Jammu-Kashmir: ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के लिए आगे बढ़ रहा जम्मू कश्मीर, 2025 तक बढ़ेगी बिजली उत्पादन की क्षमता
यह दावा किया जा रहा है कि 2025 तक प्रदेश की उत्पादन क्षमता में 1500 से 2000 मेगावाट बढ़ जाएगी। अभी तक प्रदेश की अपनी पनबिजली परियोजनाओं से 1211 मेगावाट जबकि केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं से 2009 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है।
जम्मू, संवाद सहयोगी। जम्मू-कश्मीर आने वाले दिनों में बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा। अभी बिजली संकट से जूझ रहे प्रदेश के लोगों को आने वाले दो तीन सालों में बिजली कटौती से पूरी तरह निजात मिल जाएगी। प्रदेश अपने स्तर पर 6956 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रहा है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि किश्तवाड़ में प्रदेश व केंद्र के सहयोग से शुरू की गई पनबिजली परियोजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है।
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2025 तक हरित ऊर्जा राज्य बनेगा जम्मू-कश्मीर
यह दावा किया जा रहा है कि 2025 तक प्रदेश की उत्पादन क्षमता में 1500 से 2000 मेगावाट बढ़ जाएगी। अभी तक प्रदेश की अपनी पनबिजली परियोजनाओं से 1211 मेगावाट जबकि केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं से 2009 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है। जेकेएसपीडीसी करीब 12 परियोजनाओं पर काम कर रही है, जिनकी उत्पादन क्षमता 20 मेगावाट से लेकर 1856 मेगावाट तक रहेगी।
यही नहीं इसके अलावा कुछ बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने में केंद्र सरकार भी अपना सहयोग दे रही है। यही नहीं 17 पनबिजली परियोजनाओं पर प्रधानमंत्री विकास योजना के पहले चरण और दूसरे चरण के तहत भी काम चल रहा है। हिमाश्रित जम्मू-कश्मीर में 20 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता आंकी गई है। जिसमें से लगभग 16475 मेगावाट की पहचान की जा चुकी है। इसमें चिनाब दरिया में 11283 मेगावाट, झेलम दरिया से 3084 मेगावाट, रावि दरिया में 500 मेगावाट और सिंधु दरिया में 1608 मेगावाट शामिल हैं।
अभी तक पहचान की गई कुल बिजली उत्पादन क्षमता में से केवल 3263.46 मेगावाट यानी लगभग 19.80 प्रतिशत बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। जिसमें 21 बिजली परियोजनाओं से प्रदेश 1211.96 मेगावाट जबकि 7 परियोजनाओं से केंद्रीय विद्युत मंत्रालय 2009 मेगावाट और आइपीपी मोड पर निजी कंपनियां 4 परियोजनाओं के जरिए 42.5 मेगावाट बिजली उत्पादन कर रही हैं।आने वाले कुछ सालों में प्रदेश की उत्पादन क्षमता दो गुना बढ़ने की संभावना है।
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इन परियोजनाओं पर चल रहा काम
जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र विद्युत मंत्रालय के संयुक्त समझौते से बनने वाली कुछ ऐसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी हैं, जो यहां के लोगों के साथ-साथ देश के दूसरे राज्यों में बने बिजली संकट को दूर भगाने में सहायक साबित होंगी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण परियोजना पकलदुल है जिसकी उत्पादन क्षमता 1000 मेगावाट के करीब है।
किश्तवाड़ में दरिया चिनाब पर बनाई जा रही यह परियोजना सालाना 3230 मेगा यूनिट बिजली पैदा करेगी। उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्रोजेक्ट जुलाई 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसी जिले में बन रही 624 मेगावाट क्षमता वाली किरू के भी जुलाई 2025 में शुरू होने की संभावना जताई जा रही है। इस प्रोजेक्ट से 2272 मेगा यूनिट सालाना बिजली पैदा की जाएगी। यही नहीं दरिया चिनाब पर किश्तवाड़ में ही बनाई जा रही 540 मेगावाट क्षमता वाली कवार पनबिजली परियोजना से सालाना 1975 मेगा यूनिट बिजली दोहन संभव हो पाएगा। हालांकि यह परियोजना उक्त दोनों परियोजनाओं के बाद यानी नवंबर 2026 को शुरू होने की बात कही जा रही है।
किश्तवाड़ में ही 930 मेगावाट क्षमता वाली किरथई और 850 मेगावाट क्षमता वाली रत्तले पनबिजली परियोजना भी काफी महत्वपूर्ण हैं। इन परियोजनाओं पर भी तेजी से काम चल रहा है। किरथई से जहां सालाना 3329.52 मेगा यूनिट बिजली मिलेगी वहीं रत्तले पनबिजली परियोजना में सालाना 3136 मेगा यूनिट बिजली पैदा होगी। रत्तले पनबिजली परियोजना फरवरी 2026 तक शुरू हो सकती है।