पेड़ों पर कीट या रोग दिखे तो एचएफआरआइ को बताएं
शिमला के पंथाघाटी स्थित हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान में वनों के कीट पतंगों रोगों और इनके प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें वन विभाग के 25 प्रतिभागियों ने भाग लिया। ये वन प्रशिक्षण संस्थान चायल के प्रशिक्षार्थी हैं। कार्यशाला में एचएफआरआइ के निदेशक डॉ. वीपी तिवारी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण वृक्षों में आमतौर पर कीट व रोगों के प्रकोप की संभावना बनी रहती है। समय रहते इनके प्रकोपों से बचा जा सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों को कीट पंतगों एवं बीमारियों की रोकथाम के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रबन्धन की सलाह दी।
राज्य ब्यूरो, शिमला : राजधानी शिमला के पंथाघाटी में स्थित हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआइ) में वनों के कीट पतंगों, रोगों और इनके प्रबंधन पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। इसमें वन विभाग के 25 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जो वन प्रशिक्षण संस्थान चायल के प्रशिक्षार्थी हैं।
कार्यशाला में एचएफआरआइ के निदेशक डॉ. वीपी तिवारी ने कहा कि हिमाचल में विभिन्न प्रकार के वन हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण वृक्षों में आमतौर पर कीटों व रोगों के प्रकोप की आशंका रहती है। हालांकि समय रहते इनके प्रकोप से बचा जा सकता है। उन्होंने कीट पतंगों व बीमारियों की रोकथाम के लिए पर्यावरण अनुकूल प्रबंधन की सलाह दी। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से आग्रह किया कि यदि उनके क्षेत्र में पेड़ों पर कीट या रोग के लक्षण दिखें तो एचएफआरआइ से संपर्क करें। संस्थान तत्काल समस्या का निदान करेगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य चीड़ के वनों में कीट पतंगों और बीमारियों की बढ़ती घटनाओं पर प्रकाश डालना और इनके प्रबंधन पर जागरूक करना था। प्रशिक्षण के समन्वयक वैज्ञानिक सुभाष चंद्र ने इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी। पूर्व कुलपति डॉ. एसपी भारद्वाज ने हिमाचल के वनों में कीट पतंगों की समस्याओं पर चर्चा कर प्रबंधन की रणनीति पर सुझाव दिए।