अंधेरी कोठरी से झांकता उजाले का पन्ना

आदर्श केंद्रीय कारागार नाहन अब कैदियों के लिए विद्या का मंदिर भी बन गया है। नाहन जेल के जिस कमरे में पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने 19 महीने बिताए उस कमरे को जेल प्रशासन ने अब विद्या का मंदिर बना दिया है। 25*15 फीट लंबे-चौड़े इस कमरे में जेल प्रशासन की अब लाइब्रेरी है इस लाइब्रेरी में 1

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Mar 2020 07:26 PM (IST) Updated:Tue, 10 Mar 2020 06:14 AM (IST)
अंधेरी कोठरी से झांकता उजाले का पन्ना
अंधेरी कोठरी से झांकता उजाले का पन्ना

राजन पुंडीर, नाहन

हिमाचल प्रदेश की आदर्श केंद्रीय कारागार नाहन की अंधेरी कोठरी में खुला एक पन्ना कैदियों के जीवन में उजाला लेकर आया है। जेल के जिस कमरे में भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने आपातकाल के दौरान 19 महीने बिताए, उसे जेल प्रशासन ने विद्या का मंदिर बना दिया है। 25 फीट लंबे और 15 फीट चौड़े इस कमरे में अब जेल प्रशासन का पुस्तकालय है। इसमें 1850 पुस्तकें हैं।

दो दशकों से पुस्तकालय के साथ-साथ इस कमरे में जेल प्रशासन की ओर से कैदियों के लिए यहां कक्षाएं भी लगाई जाती हैं। यहां कैदी हर रोज जीवन का नया पाठ सीखते हैं। पुस्तकालय की देखरेख का कार्य भी कैदी ही करते हैं। विदित रहे कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार आपातकाल के दौरान 1975 से 1977 तक 19 महीने तक नाहन जेल में रहे थे। केंद्र व प्रदेश सरकार ने उस दौरान शांता कुमार व उनके साथियों श्याम शर्मा, राधा रमण शास्त्री और महेंद्र नाथ सोफत पर मीसा व डीआर सहित अन्य धाराएं लगा उन्हें यहां बंद कर दिया था।

22 जून, 1977 में जब शांता कुमार पहली बार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने नाहन जेल में बंदियों की दशा सुधारने के लिए काफी प्रयास किए। जानकारी के अनुसार 1977 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार ने जिला सिरमौर का दौरा किया, तो उन्होंने सबसे पहले नाहन जेल का निरीक्षण कर वहां पर कैदियों के जीवन को सुधारने के लिए अनेक कार्य शुरू कर करवाए। इसके सार्थक परिणाम आज सामने आ रहे हैं। नाहन जेल के कैदियों द्वारा प्रतिवर्ष पांच करोड़ से अधिक के उत्पाद तैयार कर बाजार में बेचे जा रहे हैं। जो कि कैदियों के जीवन का सुधारने के एक जेल प्रशासन का एक सराहनीय कदम है।

शनिवार को पहली बार शांता कुमार के साथ उनके पुत्र विक्रम कुमार भी थे, जिनको शांता ने जेल में बिताए 19 माह को याद करते हुए भावुक होकर दुलार भी किया। शांता कुमार ने कहा था कि नाहन जेल उनके लिए एक तीर्थ स्थल है। जेल में लिखी थीं चार किताबें

शांता ने जेल में समय बिताने के लिए किताबें लिखने का कार्य किया और 19 माह में चार किताबें 'लाजो', 'मन के मीत', 'कैदी' और 'दीवार के उस पार' लिखी। आज भी यह किताबें नाहन जेल के पुस्तकालय की शान बढ़ती हुई सबसे ऊपर नजर आती हैं।

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