हाल-ए-अस्पताल बयां कर रहा दुर्दशा की दास्तां

अस्पताल में इंडोस्कोपी, इसीजी समेत कई जांच की सुविधाएं भी बंद हो चुकी हैं। 100 बेड वाला अस्पताल अब 10 बेड का हो चुका है। स्थिति है कि यहां इलाज कम और रेफर ज्यादा किया जाता है।

By mritunjayEdited By: Publish:Thu, 17 Jan 2019 02:39 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jan 2019 02:39 PM (IST)
हाल-ए-अस्पताल बयां कर रहा दुर्दशा की दास्तां
हाल-ए-अस्पताल बयां कर रहा दुर्दशा की दास्तां

भूली, जेएनएन। लगभग एक लाख की आबादी वाले श्रमिक नगरी भूली पिछले कुछ सालों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। खासकर स्वास्थ्य सुविधा की हालत तो काफी खराब है। यहां बीसीसीएल का क्षेत्रीय अस्पताल एक डॉक्टर के सहारे टिका हुआ है। प्रबंधन की उपेक्षा के कारण इस अस्पताल में पहले से ही कई सुविधाएं बंद हो चुकी हैं, जबकि भूली में 6008 हैं, जहां बीसीसीएल कर्मी रहते हैं। एक डॉक्टर वाले इस अस्पताल में कई शिफ्ट तो सिर्फ  नर्सों व कंपाउंडरों के भरोसे ही चलता है। मैन पॉवर की कमी से अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। पूर्व में यहां हरेक विभाग के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सक थे, पर उसमें से अधिकांश का तबादला कर दिया गया। कुछ तो सेवानिवृत भी हो गए। 

अस्पताल में इंडोस्कोपी, इसीजी समेत कई जांच की सुविधाएं भी बंद हो चुकी हैं। 100 बेड वाला अस्पताल अब 10 बेड का हो चुका है। स्थिति है कि यहां इलाज कम और रेफर ज्यादा किया जाता है। अस्पताल में करोड़ों के उपकरण और भवन आज जर्जर स्थिति में हैं। एक्सरे रूम से लेकर पैथोलॉजी लैब तक बरसात में पानी रिसता है। एक्सरे मशीन भी खराब है, जिसे महीनों से नहीं बनवाया गया है। 

पानी के लिए तरस जाते कर्मी व मरीजः यहां सुविधाओं का ऐसा अभाव है कि इलाज तो दूर पानी के लिए भी मरीज और कर्मी तड़प जाते हैं। अस्पताल में वाटर फिल्टर लगाया गया है, पर इसमें कभी पानी नहीं रहता। बाहर एक चापानल भी है, जो छह महीने से खराब है। 

सर्जन व स्त्री रोग विशेषज्ञ तक नहींः इस अस्पताल में रोजाना सैकड़ों मरीज इलाज के लिए आते हैं, पर सर्जरी और स्त्री रोग से जुड़े चिकित्सकों के नहीं रहने से इलाज नहीं हो पाता है। अस्पताल में न तो सर्जन हैं और न ही महिला चिकित्सक। यहां प्राथमिक इलाज के अलावा कोई इलाज संभव नहीं है। अस्पताल कर्मी बताते हैं कि कई बार लिखित रूप से डॉक्टरों की मांग की गयी, पर कोई सुनवाई नहीं हुई।

ठंड से कांपते हैं मरीज व कर्मीः अस्पताल की खिड़की से दरवाजे तक टूटे-फूटे हैं। रात को ठंडी हवाएं जब अस्पताल में आती हैं, तो मरीज के साथ-साथ रात्रि शिफ्ट के कर्मियों को भी परेशानी हो जाती है। अस्पताल में खिड़की दरवाजा लगाने व बनाने केलिए टेंडर भी हुआ था, पर ठेकेदार अधूरा काम छोड़ निकल गया और खामियाजा लोग भुगत रहे हैं। 

क्या कहते हैं लोग 

यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ा दिया जाए, तो लोगों को दूर धनबाद जाकर महंगा इलाज नहीं कराना पड़ेगा। यहां लैब और एक्सरे की हालत भी जर्जर है। 

 - प्रेम नारायण सिंह 

अस्पताल की हालत काफी खराब है। बीसीसीएल ने इसे चालू तो रखा है लेकिन सुविधा विहीन होने के कारण यहां मरीज आना नहीं चाहते। 

- छोटू राम 

रात में जब भी कभी परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब होती है तो परेशानी काफी बढ़ जाती है। यहां सुविधा बढ़ा दी जाए तो यहां के लोगों को काफी लाभ मिलेगा।

- अजीत कुमार राणा 

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