने गये थे। उसी दिन लौट भी गए। लेकिन मिर्जाचौकी में तैनात मजिस्ट्रेट ने उन्हें पकड़कर क्वारंटाइन में भेज दिया। हालांकि जिस वाहन से वे गये थे उसके चालक को छोड़ दिया। राजीव रंजन ने बताया कि पत्नी व दो बच्चों को बस स्टैंड परिसर में स्थित क्वारंटाइन सेंटर में भेज दिया गया जहां न दूध मिलता है न बिस्किट। बाहर से कोई देने जाता है तो उन्हें रोक दिया जाता है। तलबन्ना के राजेंद्र केसरी भी दस मई को पत्नी को लाने ससुराल गये थे। लाैटने के क्रम में पकड़ कर क्वारंटाइन कर दिए गए। उनकी पत्नी व भगिनी को अलग भेज दिया गया है। वे कहते हैं कि महिलाओं के लिए बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में पानी की किल्लत है।

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