साइबर अपराधियों का आतंक, दो व्यक्ति के खाते से उड़ाए 2.58 लाख

धनबाद : शहर में साइबर अपराधियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस की लाख कोशिश के

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Jul 2018 10:05 PM (IST) Updated:Mon, 16 Jul 2018 10:05 PM (IST)
साइबर अपराधियों का आतंक, दो व्यक्ति के खाते से उड़ाए 2.58 लाख
साइबर अपराधियों का आतंक, दो व्यक्ति के खाते से उड़ाए 2.58 लाख

धनबाद : शहर में साइबर अपराधियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुलिस की लाख कोशिश के बावजूद अपराधी मजे से घटना को अंजाम दे रहे हैं। अपराधी विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल कर आम लोगों के खाते से रकम उड़ा रहे हैं। धनबाद थाने में सोमवार को साइबर अपराध से जुडे दो मामले सामने आए। शिकायत के बाद पुलिस भी हैरान है। भुक्तभोगियों को मामले की जानकारी खाते से रकम की निकासी के बाद हुई। पुलिस दोनों मामले की छानबीन कर रही है।

पुलिस के अनुसार रणधीर वर्मा चौक स्थित डॉक्टर कॉलोनी में रही रश्मी सिन्हा के हीरापुर एसबीआई बैंक खाते से 1 लाख 60 हजार रुपये की फर्जी तरीके से निकासी हो गई। रकम की निकासी 12 जुलाई को हुई थी परंतु भुक्तभोगी को मामले की जानकारी दो दिन बाद हुई। खाते से रकम किस तरह निकाली गई इसकी स्पष्ट जानकारी अभी भी पीड़िता को नहीं है। आशंका है कि साइबर अपराधियों ने पीड़िता के बैंक खाते को हाइजेक कर या एटीएम का क्लोन तैयार कर रकम की निकासी है। पुलिस के अनुसार पीड़िता जिले से बाहर गई थी और कार्ड से खरीदारी भी की। आशंका है कि कार्ड का क्लोन तैयार कर साइबर अपराधियों ने घटना को अंजाम दिया है।

दूसरी घटना सेवानिवृत्त आयकर कर्मी सुवेंदू पोद्दार के साथ घटी। भुक्तभोगी सुवेंदू पोद्दार मिश्रित भवन स्थित आयकर कॉलोनी में रहते हैं। उनके खाते से साइबर अपराधियों ने 98 हजार पांच सौ 27 रुपये की फर्जी निकासी कर ली। यह ठगी भुक्तभोगी के बैंक खाते को आधार कार्ड से लिंक करने के नाम पर की गई है। पुलिस के अनुसार भुक्तभोगी का सिटी सेंटर स्थित एसबीआई में बैंक खाता है।

भुक्तभोगी के मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। फोन करनेवाले शख्स से अपने को बैंक अधिकारी बताया और उनके खाते को आधार कार्ड से लिंक करने के लिए आधार नंबर मांगा। फोन करनेवाले शख्स ने यहां तक कहां कि आधार लिंक करने का अंतिम दिन है इसलिए जल्दी से आधार नंबर बताए। इस पर सुवेंदू पोद्दार ने अपना आधार नंबर बता दिया। इसके बाद दोबारा उस व्यक्ति ने फोन किया और उनसे मोबाइल पर आए ओटीपी नंबर भी पूछा। भुक्तभोगी यह समझकर ओटीपी नंबर बता दिया कि उनके आधार से खाता जुड़ रहा है, लेकिन उन्हें इस बात की जरा भी इलम नहीं था कि फोन करनेवाला शख्स साइबर अपराधी था। उनके खाते से 98 हजार 527 रुपये उड़ा लिए गए। भुक्तभोगी की शिकायत पर धनबाद थाने की पुलिस दोनों मामले में छानबीन कर रही है।

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जिले में साइबर थाना, एक भी प्राथमिकी नहीं

धनबाद : जिले में रोज लोग साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं। यहां साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए नया थाना भी खुला है लेकिन पांच महीने से साइबर थाने में एक भी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो पाई है। धनबाद में साइबर थाना खुलने के तकरीबन पांच माह से अधिक समय गुजर चुके हैं पर सरकार द्वारा साइबर थाने से संबंधित कोई भी अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इतने दिनों तक साइबर थाना का अधिसूचना जारी नहीं होना इस बात को बल देती है कि जिले में बगैर सरकारी अनुमति के ही साइबर थाना खोले दिए गए हैं। यहां तक की थानेदार समेत कुछ पुलिस पदाधिकारियों की पोस्टिंग भी कर दी गई है लेकिन साइबर थाने का काम धरातल पर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा है।

पांच माह पूर्व सरायढेला में साइबर थाना का उद्घाटन होने के बाद लोगों में आशा जगी थी कि साइबर अपराध से जुड़े मामले की प्राथमिकी तथा अनुसंधान साइबर थाने के विशेषज्ञ करेंगे। लेकिन ना तो वहां प्राथमिकी दर्ज हो रही है और ना ही पुलिस अनुसंधान ठीक से हो पा रहा है। अभी भी साइबर ठगी के शिकार लोग विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए चक्कर लगाते हैं। जिले में प्रत्येक माह तकरीबन 40 से पचास कांड साइबर क्राइम से जुड़े विभिन्न थाने में दर्ज हो रहे हैं। अधिकतम कार्य के बोझ तले कुछ मामले का तो पुलिस अनुसंधान भी शुरू नहीं कर पा रही है। कुछ थाने में पुलिस पदाधिकारियों को साइबर क्राइम से संबंधित खास जानकारी का अभाव है। ऐसे स्थिति में यहां साइबर थाना खुलना काफी जरूरी है पर महीनों से इस पर विचार नहीं हो पाया है। अब शहर का साइबर थाना आम जनता की आंखों की किरकिरी बनने लगी है। बिना सरकारी अधिसूचना के शहर में साइबर थाना खोलने का औचित्य क्या है? यह सवाल आम लोगों को परेशान कर रहा है।

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