Indian Railway News: ट्रेन के टायलेट में 'यमराज', सोशल मीडिया में बात पहुंची तो डीआरएम से लेकर मंत्री तक हलकान

Indian Railway Toilet Story रांची-दुमका इंटरसिटी एक्सप्रेस दुमका जा रही थी। एक यात्री ट्रेन के डी-1 कोच के शौचालय में गया। वह जितनी तेजी से अंदर गया उतनी ही तेजी से बाहर भागा। चिल्लाया-अंदर यमराज बैठा है। इसके बाद तो ट्रेन में सफर कर रहे यात्रियों की हालत खराब।

By MritunjayEdited By: Publish:Sun, 27 Mar 2022 05:56 PM (IST) Updated:Sun, 27 Mar 2022 07:23 PM (IST)
Indian Railway News: ट्रेन के टायलेट में 'यमराज', सोशल मीडिया में बात पहुंची तो डीआरएम से लेकर मंत्री तक हलकान
ट्रेन के शौचालय में नंगा बिजली का तार ( फोटो साैजन्य)।

जागरण संवाददाता, तापस बनर्जी। सफर के दौरान ट्रेनों के टायलेट का इस्तेमाल यात्रियों के लिए सामान्य है। पर इस्तेमाल से पहले आजू-बाजू देखना न भूलें। कहीं ऐसा न हो आपका टायलेट जाना आखिरी बार हो जाए। तस्वीर तो कुछ ऐसा ही बयां कर रही हैं। 25 मार्च को रांची से दुमका जानेवाली इंटरसिटी एक्सप्रेस के डी-वन कोच में उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक यात्री खबरदार करते हुए चिल्लाया। कोई टायलेट में मत जाइए, यमराज बैठा है। बिजली का तार लटक रहा है। उसके बाद टायलेट जाना तो छोड़िए, किसी ने उस ओर देखा भी नहीं। बाद में कुछ यात्रियों ने टायलेट में लटके तार की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर शेयर भी की। रेलमंत्री से लेकर धनबाद और आसनसोल के डीआरएम तक फरियाद पहुंचाई। लिखा, कभी भी घटना घट सकती है। इसे जल्द ठीक करा दें। अफसरों ने सक्रियता दिखाई और तुरंत ठीक कराने का भरोसा दिया।

13320 रांची दुमका इंटरसिटी एक्सप्रेस में सफर करने के दौरान बोगी नंबर-D1 के शौचालय में कुछ तारे खुली हुई थी। जिसपर बिजली भी हो सकती है माननीय रेल प्रबंध से निवेदन करता हु की आने वाले समय में कोई घटना ना घट जाए उससे पहले इसे ठीक करवा दे @drmdhnecr @DRM_ASN @drmrnc @EasternRailway pic.twitter.com/EXRnxyFO0L— Krishna Kamal K.K (@krishnakamal_kk) March 25, 2022

टिकट चाहिए तो दूरी नापिए

टिकट घर की लंबी कतार से बचने के लिए आप अपना स्मार्ट फोन निकालें और यूटीएस मोबाइल एप पर जाकर आसानी से टिकट हासिल कर लें। रेलवे जितना आसान बता रही है। असल में ऐसा करना उतना आसान है नहीं। मोबाइल से टिकट बुक कराने के लिए खूब पापड़ बेलने पड़ते हैं। सबसे पहले तो आपको रेलवे स्टेशन से खुद की दूरी नापनी होगी। अगर आप स्टेशन से दो किमी की दूरी पर हैं तो ही मोबाइल से आनलाइन जनरल टिकट बुक होगा। फासला ज्यादा है तो टिकट कसी भी हाल में बुक नहीं होगा। इतना ही नहीं अगर आप रेलवे स्टेशन के पास हैं तो भी टिकट बुक नहीं कर सकते। पहले यह तय करना होगा कि आपका फासला स्टेशन से 50 मीटर की दूरी पर है। इन सारी पेचिदगी के बाद भी मोबाइल पर टिकट आएगा। इसलिए टिकट चाहिए तो पहले दूरी नापिए।

हजार नगद लाओ, सीट पाओ

नगद वाले डिस्को, उधार वाले खिसको...। गल्ले की दुकानों में आपने ये जुमला कई बार देखा और पढ़ा होगा। अब अगर ट्रेन में भी ऐसी ही दुकानदारी होने लगे तो। आइए, जानते हैं एक ऐसा ही किस्सा। 23 मार्च को मिलन कुमार नीलांचल एक्सप्रेस पर सवार हुए थे। उन्हें लखनऊ से भुवनेश्वर जाना था। स्लीपर क्लास की टिकट थी और वह भी वेटिंग। दिन का सफर तो किसी तरह कट गया। रात हुई तो कंफर्म सीट की तलाश शुरू की। टीटीई बाबू पर नजर पड़ी तो उनके पास पहुंच गये और सीट की फरियाद की। टीटीई बाबू ने सीट दिलाने के लिए हजार रुपये की फरमाइश कर डाली। लखनऊ से भुवनेश्वर का किराया 605 रुपये है। उस पर एक हजार और। यात्री को यह नागवार गुजरा और मामले की आनलाइन शिकायत कर डाली। जांच शुरू हो गई है। धनबाद के एसीएम छानबीन कर रहे हैं।

न बिल दिया न पूरी काफी

नो बिल, नो पे। रेलवे स्टेशन के स्टाल संचालकों के लिए इसे अनिवार्य कर दिया गया है, पर परवाह किसको है। यहां तो न बिल देंगे और न पूरा सामान। उल्टा यात्रियों से उलझ पड़ेंगे। 22 मार्च की शाम अशरफ अंसारी ने धनबाद स्टेशन के प्लेटफार्म दो-तीन के नौ नंबर कैटरिंग स्टाल से काफी ली थी। स्टाल वाले को उन्हें 150 एमएल काफी देना था पर दी 80 एमएल यानी आधे कप से थोड़ी ज्यादा। चलो कोई बात नहीं। काफी पी कर जब बिल मांगा तो दुकानदार अड़ गया। बोला, अब 10 रुपये का भी बिल लीजिएगा, नहीं है। अब यात्री भी अड़ जाता तो बात बढ़ जाती। उसने नगद पैसे दिये और चला गया। पर स्टाल की तस्वीर मोबाइल पर कैद कर ली और रेलवे की यात्री सेवा एप पर शिकायत दर्ज करा दी। शिकायत हुई है तो जांच भी होगी ही।

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