नटराज की नगरी में गूंज रही बिरजू महाराज की यादें

जागरण संवाददाता देवघर कत्थक सम्राट पंडित बिरजू महाराज के शिष्य संजीव परिहस्त ने 15 साल

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Jan 2022 04:53 PM (IST) Updated:Mon, 17 Jan 2022 04:53 PM (IST)
नटराज की नगरी में गूंज रही बिरजू महाराज की यादें
नटराज की नगरी में गूंज रही बिरजू महाराज की यादें

जागरण संवाददाता, देवघर: कत्थक सम्राट पंडित बिरजू महाराज के शिष्य संजीव परिहस्त ने 15 साल तक महाराज का आशीर्वाद लेकर नृत्य का हुनर सीखा है। आज जब कत्थक सम्राट इस जहां से विदा ले लिए हैं, उनकी यादों को याद कर संजीव बात करते करते उन सुनहरे दिनों में खो गए। अपना एक संस्मरण सुनाते हुए संजीव ने कहा कि महाराज की उन्हें पंडा कहकर बुलाते थे। कहते थे वाह पंडा बेटा आओ, कुछ अपना वाला करके दिखाओ। गुरूजी हर शिष्य पर उसके हाव भाव व व्यक्तित्व पर नृत्य का कंपोजिशन करते थे। पिछले साल की बात है उनसे मिलने दिल्ली गया था। वह थोड़ा अस्वस्थ ही थे। देखने के बाद कहा कि वाह पंडा आओ, अपना वाला नृत्य दिखाओ। खुले बोल का परन पखावत वाला नृत्य हमने शुरू किया। गुरू जी ढब बाजने लगे। पहले थोड़ा गंभीर थे बाद में जब हम नृत्य में डूब गए तो देखा कि महाराज जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। यह देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। हर शिष्य की अभिलाषा होती है कि उसका गुरु उसके प्रदर्शन से प्रसन्न हो जाए।

दैनिक जागरण के साथ बातचीत करते संजीव ने कहा कि वर्ष 1992 में दिल्ली चले गए थे। एक साल तक पंडित जी के भाई राम मोहन महाराज से भारतीय कला केंद्र में तालिम लिया। 1993 से 2008 तक संगीत नाटक अकादमी से संबद्ध कत्थक केंद्र में गुरूजी से नृत्य सीखा। इस बीच उनका स्टाफ आर्टिस्ट बन गया। महाराज जी के साथ देश व विदेश में मंच पर कार्यक्रम किया। वह क्षण बहुत ही अदभुत होता था जब गुरुजी के साथ ताज महोत्सव, खजुराहो महोत्सव, हरिदास सम्मेलन में मंच पर साथ होता था। संजीव के प्रदर्शन देखकर ही महाराज ने केंद्र में नए छात्रों को सिखाने का भी भार दिया और एक प्रशिक्षक के तौर पर रखा था।

एक बार का वाक्या सुनाया कि लड़के और लड़कियां सीखते थे। वह पीछे की पंक्ति में थे। एक बार बुलाया और कहा कि बेटा तुम आगे आ जाओ। चलो जो सीखा उसे दिखाओ, देखने के बाद बहुत खुश हुए थे। संजीव कहते हैं कि सीखने के बाद वह घंटों रियाज करते थे। कत्थक केंद्र से पोस्ट डिप्लोमा कोर्स किया है।

उनके आर्शीवाद से कत्थक की बारीकियों को सीखने के क्रम में मानव संसाधन मंत्रालय से वर्ष 1994 से 1997 तक नेशनल स्कालरशिप मिला। झारखंड सरकार की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में पहला स्थान लाने पर एक लाख का नकद इनाम पाया था।

संजीव परिहस्त अभी देवघर में नृत्य संस्था का संचालन कर रहे हैं।

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